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लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने बागियों को लेकर बनाई ये 'खास' रणनीति

लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा अपनी रणनीति में बदलाव किया है. अब भाजपा, पार्टी से छिटके नेताओं को जोड़ने में लग गई है. पिछले विधानसभा चुनाव में ही घनश्याम तिवाड़ी, पूर्व मंत्री सुरेन्द्र गोयल, हेमसिंह भड़ाना, राजकुमार रिणवां, धनसिंह रावत सहित करीब दो दर्जन ऐसे नेता रहे जो पार्टी से दूर हो गए थे. लेकिन, अब पार्टी अपने फायदे नुकसान को ध्यान में रखते हुए इनकी घर वापसी की कवायद में जुट गई है.

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Published : Feb 21, 2019, 12:07 AM IST

भाजपा ने बागियों को लेकर बनाई ये 'खास' रणनीति

जयपुर. लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा अपनी रणनीति में बदलाव किया है. अब भाजपा, पार्टी से छिटके नेताओं को जोड़ने में लग गई है. पिछले विधानसभा चुनाव में ही घनश्याम तिवाड़ी, पूर्व मंत्री सुरेन्द्र गोयल, हेमसिंह भड़ाना, राजकुमार रिणवां, धनसिंह रावत सहित करीब दो दर्जन ऐसे नेता रहे जो पार्टी से दूर हो गए थे. लेकिन, अब पार्टी अपने फायदे नुकसान को ध्यान में रखते हुए इनकी घर वापसी की कवायद में जुट गई है.


बता दें, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने लोकसभा चुनाव के लिए राजस्थान में बीजेपी की तैयारियों का औपचारिक आगाज कर दिया है तो वहीं संगठन महामंत्री रामलाल भी प्रदेश नेताओं को जीत का मंत्र दे गए. जीत के इस मंत्र में रामलाल ने पार्टी नेताओं से साफ कहा कि विचारधारा के विस्तार और संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी से बिछड़े लोगों को फिर से जोड़ने के काम पर भी ध्यान देना चाहिए. ऐसे में अब केन्द्रीय नेतृत्व से हरी झण्डी मिलने के बाद जल्द ही बीजेपी से छिटके नेताओं की पार्टी में वापसी के आसार बनने लगे हैं. हालांकि इन नेताओं की घर वापसी जिला इकाई की पॉजिटिव रिपोर्ट पर ही की जाएगी.

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विधानसभा चुनाव हार चुकी भाजपा अब लोकसभा चुनाव में किसी तरह का रिस्क लेने के मूढ में नहीं दिख रही है. इसके लिए चाहे उन नेताओं की घर वापसी ही क्यों ना करानी पड़े जो पिछले चुनाव में भाजपा से बगावत कर बाहर हो गए थे और पार्टी के खिलाफ ही मैदान में ताल ठोक दी थी. हाल ही में जयपुर प्रवास पर आए भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने पार्टी के सियासी फायदे नुकसान को देखते हुए ऐसे नेताओं को फिर से पार्टी से जोड़ने की बात कही है. हालांकि संगठन महामंत्री रामलाल ने इस दौरान साफ कर दिया था कि जो नेता पार्टी की विचारधार में भरोसा रखते हो और उनके बीजेपी में जुड़ने से पार्टी को फायदा मिलता हो तो ही संगठन में इन्हें वापस जोड़ा जाएगा.


राष्ट्रीय संगठन महामन्त्री के बयान के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में भी पॉजिटिव रिएक्शन आ रहा है. पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मानना है कि संगठन से बिछड़े लोग फिर जुड़ेंगे तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इसका फायदा मिलना तय है. पूर्व मन्त्री और विधायक कालीचरण सराफ कहते हैं कि अनुशासनहीनता करने वाले लोग फिर से ऐसा नहीं करने का भरोसा दिलाते हैं तो उन्हें लिया जाना संगठन के हित में ही होगा. वहीं बीजेपी के प्रदेश मन्त्री मुकेश दाधीच कहते हैं कि केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देश के बाद विधानसभा चुनाव के सभी बागियों की तो नहीं, लेकिन उन लोगों के घर वापसी के आसार जरूर बढ़ गए हैं जो पार्टी की विचारधारा मजबूत करेंगे और चुनाव के नजरिये से फायदेमंद भी हो सकते हैं.

