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Rajasthan Election 2023 : टिकट न मिलने पर जमकर रोए भाजपा नेता, बगावत के दिए संकेत, कहा- जल्द लूंगा निर्णय

Rajasthan Assembly Election 2023, इस बार राजस्थान विधानसभा चुनाव में टिकटों का बंटवारा किसी भी सियासी दल के लिए आसान नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि हर सीट पर एक से अधिक दावेदार हैं. ऐसे में जिसका भी टिकट कटेगा, वो नाराजगी में पार्टी के लिए चुनौती बनेगा और कुछ ऐसा ही हुआ कोटपूतली में भी...

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 12, 2023, 8:05 AM IST

Rajasthan Election 2023
Rajasthan Election 2023
भाजपा नेता मुकेश गोयल

कोटपूतली (जयपुर). साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रहे मुकेश गोयल उनका टिकट कटने से नाराज हो गए, जिसके बाद उन्होंने बुधवार को कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई गई. बैठक में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए गोयल भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि वो पार्टी को अपनी मां की मानते हैं, लेकिन टिकट नहीं मिलने से वो अंदर से टूट गए हैं. वहीं, गोयल की इन बातों को सुनकर उनके समर्थन भी आवेग में आ गए और नारेबाजी करने लगे. समर्थकों ने गोयल से संघर्ष करने की अपील की और कहा कि वो उनके साथ हैं. ऐसे में अब कयास लगाया जा रहा है कि गोयल पार्टी से बगावत कर चुनावी मैदान में ताल ठोक सकते हैं.

दिए बगावत के संकेत : इस बीच नाराज भाजपा नेता मुकेश गोयल ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने के संकेत दिए. गोयल ने कहा कि कार्यकर्ताओं और जनता के आदेश के अनुसार वो आगे की रूपरेखा बनाएंगे. दरअसल, भाजपा ने जयपुर कोटपूतली से गुर्जर समाज से आने वाले हंसराज पटेल को प्रत्याशी बनाया है, ताकि जातिगत समीकरण को साधा जा सके. लेकिन क्षेत्र के कद्दावर नेता व पूर्व प्रत्याशी मुकेश गोयल उनका टिकट कटने से नाराज हैं. ऐसे में गोयल की नाराजगी से यहां का चुनावी समीकरण भी बदल गया है. इस बार शुरू से ही जल्द टिकटों की घोषणा के समाचार आ रहे थे, जिसके बाद से ही सभी दावेदार निरंतर प्रयासरत थे. इसी बीच बीते सोमवार को पार्टी ने अपनी पहली सूची जारी कर दी.

इसे भी पढ़ें - Rajasthan Election 2023 : सांचौर भाजपा प्रत्याशी देवजी पटेल के काफिले पर हमला, तोड़े गाड़ियों के शीशे, काले झंडे दिखा जताया विरोध

वहीं, पहली सूची इस बात की ओर इशारा है विगत चुनाव की तुलना में इस बार पार्टी ने जातिगत समीकरण पर विशेष ध्यान दिया है. इसी के चलते गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र से गुर्जर समाज के उम्मीदवार को मैदान में उतारा गया. वहीं, अब जल्द ही कांग्रेस भी अपनी पहली सूची जारी करेगी. साथ ही चर्चा है कि कांग्रेस कोटपूतली से गृह राज्यमंत्री राजेंद्र सिंह यादव को एक बार फिर से मैदान में उतार सकती है.

20 साल बाद कोई गुर्जर बना उम्मीदवार : 20 साल बाद किसी राष्ट्रीय पार्टी ने गुर्जर समाज के उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. इससे पहले साल 2003 के चुनाव में कांग्रेस ने हंसराज पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया था. हालांकि, तब उन्हें 32901 वोट मिले थे. उसके बाद 2008 में हंसराज पटेल का टिकट कट गया. ऐसे में वो चुनाव नहीं लड़े और उनकी जगह कांग्रेस ने राजेंद्र सिंह यादव को अपना प्रत्याशी बनाया, लेकिन वो भी चुनाव हार गए थे. 2013 और 2018 में लगातार दो बार राजेंद्र यादव यहां से विधायक चुने गए. वर्तमान में राजेंद्र यादव राज्य के उच्च शिक्षा व गृह राज्यमंत्री हैं.

इसे भी पढ़ें - Rajasthan Election 2023 : सोशल मीडिया पर वायरल हुई भाजपा की दूसरी लिस्ट! पार्टी ने कही ये बड़ी बात

बात अगर भाजपा प्रत्याशी हंसराज पटेल की करें तो वो साल 2013 के चुनाव में निर्दलीय मैदान में उतरे, जिसमें उन्हें 15878 वोट मिले. उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले वो भाजपा में शामिल हो गए थे. 2018 में भी हंसराज टिकट के प्रबल दावेदार के रूप में देखे जा रहे थे, लेकिन उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया. ऐसे में टिकट न मिलने पर वो निर्दलीय चुनाव लड़े और उन्हें 24960 वोट मिले. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने फिर से पार्टी में वापसी की.

