जयपुर. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे दिन फ्रंट लॉन में 'द डॉन ऑफ एवरीथिंग' किताब पर चर्चा की गई. लेखक डेविड ने अपनी इस बुक में आइस एज से आज तक हुई प्रगति खासकर आर्कियोलॉजिकल ग्रोथ को अपनी बुक में बताने का प्रयास किया है. अपनी इस बुक पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ये किताब दूसरों से अलग है और इसका असर भी खास लोगों पर ही रहेगा.
जेएलएफ में इतिहासकार डॉ. रेबेका रैग से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि हमारी आर्कियोलॉजी में एस्ट्रोनॉमी की झलक दिखती है. 'द डॉन ऑफ एवरीथिंग' बुक की बात करें तो यहां आठ बिलियन लोग रहते हैं और अलग-अलग तरीके से अपना फोकस रखते हैं. बुक में ओल्ड स्टोन एज की आर्कियोलॉजी से लेकर अब तक की झलक देख सकेंगे. इसे अनफ्रीजिंग आइस एज के रूप में लिया जा सकता है. मास के लिए अलग लिखना जरूरी है. वहीं डेविड ने कहा कि मास के लिए लिखना है तो अपनी राइटिंग के स्तर को थोड़ा हल्का करने की जरूरत है, आज भी अमरीका में नॉलेज बुक से ज्यादा विल स्मिथ की बुक बिक रही है.
लता सुरगाथा का इंग्लिश वर्जन लॉन्च
जेएलएफ में एक अतिरिक्त सत्र जोड़ते हुए यतीन्द्र मिश्र की किताब 'लता सुरगाथा' का इंग्लिश वर्जन लांच किया गया. इस दौरान गीतकार गुलजार ने लता मंगेशकर को याद करते हुए कहा कि मैंने लता जी के लिए 'मेरी आवाज ही पहचान है' गाना लिखा था जो उनका ऑटोग्राफ बन गया था. लता जी हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन गईं थीं. सुबह पूजा के समय लता जी का गाना बजता है तो शादी की रस्मों से लेकर त्योहार भी उनके गानों के बिना अूधरे लगते हैं.
हालांकि बतौर प्रोड्यूसर लता जी बेहद खराब थीं. पैसे की हिफाजत नहीं करती थीं. एक अच्छा प्रोड्यूसर कंजूस होता है. गुलजार ने बॉलीवुड के नाम पर भी ऐतराज जताया. उन्होंने कहा कि बॉलीवुड नाम अच्छा नहीं है. यह उधार लिया हुआ और ओढ़ा हुआ सा लगता है. इस दौरान यतीन्द्र मिश्र ने कहा कि आज फिल्मफेयर में जो बेस्ट प्लेबैक सिंगर का अवॉर्ड मिलता है वह भी लता जी की ही देन है. श्रेया घोषाल, अरिजीत को लताजी का अहसान मानना चाहिए कि उनके चलते आज वे भी ये अवॉर्ड ले पा रहे हैं.
चीन के वुहान से निकला कोरोना: IAS सज्जन सिंह
जयपुर लिटरेचर के मुगल टेंट में हुए सत्र 'प्रोटेक्ट टू नेशन' सेशन में आईएएस सज्जन सिंह यादव और लेखिका प्रियम गांधी मोदी ने दावा किया कि कोरोना वायरस चीन के वुहान से ही निकला है. सज्जन सिंह ने कहा कि वुहान में ही सबसे बड़ी रिसर्च लैब है. वहीं से ये वायरस निकला है. हालांकि डब्ल्यूएचओ ने इसकी अब तक कोई पुष्टि नहीं की है. जबकि यूएस और ब्रिटेन की रिपोर्ट्स में भी वुहान का जिक्र किया गया है. यहां तक कि कोरोना के शुरुआती दिनों में वुहान की लैब में काम करने वाले साइंटिस्ट हॉस्पिटल में एडमिट थे.
वहीं प्रियम गांधी मोदी ने बताया कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत के सामने एक बड़ी चुनौती थी. जब कोविड महामारी ने दस्तक दी उस समय देश में व्याप्त जटिलताओं ने इस बीमारी से लड़ना काफी कठिन बना दिया है. शुरुआती महीनों में कोई दवा, कोई टीका उपलब्ध नहीं था. उस समय हमारा हेल्थ केयर सिस्टम मजबूत नहीं था. हालांकि तब तक कई देशों में इसका तेजी से असर हो गया था. इसके चलते इंडिया में रिसर्च और इस बीमारी की गंभीरता पर काम शुरू हो गया. हमने कुछ ही महीनों में न केवल वैक्सीन बनाई, बल्कि हर वो जरूरत हासिल की जिसकी इस पेंडेमिक में जरूरत थी.