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संगठन महामंत्री रामलाल के बयान से भाजपा से दूर हुए कई नेताओं के लोकसभा चुनाव से पहले घर वापसी के आसार बनने लगे हैं. हालांकि पहले यह जान ले कि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से बगावत करने वाले प्रमुख नेता कौन हैं जो अब भाजपा से बाहर हैं. ऐसे नेताओं की फेहरिस्त में करीब 2 दर्जन नेताओं के नाम शुमार हैं.


भाजपा से बगावत कर बाहर हुए नेता

  • सुरेन्द्र गोयल -जैतारण, राजकुमार रिणवां-रतनगढ़
  • हेम सिंह भडाना-थानागाजी, धन सिंह रावत-बांसवाडा
  • सुरेश टांक-किशनगढ़, ओम प्रकाश हुड़ला - महुवा
  • देवेन्द्र कटारा-डूंगरपुर, लक्ष्मीनारायण दवे-मारवाड़ जंक्शन
  • नंदलाल बंशीवाल-दौसा, नवनीत लाल नीनामा-घाटोल
  • जीवाराम चौधरी-सांचोर, बालचंद अहीर-रामगंज मंडी
  • राधेश्याम गंगानगर-श्रीगंगानगर, प्रहलाद राय टाक-श्रीगंगानगर
  • कुलदीप धनखड़-विराटनगर, अनिता कटारा-सागवाड़ा
  • किसनाराम नाई-श्रीडूंगरगढ, दीनदयाल कुमावत-फुलेरा
  • देवी सिंह शेखावत-बानसूर, निशिथ(बबलू) चौधरी-झुंझुनूं
  • सुखराम कोली-बसेड़ी, ओम नरानीवाल-भीलवाड़ा
  • उदयलाल भडाना-माण्डल, घनश्याम तिवाड़ी, सांगानेर
    भाजपा ने बागियों को लेकर बनाई ये 'खास' रणनीति

विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों और बगावत के चलते बीजेपी ने दो दर्जन से अधिक प्रमुख नेताओं को पार्टी से निकाला दिया था. हालांकि इनमें से सुरेश टांक चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गए हैं. वहीं ओम प्रकाश हुंडला भी निर्दलीय चुनाव लड़कर विधानसभा तक पहुंच चुके हैं लेकिन, अधिकतर दूसरे नेता चुनाव हार गए. पार्टी नेतृत्व का ये निर्देश राजनीतिक संजीवनी बनता दिख रहा है. वहीं घनश्याम तिवाड़ी ने भले ही अपना नया राजनीतिक दल बना लिया हो लेकिन उनकी चाहत वापस भाजपा में आने की है लेकिन, भाजपा में उनकी वापसी मुश्किल ही लगती है.

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हालांकि बीजेपी के प्रदेश मन्त्री मुकेश दाधीच कहते हैं कि किसी भी कार्यकर्ता की घर वापसी स्थानीय संगठन की सिफारिश पर ही होगी. उनका कहना है कि अगर स्थानीय इकाई को नेता की उपयोगिता लोकसभा चुनाव में लगती है तो उसके सुझाव पर ही घर वापसी का फैसला लिया जाएगा.


बहरहाल भाजपा की कोशिश बिछड़ो को पार्टी से जोड़कर मिशन 25 का लक्ष्य हासिल करना है और इसके लिए भाजपा में राजीनीति के अर्जुन समान नेताओं पर पूरा फोकस है जिनके भाजपा में आने से मिशन 25 का लक्ष्य आसानी से हासिल किया जा सके. हालांकि इसमें प्रदेश नेता कितने कामयाब होते हैं ये तो समय ही बताएंगा.

जयपुर. लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा अपनी रणनीति में बदलाव किया है. अब भाजपा, पार्टी से छिटके नेताओं को जोड़ने में लग गई है. पिछले विधानसभा चुनाव में ही घनश्याम तिवाड़ी, पूर्व मंत्री सुरेन्द्र गोयल, हेमसिंह भड़ाना, राजकुमार रिणवां, धनसिंह रावत सहित करीब दो दर्जन ऐसे नेता रहे जो पार्टी से दूर हो गए थे. लेकिन, अब पार्टी अपने फायदे नुकसान को ध्यान में रखते हुए इनकी घर वापसी की कवायद में जुट गई है.


बता दें, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने लोकसभा चुनाव के लिए राजस्थान में बीजेपी की तैयारियों का औपचारिक आगाज कर दिया है तो वहीं संगठन महामंत्री रामलाल भी प्रदेश नेताओं को जीत का मंत्र दे गए. जीत के इस मंत्र में रामलाल ने पार्टी नेताओं से साफ कहा कि विचारधारा के विस्तार और संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी से बिछड़े लोगों को फिर से जोड़ने के काम पर भी ध्यान देना चाहिए. ऐसे में अब केन्द्रीय नेतृत्व से हरी झण्डी मिलने के बाद जल्द ही बीजेपी से छिटके नेताओं की पार्टी में वापसी के आसार बनने लगे हैं. हालांकि इन नेताओं की घर वापसी जिला इकाई की पॉजिटिव रिपोर्ट पर ही की जाएगी.

