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राहुल की जगह अशोक गहलोत हो सकते हैं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष, लेकिन वो नहीं चाहते...

मीडिया में चर्चा है कि अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं. लेकिन गहलोत चाहते हैं कि राहुल ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहें. वहीं, राहुल गांधी ने इस्तीफा वापस नहीं लिया तो सोनिया गांधी की पहली पसंद गहलोत हो सकते हैं और सोनिया गांधी के कहने पर अशोक गहलोत मना नहीं कर पाएंगे. ऐसे में सवाल है कि राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा या फिर गहलोत ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे.

राहुल की जगह अशोक गहलोत हो सकते हैं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लेकिन वो नहीं चाहते
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Published : Jun 20, 2019, 3:55 PM IST

जयपुर. राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद से ही लगातार सियासी उठापटक चल रही है. जहां पहले मुख्यमंत्री कौन होगा इसके लिए पायलट और गहलोत में जमकर खींचतान चली और अंत में अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बन गए. लेकिन लोकसभा चुनाव में आए नतीजों के बाद एक बार फिर से यहां बदलाव की बातें होने लगी थी, लेकिन अब जो कारण सामने आ रहा है उसमें कहा जा रहा है कि राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से दिए गए इस्तीफे को वापस नहीं लिए जाने पर अशोक गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है क्योंकि अशोक गहलोत ने अपनी काबिलियत को संगठन महामंत्री के तौर पर बताया भी है और उन्हें गांधी परिवार का सबसे विश्वस्त नेता भी माना जाता है.

राहुल की जगह अशोक गहलोत हो सकते हैं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लेकिन वो नहीं चाहते

हालांकि यह सब इतना आसान नहीं है क्योंकि गहलोत खुद नहीं चाहते कि वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. इसी के चलते उन्होंने लगातार प्रयास किया है कि वह राहुल गांधी को मना सके कि वह अध्यक्ष बने रहे लेकिन यह बात साफ है कि गहलोत गांधी परिवार के और खासतौर पर सोनिया गांधी के विश्वस्त नेताओं में से माने जाते हैं. ऐसे में अगर सोनिया गांधी उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की बात कहती हैं तो वह मना भी नहीं करेंगे.

गहलोत राजस्थान में ही रहने की बात कई बार कह चुके हैं और ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि अशोक गहलोत को राष्ट्रीय जिम्मेदारी की बात कही गई हो. पहले भी ऐसा हो चुका है जब लोकसभा चुनाव थे तो कहा गया कि गहलोत की कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद के यूपीए के उम्मीदवार होंगे. उस समय भी गहलोत ने साफ किया था कि यह केवल मीडिया की उपज है. अब एक बार फिर से उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की चर्चाएं शुरू हो गई है लेकिन जिस तरीके से अशोक गहलोत बार-बार यह कहते नजर आए हैं कि वह राजस्थान में ही काम करना चाहते हैं. ऐसे में हो सकता है कि पार्टी उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष तो बनाए ही उसके साथ ही उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री भी बने रहने दे.

कम से कम अगले कुछ महीने तक तो अगर गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है तो यही प्रक्रिया अपनाई जा सकती है और इसी बीच के रास्ते से राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की समस्या भी दूर हो सकती है. वहीं, राजस्थान में भी किसी तरीके के सियासी उठापटक को थामा जा सकता है.


इस वजह से गहलोत बन सकते हैं अध्यक्ष

  • अशोक गहलोत गांधी परिवार के हमेशा से नजदीकी रहे हैं और जब बीता लोकसभा चुनाव राजस्थान में पार्टी हार गई थी तो उन्हें गुजरात का प्रभारी बनाया गया.
  • गुजरात के प्रभारी बनने के बाद उन्होंने जिस रणनीति से पार्टी का काम किया हर वो तारीफ हुई और कहा गया कि राहुल गांधी के साथ ही अशोक गहलोत की रणनीति थी कि पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में आएगी. हालांकि किसी तरीके से भाजपा वहां सरकार बनाने में कामयाब हो गई लेकिन हर कोई जानता है कि उन चुनाव में भाजपा को कितना जोर आया था.
  • गुजरात में निभाई गई जिम्मेदारी का ही असर था कि गहलोत को संगठन महामंत्री बनाया गया. इसके बाद जिस तरीके से गहलोत ने पार्टी को फिर से खड़ा किया. उसे लेकर कांग्रेस में गहलोत की कार्यकुशलता की हर तरफ तारीफ हुई लेकिन जब राजस्थान में चुनाव हुए तो गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बन गए.
  • अब जब राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया है और पार्टी फिर से मुसीबत में है तो गहलोत से ज्यादा विश्वास और पार्टी को चलाने में कुशल व्यक्ति सोनिया गांधी को दिखाई नहीं दे रहा है, लेकिन समस्या यह है कि गहलोत भी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने में इंटरेस्टेड नहीं है और वह राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं लेकिन यह भी गहलोत के समर्थक कह रहे हैं कि अगर सोनिया गांधी कहेगी तो वह इनकार भी नहीं करेंगे. यह कह चुके हैं कि उनके लिए पद कोई महत्व नहीं रखता है.

