जयपुर. लोकसभा चुनाव की हार के बाद प्रदेश सरकार के लिए गए वार्डों के पुनर्गठन के फैसले पर सियासी बवाल मच चुका है. यह फैसला निकाय चुनाव से ठीक पहले लिया गया. लिहाजा राजनीतिक दल सरकार के इस कदम को सियासी चश्मा पहन कर देख रहे हैं. खास तौर पर भाजपा ने सरकार के इस निर्णय का पुरजोर विरोध किया है. साथ ही स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि जरूरत पड़ी तो इस मामले में भाजपा न्यायालय की शरण भी लेगी.
वहीं भाजपा विधायकों ने इस मामले को आगामी विधानसभा सत्र में उठाने के लिए प्रश्न लगाना भी शुरू कर दिया है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और विधायक दल के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने बिना किसी आधार के वार्डों के पुनर्गठन के फैसले को कांग्रेस के सियासी फायदा लेने के लिए उठाया गया कदम करार दिया है.
कटारिया के अनुसार पुनर्गठन का एक आधार होता है जब साल 2014 में 2011 की जनगणना को आधार माना पुनर्गठन किया गया ,तो अब किस आधार पर यह पुनर्गठन किया जा रहा है. वहीं उप नेता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि प्रदेश की गहलोत सरकार लोकसभा चुनाव में अपनी पराजय का कलंक वार्डों के पुनर्गठन के जरिए मिटाना चाहती है. ताकि आगामी निकाय चुनाव में कांग्रेस को विजय मिल सके लेकिन कांग्रेस का शेखचिल्ली का यह सपना कभी पूरा नहीं होगा.
राठौड़ के अनुसार 2011 की जनगणना के आधार पर साल 2014 में वार्डों का पुनर्गठन हो चुका है. ऐसे में अब पुनर्गठन करने का एकमात्र कारण है कि कांग्रेस वार्डों की संख्या बढ़ाकर अपनी जीतने की गली निकालने की कोशिश में है. राठौड़ के अनुसार भाजपा अपनी लीगल कमेटी की ओर से इस पूरे मामले की जांच करवा रही है.वहीं जरूरत पड़ी तो पार्टी इस मामले में न्यायालय की शरण भी लेगी. वहीं इस पूरे मामले में कई भाजपा विधायकों ने विधानसभा में भी प्रश्न लगाए हैं, ताकि सदन के भीतर भी सरकार को इस मामले में घेरा जा सके