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लोकसभा के पराजय का कलंक निकाय के पुनर्गठन से नहीं धुलेगा : राजेंद्र राठौड़

उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि प्रदेश की गहलोत सरकार लोकसभा चुनाव में अपनी पराजय का कलंक वार्डों के पुनर्गठन के जरिए मिटाना चाहती है. ताकि आगामी निकाय चुनाव में कांग्रेस को विजय मिल सके.

वार्डों के पुनर्गठन पर मचा सियासी बवाल,भाजपा लेगी न्यायालय की शरण
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Published : Jun 12, 2019, 12:29 PM IST

जयपुर. लोकसभा चुनाव की हार के बाद प्रदेश सरकार के लिए गए वार्डों के पुनर्गठन के फैसले पर सियासी बवाल मच चुका है. यह फैसला निकाय चुनाव से ठीक पहले लिया गया. लिहाजा राजनीतिक दल सरकार के इस कदम को सियासी चश्मा पहन कर देख रहे हैं. खास तौर पर भाजपा ने सरकार के इस निर्णय का पुरजोर विरोध किया है. साथ ही स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि जरूरत पड़ी तो इस मामले में भाजपा न्यायालय की शरण भी लेगी.

वार्डों के पुनर्गठन पर मचा सियासी बवाल,भाजपा लेगी न्यायालय की शरण

वहीं भाजपा विधायकों ने इस मामले को आगामी विधानसभा सत्र में उठाने के लिए प्रश्न लगाना भी शुरू कर दिया है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और विधायक दल के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने बिना किसी आधार के वार्डों के पुनर्गठन के फैसले को कांग्रेस के सियासी फायदा लेने के लिए उठाया गया कदम करार दिया है.

कटारिया के अनुसार पुनर्गठन का एक आधार होता है जब साल 2014 में 2011 की जनगणना को आधार माना पुनर्गठन किया गया ,तो अब किस आधार पर यह पुनर्गठन किया जा रहा है. वहीं उप नेता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि प्रदेश की गहलोत सरकार लोकसभा चुनाव में अपनी पराजय का कलंक वार्डों के पुनर्गठन के जरिए मिटाना चाहती है. ताकि आगामी निकाय चुनाव में कांग्रेस को विजय मिल सके लेकिन कांग्रेस का शेखचिल्ली का यह सपना कभी पूरा नहीं होगा.

राठौड़ के अनुसार 2011 की जनगणना के आधार पर साल 2014 में वार्डों का पुनर्गठन हो चुका है. ऐसे में अब पुनर्गठन करने का एकमात्र कारण है कि कांग्रेस वार्डों की संख्या बढ़ाकर अपनी जीतने की गली निकालने की कोशिश में है. राठौड़ के अनुसार भाजपा अपनी लीगल कमेटी की ओर से इस पूरे मामले की जांच करवा रही है.वहीं जरूरत पड़ी तो पार्टी इस मामले में न्यायालय की शरण भी लेगी. वहीं इस पूरे मामले में कई भाजपा विधायकों ने विधानसभा में भी प्रश्न लगाए हैं, ताकि सदन के भीतर भी सरकार को इस मामले में घेरा जा सके

जयपुर. लोकसभा चुनाव की हार के बाद प्रदेश सरकार के लिए गए वार्डों के पुनर्गठन के फैसले पर सियासी बवाल मच चुका है. यह फैसला निकाय चुनाव से ठीक पहले लिया गया. लिहाजा राजनीतिक दल सरकार के इस कदम को सियासी चश्मा पहन कर देख रहे हैं. खास तौर पर भाजपा ने सरकार के इस निर्णय का पुरजोर विरोध किया है. साथ ही स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि जरूरत पड़ी तो इस मामले में भाजपा न्यायालय की शरण भी लेगी.

वार्डों के पुनर्गठन पर मचा सियासी बवाल,भाजपा लेगी न्यायालय की शरण

वहीं भाजपा विधायकों ने इस मामले को आगामी विधानसभा सत्र में उठाने के लिए प्रश्न लगाना भी शुरू कर दिया है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और विधायक दल के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने बिना किसी आधार के वार्डों के पुनर्गठन के फैसले को कांग्रेस के सियासी फायदा लेने के लिए उठाया गया कदम करार दिया है.