अगर गहलोत बने राष्ट्रीय अध्यक्ष तो फिर से मुख्यमंत्री कौन होगा...
अगर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो ऐसे में प्रदेश में मुख्यमंत्री पद खाली हो जाएगा और गहलोत की जगह कोई अन्य कांग्रेसी नेता मुख्यमंत्री पद पर बैठेगा और इस रेस में सबसे आगे उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट होंगे. लेकिन अगर गहलोत अपना पद छोड़ते हैं तो ऐसे में वह अगर सचिन पायलट का विरोध करेंगे तो किसी दूसरे नेता का भी नाम गहलोत आगे कर सकते हैं.

ऐसे में एक बार फिर से राजस्थान में इस बात को लेकर रस्साकशी होगी कि मुख्यमंत्री कौन हो हालांकि अभी यह सब बातें कयासों में है.
एक बात साफ है कि अगर पार्टी में गहलोत का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए तय किया तो इस पर निर्णय कम से कम अगले 1 महीने तक नहीं होगा क्योंकि प्रदेश में 27 जून से विधानसभा सत्र है और मजबूत विपक्ष के सामने पार्टी ऐसा कोई काम नहीं करेगी. जिससे कि विपक्ष हावी हो सके. वैसे भी प्रदेश में कानून-व्यवस्था और अवैध बजरी बड़ी समस्या बनी हुई है. ऐसे में राजस्थान में पार्टी की पहली प्राथमिकता इन समस्याओं को दूर करने की होगी और अगर गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया तो राजस्थान में दिक्कत आ सकती है.

ऐसे में 1 महीने का समय तो कम से कम रखा जाएगा और राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर निर्णय नहीं होगा लेकिन राजनीति के जानकार मानते हैं कि अगर 1 महीने का समय गहलोत के जैसे राजनीति के जादूगर को मिला तो उनके लिए यह समय बहुत है. वहीं चर्चा इस बात को लेकर भी है कि पार्टी गहलोत को अगर अभी अध्यक्ष पद पर आसीन करती है तो ऐसे में अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री भी रहेंगे और पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर भी काम करेंगे क्योंकि पार्टी को भी पता है कि अशोक गहलोत का दिल राजस्थान में है ऐसे में वह अचानक उनसे मुख्यमंत्री पद ना लेकर कुछ समय तक उन्हें दोनों पद पर रखेगी.

जयपुर. राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद से ही लगातार सियासी उठापटक चल रही है. जहां पहले मुख्यमंत्री कौन होगा इसके लिए पायलट और गहलोत में जमकर खींचतान चली और अंत में अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बन गए. लेकिन लोकसभा चुनाव में आए नतीजों के बाद एक बार फिर से यहां बदलाव की बातें होने लगी थी, लेकिन अब जो कारण सामने आ रहा है उसमें कहा जा रहा है कि राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से दिए गए इस्तीफे को वापस नहीं लिए जाने पर अशोक गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है क्योंकि अशोक गहलोत ने अपनी काबिलियत को संगठन महामंत्री के तौर पर बताया भी है और उन्हें गांधी परिवार का सबसे विश्वस्त नेता भी माना जाता है.

राहुल की जगह अशोक गहलोत हो सकते हैं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लेकिन वो नहीं चाहते

हालांकि यह सब इतना आसान नहीं है क्योंकि गहलोत खुद नहीं चाहते कि वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. इसी के चलते उन्होंने लगातार प्रयास किया है कि वह राहुल गांधी को मना सके कि वह अध्यक्ष बने रहे लेकिन यह बात साफ है कि गहलोत गांधी परिवार के और खासतौर पर सोनिया गांधी के विश्वस्त नेताओं में से माने जाते हैं. ऐसे में अगर सोनिया गांधी उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की बात कहती हैं तो वह मना भी नहीं करेंगे.