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विधानसभा चुनाव हार चुकी भाजपा अब लोकसभा चुनाव में किसी तरह का रिस्क लेने के मूढ में नहीं दिख रही है. इसके लिए चाहे उन नेताओं की घर वापसी ही क्यों ना करानी पड़े जो पिछले चुनाव में भाजपा से बगावत कर बाहर हो गए थे और पार्टी के खिलाफ ही मैदान में ताल ठोक दी थी. हाल ही में जयपुर प्रवास पर आए भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने पार्टी के सियासी फायदे नुकसान को देखते हुए ऐसे नेताओं को फिर से पार्टी से जोड़ने की बात कही है. हालांकि संगठन महामंत्री रामलाल ने इस दौरान साफ कर दिया था कि जो नेता पार्टी की विचारधार में भरोसा रखते हो और उनके बीजेपी में जुड़ने से पार्टी को फायदा मिलता हो तो ही संगठन में इन्हें वापस जोड़ा जाएगा.


राष्ट्रीय संगठन महामन्त्री के बयान के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में भी पॉजिटिव रिएक्शन आ रहा है. पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मानना है कि संगठन से बिछड़े लोग फिर जुड़ेंगे तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इसका फायदा मिलना तय है. पूर्व मन्त्री और विधायक कालीचरण सराफ कहते हैं कि अनुशासनहीनता करने वाले लोग फिर से ऐसा नहीं करने का भरोसा दिलाते हैं तो उन्हें लिया जाना संगठन के हित में ही होगा. वहीं बीजेपी के प्रदेश मन्त्री मुकेश दाधीच कहते हैं कि केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देश के बाद विधानसभा चुनाव के सभी बागियों की तो नहीं, लेकिन उन लोगों के घर वापसी के आसार जरूर बढ़ गए हैं जो पार्टी की विचारधारा मजबूत करेंगे और चुनाव के नजरिये से फायदेमंद भी हो सकते हैं.

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संगठन महामंत्री रामलाल के बयान से भाजपा से दूर हुए कई नेताओं के लोकसभा चुनाव से पहले घर वापसी के आसार बनने लगे हैं. हालांकि पहले यह जान ले कि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से बगावत करने वाले प्रमुख नेता कौन हैं जो अब भाजपा से बाहर हैं. ऐसे नेताओं की फेहरिस्त में करीब 2 दर्जन नेताओं के नाम शुमार हैं.


भाजपा से बगावत कर बाहर हुए नेता

  • सुरेन्द्र गोयल -जैतारण, राजकुमार रिणवां-रतनगढ़
  • हेम सिंह भडाना-थानागाजी, धन सिंह रावत-बांसवाडा
  • सुरेश टांक-किशनगढ़, ओम प्रकाश हुड़ला - महुवा
  • देवेन्द्र कटारा-डूंगरपुर, लक्ष्मीनारायण दवे-मारवाड़ जंक्शन
  • नंदलाल बंशीवाल-दौसा, नवनीत लाल नीनामा-घाटोल
  • जीवाराम चौधरी-सांचोर, बालचंद अहीर-रामगंज मंडी
  • राधेश्याम गंगानगर-श्रीगंगानगर, प्रहलाद राय टाक-श्रीगंगानगर
  • कुलदीप धनखड़-विराटनगर, अनिता कटारा-सागवाड़ा
  • किसनाराम नाई-श्रीडूंगरगढ, दीनदयाल कुमावत-फुलेरा
  • देवी सिंह शेखावत-बानसूर, निशिथ(बबलू) चौधरी-झुंझुनूं
  • सुखराम कोली-बसेड़ी, ओम नरानीवाल-भीलवाड़ा
  • उदयलाल भडाना-माण्डल, घनश्याम तिवाड़ी, सांगानेर
    भाजपा ने बागियों को लेकर बनाई ये 'खास' रणनीति

विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों और बगावत के चलते बीजेपी ने दो दर्जन से अधिक प्रमुख नेताओं को पार्टी से निकाला दिया था. हालांकि इनमें से सुरेश टांक चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गए हैं. वहीं ओम प्रकाश हुंडला भी निर्दलीय चुनाव लड़कर विधानसभा तक पहुंच चुके हैं लेकिन, अधिकतर दूसरे नेता चुनाव हार गए. पार्टी नेतृत्व का ये निर्देश राजनीतिक संजीवनी बनता दिख रहा है. वहीं घनश्याम तिवाड़ी ने भले ही अपना नया राजनीतिक दल बना लिया हो लेकिन उनकी चाहत वापस भाजपा में आने की है लेकिन, भाजपा में उनकी वापसी मुश्किल ही लगती है.

