जयपुर. प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब केवल 7 महीने का वक्त बचा है, ऐसे में भाजपा अपने हरावल दस्तों को तैनाती शुरू कर रही है. प्रदेश में महिला हिंसा बड़ा मुद्दा है, अब बीजेपी महिला मोर्चा को वार्ड बूथ तक शक्ति केंद्र बनाकर संगठनात्मक, रचनात्मक और आंदोलनात्मक रणनीति के साथ काम करने के निर्देश दिए हैं. पहली बार महिला मोर्चा की कार्यकर्ता भी प्रदेश प्रवास पर रहेंगी. बीजेपी ने वार्ड स्तर पर महिला शक्ति केंद्र बनाने की योजना बनाई है, जिससे स्थानीय मुद्दों के साथ सरकार को घेरा जा सके.
भाजपा के महिला शक्ति केंद्र - भाजपा ने महिला मोर्चा को प्रत्येक वार्ड पर महिला शक्ति केंद्र बनाने जिम्मेदारी दी है, एक शक्ति केंद्र पर एक संयोजक, एक सहसंयोजक सहित 11 महिलाओं की टीम होगी. इतना ही नहीं हर बूथ पर भी पांच महिलाओं की टीम बनाई जाएगी. शक्ति केंद्र पर महिलाओं की टीम संगठनात्मक, रचनात्मक और आंदोलनात्मक काम करेगी. जिसमें केंद्र सरकार की योजनाओं को डोर टू डोर पहुंचाया जाएगा, इसके साथ लाभार्थियों को पार्टी की नीति से जोड़ा जाएगा. साथ ही शक्ति केंद्र के जरिए वार्ड और बूथ स्तर पर महिला हिंसा के आंकड़ों से गहलोत सरकार के खिलाफ भी माहौल तैयार करने की जिम्मेदारी महिला मोर्चा की दी गई है.
पहली बार मोर्चों की कार्यकर्ता प्रवास पर - बीजेपी ने महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं को पार्टी पदाधिकारियों की तर्ज पर प्रदेश के प्रवास की जिम्मेदारी भी दी है. ऐसा पहली बार है कि महिला मोर्चा की कार्यकर्ता अपने मंडल और शहर से बाहर दूसरे जिले में प्रवास पर रहेंगी. इससे पहले महिला मोर्चा को कभी भी प्रवास पर नहीं भेजा गया. ये पहली बार है जब इस तरह की जिम्मेदारी दी गई है. इसमें मंडल पदाधिकारी सुबह से शाम तक जबकि शहर और जिला प्राधिकारी दो दो दिन के प्रवास पर रहेंगी. ये प्रवास 200 की 200 विधानसभा सीटों पर होगा.
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महिलाओं को आगे लाने का काम - भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि प्रदेशस्तरीय प्रवास कार्यशाला में महिला मोर्चा को आगामी विधानसभा को देखते हुए जिम्मेदारी दी है. बूथ लेवल पर महिलाओं की भागीदारी बने, इसको लेकर पार्टी की तरफ से कुछ कार्यक्रम तय किए गए हैं. जोशी ने कहा कि बीजेपी ने हर क्षेत्र में महिलाओं को आगे लाने का काम किया है , पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार में पंचायत और वार्ड स्तर पर महिलाओं को रिजर्वेशन देने का काम किया. आज महिला शक्ति के रूप में राष्ट्रपति पद पर द्रौपदी मुर्मू विराजमान हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी हर योजनाओं में महिलाओं को प्राथमिकता दी और उन्हें आगे लाने का काम किया, लेकिन प्रदेश की गहलोत सरकार ने उससे ठीक उल्टा किया. प्रदेश सरकार के साढ़े चार साल के कार्यकाल में महिलाओं पर अत्याचार और हिंसा के मामले बढ़ हैं. महिलाएं घर से बाहर सुरक्षित नहीं हैं. नाबालिग बच्चियां डर के साए में जीने को मजबूर हैं. किस तरह से राजस्थान महिला हिंसा और दुष्कर्म के मामलों में नम्बर वन बन गया, ये सबके सामने है. अपराधियों में सरकार का भय नहीं है. जोशी ने कहा कि विधानसभा चुनाव ज्यादा दूर नहीं हैं. जनता मन बना कर बैठी है सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने को.
राजस्थान में महिला हिंसा के आंकड़े - देश में महिला हिंसा के मामलों में राजस्थान पहले नंबर पर है. वर्ष 2022 के राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं. राजस्थान में साल, 2021 में 6,377 दुष्कर्म के मामले हुए जो साल 2020 के 5,310 के मुकाबले एक हजार से ज्यादा है. रेप के मामलों में राजस्थान ने मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और असम को भी पीछे छोड़ दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक 2020 और 2021 में राजस्थान में सबसे अधिक रेप के मामले सामने आए हैं.
महिला हिंसा पर गहलोत का दावा - गहलोत सरकार की ओर से ये दावा किया जाता रहा है प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से पीड़िता की रिपोर्ट दर्ज करना अनिवार्य किया है, जिसकी वजह से इन आंकड़ों में वृद्धि हुई है. दावा ये भी किया गया है कि दर्ज मामलों में 40 फीसदी से ज्यादा झूठे हैं.