गहलोत राजस्थान में ही रहने की बात कई बार कह चुके हैं और ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि अशोक गहलोत को राष्ट्रीय जिम्मेदारी की बात कही गई हो. पहले भी ऐसा हो चुका है जब लोकसभा चुनाव थे तो कहा गया कि गहलोत की कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद के यूपीए के उम्मीदवार होंगे. उस समय भी गहलोत ने साफ किया था कि यह केवल मीडिया की उपज है. अब एक बार फिर से उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की चर्चाएं शुरू हो गई है लेकिन जिस तरीके से अशोक गहलोत बार-बार यह कहते नजर आए हैं कि वह राजस्थान में ही काम करना चाहते हैं. ऐसे में हो सकता है कि पार्टी उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष तो बनाए ही उसके साथ ही उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री भी बने रहने दे.

कम से कम अगले कुछ महीने तक तो अगर गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है तो यही प्रक्रिया अपनाई जा सकती है और इसी बीच के रास्ते से राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की समस्या भी दूर हो सकती है. वहीं, राजस्थान में भी किसी तरीके के सियासी उठापटक को थामा जा सकता है.


इस वजह से गहलोत बन सकते हैं अध्यक्ष

  • अशोक गहलोत गांधी परिवार के हमेशा से नजदीकी रहे हैं और जब बीता लोकसभा चुनाव राजस्थान में पार्टी हार गई थी तो उन्हें गुजरात का प्रभारी बनाया गया.
  • गुजरात के प्रभारी बनने के बाद उन्होंने जिस रणनीति से पार्टी का काम किया हर वो तारीफ हुई और कहा गया कि राहुल गांधी के साथ ही अशोक गहलोत की रणनीति थी कि पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में आएगी. हालांकि किसी तरीके से भाजपा वहां सरकार बनाने में कामयाब हो गई लेकिन हर कोई जानता है कि उन चुनाव में भाजपा को कितना जोर आया था.
  • गुजरात में निभाई गई जिम्मेदारी का ही असर था कि गहलोत को संगठन महामंत्री बनाया गया. इसके बाद जिस तरीके से गहलोत ने पार्टी को फिर से खड़ा किया. उसे लेकर कांग्रेस में गहलोत की कार्यकुशलता की हर तरफ तारीफ हुई लेकिन जब राजस्थान में चुनाव हुए तो गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बन गए.
  • अब जब राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया है और पार्टी फिर से मुसीबत में है तो गहलोत से ज्यादा विश्वास और पार्टी को चलाने में कुशल व्यक्ति सोनिया गांधी को दिखाई नहीं दे रहा है, लेकिन समस्या यह है कि गहलोत भी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने में इंटरेस्टेड नहीं है और वह राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं लेकिन यह भी गहलोत के समर्थक कह रहे हैं कि अगर सोनिया गांधी कहेगी तो वह इनकार भी नहीं करेंगे. यह कह चुके हैं कि उनके लिए पद कोई महत्व नहीं रखता है.

अगर गहलोत बने राष्ट्रीय अध्यक्ष तो फिर से मुख्यमंत्री कौन होगा...
अगर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो ऐसे में प्रदेश में मुख्यमंत्री पद खाली हो जाएगा और गहलोत की जगह कोई अन्य कांग्रेसी नेता मुख्यमंत्री पद पर बैठेगा और इस रेस में सबसे आगे उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट होंगे. लेकिन अगर गहलोत अपना पद छोड़ते हैं तो ऐसे में वह अगर सचिन पायलट का विरोध करेंगे तो किसी दूसरे नेता का भी नाम गहलोत आगे कर सकते हैं.

ऐसे में एक बार फिर से राजस्थान में इस बात को लेकर रस्साकशी होगी कि मुख्यमंत्री कौन हो हालांकि अभी यह सब बातें कयासों में है.
एक बात साफ है कि अगर पार्टी में गहलोत का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए तय किया तो इस पर निर्णय कम से कम अगले 1 महीने तक नहीं होगा क्योंकि प्रदेश में 27 जून से विधानसभा सत्र है और मजबूत विपक्ष के सामने पार्टी ऐसा कोई काम नहीं करेगी. जिससे कि विपक्ष हावी हो सके. वैसे भी प्रदेश में कानून-व्यवस्था और अवैध बजरी बड़ी समस्या बनी हुई है. ऐसे में राजस्थान में पार्टी की पहली प्राथमिकता इन समस्याओं को दूर करने की होगी और अगर गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया तो राजस्थान में दिक्कत आ सकती है.