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हालांकि बीजेपी के प्रदेश मन्त्री मुकेश दाधीच कहते हैं कि किसी भी कार्यकर्ता की घर वापसी स्थानीय संगठन की सिफारिश पर ही होगी. उनका कहना है कि अगर स्थानीय इकाई को नेता की उपयोगिता लोकसभा चुनाव में लगती है तो उसके सुझाव पर ही घर वापसी का फैसला लिया जाएगा.


बहरहाल भाजपा की कोशिश बिछड़ो को पार्टी से जोड़कर मिशन 25 का लक्ष्य हासिल करना है और इसके लिए भाजपा में राजीनीति के अर्जुन समान नेताओं पर पूरा फोकस है जिनके भाजपा में आने से मिशन 25 का लक्ष्य आसानी से हासिल किया जा सके. हालांकि इसमें प्रदेश नेता कितने कामयाब होते हैं ये तो समय ही बताएंगा.

Intro:लोकसभा चुनाव से पहले बागियों की घर वापसी से बढ़ सकता है बीजेपी का कुनबा
संगठन महामंत्री के निर्देश के बाद भाजपा में बागियों की घर वापसी पर शुरू हुआ काम
विधानसभा चुनाव से पहले 2 दर्जन से अधिक बागियों को भाजपा ने दिखाया था बाहर का रास्ता


जयपुर (इंट्रो एंकर)

भाजपा सुप्रीमों अमित शाह ने लोकसभा चुनाव के लिए राजस्थान में बीजेपी की तैयारियों का औपचारिक आगाज कर दिया और उसके बाद संगठन महामंत्री रामलाल भी प्रदेश नेताओं को जीत का मंत्र दे गए। जीत के इस मंत्र में रामलाल ने पार्टी नेताओं से साफ कहा कि विचारधारा के विस्तार और संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी से बिछड़े लोगों को फिर से जोड़ने के काम पर भी ध्यान देना चाहिए। अब केन्द्रीय नेतृत्व से हरी झण्डी मिलने के बाद जल्द ही बीजेपी से छिटके नेताओं की पार्टी में वापसी के आसार बनने लगे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में ही घनश्याम तिवाड़ी,पूर्व मंत्री सुरेन्द्र गोयल,हेमसिंह भड़ाना,राजकुमार रिणवां,धनसिंह रावत सहित करीब दो दर्जन ऐसे नेता रहे जो पार्टी से दूर हो हो गए लेकिन अब पार्टी अपने फायदे नुकसान को ध्यान में रखते हुए इनकी घर वापसी की कवायद में जुट गए है। हालांकि इन नेताओं की घर वापसी जिला इकाई की पॉजिटिव रिपोर्ट पर ही की जाएगी।





Body:वीओ 1
विधानसभा चुनाव हार चुकी भाजपा अब लोकसभा चुनाव में किसी तरह का रिस्क लेने के मूढ में नहीं है। इसके लिए चाहे उन नेताओं की घर वापसी ही क्यों ना करानी पडे जो पिछले चुनाव में भाजपा से बगावत के कारण भाजपा से बाहर हुए थे,इससे भी पार्टी पर परहेज नहीं करेगी। हाल ही में जयपुर प्रवास पर आए भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने पार्टी के सियासी फायदे नुकसान को देखते हुए ऐसे नेताओं को फिर से पार्टी से जोड़ने की बात कही है। हालांकि संगठन महामंत्री रामलाल ने इस दौरान साफ कर दिया था कि जो नेता पार्टी की विचारधार में भरोसा रखते हो और उनके बीजेपी में जुडने से पार्टी को फायदा मिलता हो तो ही संगठन में इन्हें वापस जोडा जाए।  राष्ट्रीय संगठन महामन्त्री के बयान के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में भी पॉज़िटिव रिएक्शन आ रहा है। पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मानना है कि संगठन से बिछड़े लोग फिर जुड़ेंगे तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इसका फायदा मिलना तय है। पूर्व मन्त्री और विधायक कालीचरण सराफ कहते हैं कि अनुशासनहीनता करने वाले लोग फिर से ऐसा नहीं करने का भरोसा दिलाते हैं तो उन्हें लिया जाना संगठन के हित में ही होगा। वहीं बीजेपी के प्रदेश मन्त्री मुकेश दाधीच कहते हैं कि केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देश के बाद विधानसभा चुनाव के सभी बागियों की तो नहीं, लेकिन उन लोगों के घर वापसी के आसार ज़रूर बढ़ गए हैं जो पार्टी कि विचारधारा मजबूत करेंगे और चुनाव के नज़रिये से फायदेमंद भी हो सकते है।