कांटे की टक्कर होने की संभावना : पटेल को टिकट मिलने के बाद यहां से भाजपा-कांग्रेस में कांटे का मुकाबला होने की संभावना है. हालांकि, इस सीट पर निर्दलीय भी असरदार रहे हैं, ऐसे में अगर कोई मजबूत चेहरा मैदान में उतरता है तो फिर यहां त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है. वहीं, हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी से उम्मीदवार व पूर्व संसदीय सचिव रामस्वरूप कसाना के निर्णय पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा. इधर. निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या और मजबूती का आंकलन किए जाने के बाद ही मतदाता समीकरण पर कुछ कयास लगा सकेंगे.

भाजपा नेता मुकेश गोयल

कोटपूतली (जयपुर). साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रहे मुकेश गोयल उनका टिकट कटने से नाराज हो गए, जिसके बाद उन्होंने बुधवार को कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई गई. बैठक में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए गोयल भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि वो पार्टी को अपनी मां की मानते हैं, लेकिन टिकट नहीं मिलने से वो अंदर से टूट गए हैं. वहीं, गोयल की इन बातों को सुनकर उनके समर्थन भी आवेग में आ गए और नारेबाजी करने लगे. समर्थकों ने गोयल से संघर्ष करने की अपील की और कहा कि वो उनके साथ हैं. ऐसे में अब कयास लगाया जा रहा है कि गोयल पार्टी से बगावत कर चुनावी मैदान में ताल ठोक सकते हैं.

दिए बगावत के संकेत : इस बीच नाराज भाजपा नेता मुकेश गोयल ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने के संकेत दिए. गोयल ने कहा कि कार्यकर्ताओं और जनता के आदेश के अनुसार वो आगे की रूपरेखा बनाएंगे. दरअसल, भाजपा ने जयपुर कोटपूतली से गुर्जर समाज से आने वाले हंसराज पटेल को प्रत्याशी बनाया है, ताकि जातिगत समीकरण को साधा जा सके. लेकिन क्षेत्र के कद्दावर नेता व पूर्व प्रत्याशी मुकेश गोयल उनका टिकट कटने से नाराज हैं. ऐसे में गोयल की नाराजगी से यहां का चुनावी समीकरण भी बदल गया है. इस बार शुरू से ही जल्द टिकटों की घोषणा के समाचार आ रहे थे, जिसके बाद से ही सभी दावेदार निरंतर प्रयासरत थे. इसी बीच बीते सोमवार को पार्टी ने अपनी पहली सूची जारी कर दी.

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वहीं, पहली सूची इस बात की ओर इशारा है विगत चुनाव की तुलना में इस बार पार्टी ने जातिगत समीकरण पर विशेष ध्यान दिया है. इसी के चलते गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र से गुर्जर समाज के उम्मीदवार को मैदान में उतारा गया. वहीं, अब जल्द ही कांग्रेस भी अपनी पहली सूची जारी करेगी. साथ ही चर्चा है कि कांग्रेस कोटपूतली से गृह राज्यमंत्री राजेंद्र सिंह यादव को एक बार फिर से मैदान में उतार सकती है.

20 साल बाद कोई गुर्जर बना उम्मीदवार : 20 साल बाद किसी राष्ट्रीय पार्टी ने गुर्जर समाज के उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. इससे पहले साल 2003 के चुनाव में कांग्रेस ने हंसराज पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया था. हालांकि, तब उन्हें 32901 वोट मिले थे. उसके बाद 2008 में हंसराज पटेल का टिकट कट गया. ऐसे में वो चुनाव नहीं लड़े और उनकी जगह कांग्रेस ने राजेंद्र सिंह यादव को अपना प्रत्याशी बनाया, लेकिन वो भी चुनाव हार गए थे. 2013 और 2018 में लगातार दो बार राजेंद्र यादव यहां से विधायक चुने गए. वर्तमान में राजेंद्र यादव राज्य के उच्च शिक्षा व गृह राज्यमंत्री हैं.

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बात अगर भाजपा प्रत्याशी हंसराज पटेल की करें तो वो साल 2013 के चुनाव में निर्दलीय मैदान में उतरे, जिसमें उन्हें 15878 वोट मिले. उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले वो भाजपा में शामिल हो गए थे. 2018 में भी हंसराज टिकट के प्रबल दावेदार के रूप में देखे जा रहे थे, लेकिन उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया. ऐसे में टिकट न मिलने पर वो निर्दलीय चुनाव लड़े और उन्हें 24960 वोट मिले. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने फिर से पार्टी में वापसी की.

कांटे की टक्कर होने की संभावना : पटेल को टिकट मिलने के बाद यहां से भाजपा-कांग्रेस में कांटे का मुकाबला होने की संभावना है. हालांकि, इस सीट पर निर्दलीय भी असरदार रहे हैं, ऐसे में अगर कोई मजबूत चेहरा मैदान में उतरता है तो फिर यहां त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है. वहीं, हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी से उम्मीदवार व पूर्व संसदीय सचिव रामस्वरूप कसाना के निर्णय पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा. इधर. निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या और मजबूती का आंकलन किए जाने के बाद ही मतदाता समीकरण पर कुछ कयास लगा सकेंगे.

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