ऐसे में 1 महीने का समय तो कम से कम रखा जाएगा और राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर निर्णय नहीं होगा लेकिन राजनीति के जानकार मानते हैं कि अगर 1 महीने का समय गहलोत के जैसे राजनीति के जादूगर को मिला तो उनके लिए यह समय बहुत है. वहीं चर्चा इस बात को लेकर भी है कि पार्टी गहलोत को अगर अभी अध्यक्ष पद पर आसीन करती है तो ऐसे में अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री भी रहेंगे और पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर भी काम करेंगे क्योंकि पार्टी को भी पता है कि अशोक गहलोत का दिल राजस्थान में है ऐसे में वह अचानक उनसे मुख्यमंत्री पद ना लेकर कुछ समय तक उन्हें दोनों पद पर रखेगी.

Intro:मीडिया में चर्चा अशोक गहलोत बन सकते हैं राष्ट्रीय अध्यक्ष लेकिन गहलोत चाहते हैं राहुल ही बने रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अगर राहुल नहीं माने तो सोनिया गांधी की पहली पसंद गहलोत ही लेकिन गहलोत नहीं चाहते राजस्थान छोड़ना हालांकि सोनिया गांधी ने कहा तो गहलोत छोड़ देंगे मुख्यमंत्री का पद लेकिन इसके बाद भी मुख्यमंत्री सबसे बड़े दावेदार पायलट जी बनेंगे इसमें होगी रस्साकशी तो वही बीच का रास्ता निकला तो गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री के साथ बनेंगे कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष


Body:राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद से ही लगातार सियासी उठापटक चल रही है जहां पहले मुख्यमंत्री कौन होगा इसके लिए पायलट और गहलोत में जमकर खींचतान चली और अंत में अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बन गए लेकिन लोकसभा चुनाव में आए नतीजों के बाद एक बार फिर से यहां बदलाव की बातें होने लगी थी लेकिन अब जो कारण सामने आ रहा है उसमें कहा जा रहा है कि राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से दिए गए इस्तीफे को वापस नहीं लिए जाने पर अशोक गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है क्योंकि अशोक गहलोत ने अपनी काबिलियत को संगठन महामंत्री के तौर पर बताया भी है और उन्हें गांधी परिवार का सबसे विश्वस्त नेता भी माना जाता है हालांकि यह सब इतना आसान नहीं है क्योंकि गहलोत खुद नहीं चाहते कि वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने इसी के चलते उन्होंने लगातार प्रयास किया है कि वह राहुल गांधी को मना सके कि वह अध्यक्ष बने रहे लेकिन यह बात साफ है कि गहलोत गांधी परिवार के और खासतौर पर सोनिया गांधी के विश्वस्त नेताओं में से माने जाते हैं ऐसे में अगर सोनिया गांधी उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की बात कहती हैं तो वह मना भी नहीं करेंगे लेकिन गहलोत राजस्थान में ही रहने की बात कई बार कह चुके हैं और ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि अशोक गहलोत को राष्ट्रीय जिम्मेदारी की बात कही गई हो पहले भी ऐसा हो चुका है जब लोकसभा चुनाव थे तो कहा गया कि गहलोत की कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद के एनडीए के उम्मीदवार होंगे उस समय भी गहलोत ने साफ किया था कि यह केवल मीडिया की उपज है अब एक बार फिर से उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की चर्चाएं शुरू हो गई है लेकिन जिस तरीके से अशोक गहलोत बार-बार यह कहते नजर आए हैं कि वह राजस्थान में ही काम करना चाहते हैं ऐसे में हो सकता है कि पार्टी उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष तो बनाए ही उसके साथ ही उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री भी बने रहने दे कम से कम अगले कुछ महीने तक तो अगर गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है तो यही प्रक्रिया अपनाई जा सकती है और इसी बीच के रास्ते से राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की समस्या भी दूर हो सकती है और राजस्थान में भी किसी तरीके के सियासी उठापटक को थामा जा सकता है

यह कारण है कि गहलोत का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए सामने