बाइट—कालीचरण सराफ,भाजपा विधायक


वीओ 2—
संगठन महामंत्री रामलाल के बयान के भाजपा से दूर हुए कई नेताओं के लोकसभा चुनाव से पहले घर वापसी के आसार बनने लगे है। हालांकि पहले यह जान ले कि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से बगावत करने वाले प्रमुख नेता कौन है जो अब भाजपा से बाहर है। ऐसे नेताओं की फेहरिस्त में करीब 2 दर्जन नेताओं के नाम शुमार है। जो इस प्रकार है...

ग्राफिक्स in...

सुरेन्द्र गोयल -जैतारण, राजकुमार रिणवां-रतनगढ़, 

हेम सिंह भडाना-थानागाजी, धन सिंह रावत-बांसवाडा, 

सुरेश टांक-किशनगढ़, ओम प्रकाश हुड़ला - महुवा,   

देवेन्द्र कटारा-डूंगरपुर, लक्ष्मीनारायण दवे-मारवाड़ जंक्शन, 

नंदलाल बंशीवाल-दौसा, नवनीत लाल नीनामा-घाटोल

जीवाराम चौधरी-सांचोर, बालचंद अहीर-रामगंज मंडी

राधेश्याम गंगानगर-श्रीगंगानगर, प्रहलाद राय टाक-श्रीगंगानगर

कुलदीप धनखड़-विराटनगर, अनिता कटारा-सागवाड़ा

किसनाराम नाई-श्रीडूंगरगढ, दीनदयाल कुमावत-फुलेरा

देवी सिंह शेखावत-बानसूर, निशिथ(बबलू) चौधरी-झुंझुनूं

सुखराम कोली-बसेड़ी, ओम नरानीवाल-भीलवाड़ा

उदयलाल भडाना-माण्डल, घनश्याम तिवाड़ी—सांगानेर

                                           ...ग्राफिक्स out...


वीओ—3
विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधोयों और बगावत के चलते बीजेपी ने दो दर्जन से अधिक प्रमुख नेताओं को पार्टी से निकाला। हालांकि इनमें से सुरेश टांक चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गए है। वहीं ओम प्रकाश हुंडला भी निर्दलीय चुनाव लडकर विधानसभा तक पहुंच चुके है लेकिन अधिकतर दूसरे नेता चुनाव हार गए। पार्टी नेतृत्व का यह निर्देश राजनीतिक संजीवनी बनता दिख रहा है। वहीं घनश्याम तिवाड़ी ने भले ही अपना नया राजनीतिक दल बना लिया हो लेकिन उनकी चाहत वापस भाजपा में आने की है लेकिन भाजपा में उनकी वापसी मुश्किल ही लगती है। हालांकि बीजेपी के प्रदेश मन्त्री मुकेश दाधीच कहते हैं कि किसी भी कार्यकर्ता की घर वापसी स्थानीय संगठन की सिफ़ारिश पर ही होगी।... दाधीच कहते हैं कि अगर स्थानीय इकाई को नेता की उपयोगिता लोकसभा चुनाव में लगती है तो उसके सुझाव पर ही घर वापसी का फ़ैसला होगा। 

बाइट— मुकेश दाधीच,प्रदेश मंत्री,बीजेपी 





Conclusion:वीओ—4
बहरहाल भाजपा की कोशिश बिछड़ो को पार्टी से जोडकर मिशन 25 का लक्ष्य हासिल करना है और इसके लिए भाजपा में राजीनीति के अर्जुन समान नेताओं को पूरा फोकस उन नेताओं पर है जिनके भाजपा में आने से मिशन 25 का लक्ष्य आसानी से हासिल किया जा सके। हालांकि इसमें प्रदेश नेता कितने कामियाब होते है यह तो समय ही बताएंगा। ईटीवी भारत के लिए जयपुर से पीयूष शर्मा की रिपोर्ट।

(Edited vo with pkg-bjp main bhaiyon ki vapsi)
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