कटारिया के अनुसार पुनर्गठन का एक आधार होता है जब साल 2014 में 2011 की जनगणना को आधार माना पुनर्गठन किया गया ,तो अब किस आधार पर यह पुनर्गठन किया जा रहा है. वहीं उप नेता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि प्रदेश की गहलोत सरकार लोकसभा चुनाव में अपनी पराजय का कलंक वार्डों के पुनर्गठन के जरिए मिटाना चाहती है. ताकि आगामी निकाय चुनाव में कांग्रेस को विजय मिल सके लेकिन कांग्रेस का शेखचिल्ली का यह सपना कभी पूरा नहीं होगा.

राठौड़ के अनुसार 2011 की जनगणना के आधार पर साल 2014 में वार्डों का पुनर्गठन हो चुका है. ऐसे में अब पुनर्गठन करने का एकमात्र कारण है कि कांग्रेस वार्डों की संख्या बढ़ाकर अपनी जीतने की गली निकालने की कोशिश में है. राठौड़ के अनुसार भाजपा अपनी लीगल कमेटी की ओर से इस पूरे मामले की जांच करवा रही है.वहीं जरूरत पड़ी तो पार्टी इस मामले में न्यायालय की शरण भी लेगी. वहीं इस पूरे मामले में कई भाजपा विधायकों ने विधानसभा में भी प्रश्न लगाए हैं, ताकि सदन के भीतर भी सरकार को इस मामले में घेरा जा सके

Intro:वार्डों के पुनर्गठन पर मचा सियासी बवाल,भाजपा लेगी न्यायालय की शरण
लोकसभा पराजय का कलंक वार्डों के पुनर्गठन से नहीं धुलेगा- राजेंद्र राठौड़
वार्डों की संख्या बढ़ाकर निकाय चुनाव जीतना शेखचिल्ली के सपने के सामान-राठौड़
विधानसभा सत्र में उठेगा वार्डों के पुनर्गठन का मामला, भाजपा विधायकों ने लगाए प्रश्न

जयपुर (इंट्रो एंकर)
लोकसभा चुनाव की हार के बाद प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए वार्डों के पुनर्गठन के फैसले पर सियासी बवाल मच चुका है। फैसला निकाय चुनाव से ठीक पहले लिया गया है लिहाजा राजनीतिक दल सरकार के इस कदम को सियासी चश्मा पहन कर देख रहे हैं। खास तौर पर भाजपा ने सरकार के इस निर्णय का पुरजोर विरोध किया है और स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है की जरूरत पड़ी तो इस मामले में भाजपा न्यायालय की शरण भी लेगी। वहीं भाजपा विधायकों ने इस मामले को आगामी विधानसभा सत्र में उठाने के लिए प्रश्न लगाना भी शुरू कर दिया है। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और विधायक दल के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने बिना किसी आधार के वार्डों के पुनर्गठन के फैसले को कांग्रेस के सियासी फायदा लेने के लिए उठाया गया कदम करार दिया है। कटारिया के अनुसार पुनर्गठन का एक आधार होता है जब साल 2014 में पुनर्गठन कर लिया गया है और समय 2011 की जनगणना को आधार माना गया था तो अब किस आधार पर यह पुनर्गठन किया जा रहा है। वहीं उप नेता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि प्रदेश की गहलोत सरकार लोकसभा चुनाव में अपनी पराजय का कलंक वार्डों के पुनर्गठन के जरिए मिटाना चाहती है ताकि आगामी निकाय चुनाव में कांग्रेस को विजय मिल सके लेकिन कांग्रेस का शेखचिल्ली का यह सपना कभी पूरा नहीं होगा। राठौड़ के अनुसार 2011 की जनगणना के आधार पर साल 2014 में वाडो का पुनर्गठन हो चुका है। ऐसे में अब पुनर्गठन करने का एकमात्र कारण है कि कांग्रेस वार्डों की संख्या बढ़ाकर अपनी जीतने की गली निकालने की कोशिश में है। राठौड़ के अनुसार भाजपा अपनी लीगल कमेटी की ओर से इस पूरे मामले की जांच करवा रही है और जरूरत पड़ी तो पार्टी इस मामले में न्यायालय की शरण भी लेगी। वहीं इस पूरे मामले में कई भाजपा विधायकों ने विधानसभा में भी प्रश्न लगाए हैं ताकि सदन के भीतर भी सरकार को इस मामले में घेरा जा सके।

बाईट- गुलाबचंद कटारिया,नेता प्रतिपक्ष
बाइट- राजेंद्र राठौड़ उपनेता,भाजपा विधायक दल

(edited vo pkg-Rathore kataria on congress)


Body:बाईट- गुलाबचंद कटारिया,नेता प्रतिपक्ष
बाइट- राजेंद्र राठौड़ उपनेता,भाजपा विधायक दल

(edited vo pkg-Rathore kataria on congress)


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