आया अशोक गहलोत गांधी परिवार के हमेशा से नजदीकी रहे हैं और जब बीता लोकसभा चुनाव राजस्थान में पार्टी हार गई थी तो उन्हें गुजरात का प्रभारी बनाया गया गुजरात के प्रभारी बनने के बाद उन्होंने जिस रणनीति से पार्टी का काम किया हर वो तारीफ हुई और कहा गया कि राहुल गांधी के साथ ही अशोक गहलोत की रणनीति थी कि पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में आएगी हालांकि किसी तरीके से भाजपा वहां सरकार बनाने में कामयाब हो गई लेकिन हर कोई जानता है कि उन चुनाव में भाजपा को कितना जोर आया था गुजरात में निभाई गई जिम्मेदारी का ही असर था कि गहलोत को संगठन महामंत्री बनाया गया इसके बाद जिस तरीके से गहलोत ने पार्टी को फिर से खड़ा किया उसे लेकर कांग्रेसमें गहलोत की कार्यकुशलता की हर तरफ तारीफ हुई लेकिन जब राजस्थान में चुनाव हुए तो गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बन गए अब जब राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया है और पार्टी फिर से मुसीबत में है तो गहलोत से ज्यादा विश्वास और पार्टी को चलाने में कुशल व्यक्ति सोनिया गांधी को दिखाई नहीं दे रहा है लेकिन समस्या यह है कि गहलोत भी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने में इंटरेस्ट नहीं है और वह राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं लेकिन यह भी गहलोत के समर्थक कह रहे हैं कि अगर सोनिया गांधी कहेगी तो वह इंकार भी नहीं करेंगे यह कह चुके हैं कि उनके लिए पद कोई महत्व नहीं रखता है
बाइट अश्क अली टाक पूर्व राज्यसभा सांसद
अगर गहलोत बने राष्ट्रीय अध्यक्ष तो फिर से राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए होगी रस्साकशी हालांकि पायलट सबसे बड़े दावेदार लेकिन गहलोत की इच्छा के बिना नहीं होगा यह काम
अगर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो ऐसे में प्रदेश में मुख्यमंत्री पद खाली हो जाएगा और गहलोत की जगह कोई अन्य कांग्रेसी नेता मुख्यमंत्री पद पर बैठेगा और इस रेस में सबसे आगे उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट होंगे लेकिन अगर गहलोत अपना पद छोड़ते हैं तो ऐसे में वह अगर सचिन पायलट का विरोध करेंगे तो किसी दूसरे नेता का भी नाम गहलोत आगे कर सकते हैं ऐसे में एक बार फिर से राजस्थान में इस बात को लेकर रस्साकशी होगी कि मुख्यमंत्री कौन हो हालांकि अभी यह सब बातें कयासों में है
27 जून से प्रदेश में विधानसभा का सत्र ऐसे में एक महीना तो ऐसा कुछ नहीं होगा इतना समय गहलोत जैसे राजनीति के जादूगर के लिए काफी
एक बात साफ है कि अगर पार्टी में गहलोत का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए ट्रेकिया तो इस पर निर्णय कम से कम अगले 1 महीने तक नहीं होगा क्योंकि प्रदेश में 27 जून से विधानसभा सत्र है और मजबूत विपक्ष के सामने पार्टी ऐसा कोई काम नहीं करेगी जिससे कि विपक्ष हावी हो सके वैसे भी प्रदेश में कानून-व्यवस्था और अवैध बजरी बड़ी समस्या बनी हुई है ऐसे में राजस्थान में पार्टी की पहली प्राथमिकता इन समस्याओं को दूर करने की होगी और अगर गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया तो राजस्थान में दिक्कत आ सकती है ऐसे में 1 महीने का समय दो कम से कम रखा जाएगा और राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर निर्णय नहीं होगा लेकिन राजनीति के जानकार मानते हैं कि अगर 1 महीने का समय गहलोत के जैसे राजनीति के जादूगर को मिला तो उनके लिए यह समय बहुत है वहीं चर्चा इस बात को लेकर भी है की पार्टी गहलोत को अगर अभी अध्यक्ष पद पर आसीन करती है तो ऐसे में अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री भी रहेंगे और पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर भी काम करेंगे क्योंकि पार्टी को भी पता है कि अशोक गहलोत का दिल राजस्थान में है ऐसे में वह अचानक उनसे मुख्यमंत्री पद ना लेकर कुछ समय तक उन्हें दोनों पद पर रखेगी
पीटीसी अजीत


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