जयपुर. प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर विधानसभा में विपक्ष ने मंगलवार को गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा. कानून व्यवस्था के मुद्दे पर बीजेपी के निशाने पर सीधे-सीधे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रहे. सदन में चर्चा के दौरान बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री और तत्कालीन डीजीपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होने का मुद्दा उठाया. वहीं, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए कहा कि सरकार ने अपने घोषणापत्र और बजट भाषण में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की बात की थी, लेकिन उसे अभी भी लागू नहीं किया है.
डीजीपी और मुख्यमंत्री पर FIR क्यों नही ? : विधानसभा में चर्चा के दौरान रामगंज मंडी से विधायक मदन दिलावर ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकार बनने के बाद साल दर साल अपराधों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. हर साल 15 से 20 फीसदी हत्या, लूट, अपहरण, बलात्कार जैसी घटनाएं बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि पहले यूपी बिहार का नाम अपराध में आगे आता था, लेकिन अब राजस्थान का नाम उनसे पहले लिया जाने लगा है. दिलावर ने कहा कि सरकार कहती है कि मुकदमे दर्ज करने के निर्देश दिए हुए इसलिए अपराधों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन हकीकत यह है कि हाईकोर्ट ने जब गैंगरेप के के मामले में तत्कालीन डीजीपी और मुख्यमंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए तो फिर उनके खिलाफ केस दर्ज क्यों नहीं हुए?
MLA ने जेईएन के 32 फैक्चर किए : कांग्रेस विधायक गिर्राज मलिंगा का जेईएन के साथ मारपीट का मुद्दा भी सदन में उठाया गया. बीजेपी विधायक ने कहा कि जो सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने की बात करती है, उसी सरकार के विधायक ने एक जेईएन के साथ मारपीट की. विधायक की पिटाई से जेईएन के 32 फैक्चर हो गए. इस दौरान दिलावर मदन ने सीएम पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पीड़ित से मिलने जब अस्पताल जाते हैं और कहते हैं कि मात्र 6 ही तो फैक्चर आए हैं. उन्होंने कहा कि पहले तो सरकार ने सत्ताधारी विधायक पर कोई कार्रवाई नहीं की, बाद में जब जनता का दबाव बना तो मुख्यमंत्री निवास पर बुलाकर सम्मान के साथ पुलिस सौंपा. सीएम ने इस केस को एक सामान्य केस बना दिया, जिससे विधायक को जल्दी जमानत मिल गई.
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शराब तस्कर आईपीएस को जयपुर की कमान : मदन दिलावर ने शराब तस्कर के आरोप में रहे आईपीएस को जयपुर की कानून व्यवस्था की कमान सौंपने पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि जिस आईपीएस पर शराब तस्करी के आरोप लगे हैं, उस आईपीएस हिम्मत अभिलाष टाक को जयपुर जिले की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गई है.
विधानसभा में गूंजा वकील के साथ मारपीट मामला : वकीलों के साथ आए दिन होने वाली मारपीट और दुर्व्यवहार के विरोध में राजस्थान के 70 हजार से ज्यादा वकील पिछले 9 दिन से हड़ताल पर हैं. वकीलों की हड़ताल का यह मुद्दा मंगलवार को विधानसभा में भी गूंजा. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि 800 न्यायालय में न्यायिक कार्य ठप पड़ा है. जिसकी वजह से हजारों पक्षकार परेशान हैं. ये अधिवक्ता इस लिए हड़ताल पर चले गए, क्योंकि 10 दिन पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्वाचन क्षेत्र में जुगराज चौहान एडवोकेट की नृशंस हत्या कर दी गई. सरेआम चाकू से गोदकर हुई इस घटना से वकील आक्रोशित हैं. राठौड़ ने कहा कि इस तरह के दर्जनों मामले राजस्थान में हुए हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में आने पहले जन घोषणा पत्र और सत्ता में आने के बाद बजट घोषणा में इन वकीलों की सुरक्षा के लिए एडवोकेट प्रोटक्शन एक्ट को लागू करने की बात कही थी, लेकिन अभी तक इस बिल को लागू नहीं किया.
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राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि अधिवक्ताओं के समय-समय पर उठाए गए मुद्दों को हल करने के लिए संसदीय कार्य मंत्री के अध्यक्षता में 25 नवंबर 2019 को सब कमेटी बनी सब कमेटी बनी. 23 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय ने भी एडवोकेट को ऑफिसर कोर्ट मानते हुए कहा कि इनकी सुरक्षा के लिए बंदोबस्त करना सरकार का पहला कर्तव्य है, लेकिन बावजूद इसके लगातार 70 हजार से ज्यादा वकील हड़ताल पर है. सरकार को संज्ञान लेना चाहिए सरकार जो वादा किया जन घोषणापत्र और बजट में उसे सरकार पूरा करे. राठौड़ ने कहा कि इस पर सरकार को संज्ञान लेकर जल्द लेकर इन वकीलों की हड़ताल समाप्त कराना चाहिए.