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राजस्थान में नए जिले और संभाग की घोषणा से ये नेता हुए मजबूत, निर्दलीयों को भी मिली सौगात

राजस्थान में नए जिले और सम्भाग बनाने की घोषणा से कई नेताओं का कद बढ़ गया है. गहलोत के इस निर्णय से कई नेताओं की ताकत बढ़ गई है. इनमें डोटासरा के साथ रघु शर्मा, रघुवीर मीणा, महेंद्र मालवीय के विधानसभा क्षेत्र को जिला घोषित करने से वे मजबूत हो गए हैं. निर्दलीय विधायकों को भी सौगात मिली है.

few MLAs got advantage of news districts
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Published : Mar 18, 2023, 11:44 AM IST

जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी को चौंकाते हुए 19 नये जिले बनाने की घोषणा कर दी है. जब गहलोत यह घोषणा कर रहे थे तो राजधानी जयपुर में मूसलाधार बरसात हो रही थी, लेकिन लग रहा था जैसे प्रदेश में जिलों की बारिश हो रही हो. बहरहाल चुनावी साल है और गहलोत किसी भी तरह 2023 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी करवा कर और किसी तरह मुख्यमंत्री रहकर और सरकार रिपीट कर इतिहास रचना चाहते हैं. यही कारण है कि उन्होंने सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस के मजबूत जिलों को और मजबूत और कमजोर जिलों पर अपनी पकड़ बनाने का प्रयास किया है.

सीकर को संभाग बनाना और बालोतरा को जिला बना कर उन्होंने पहले से कांग्रेस के लिए मजबूत सीकर और बाड़मेर को और मजबूत बनाने का प्रयास किया है तो वहीं पाली जिला जहां कांग्रेस की एक भी विधानसभा सीट नहीं है और उदयपुर व अजमेर जहां सत्ता पक्ष अपेक्षाकृत कमजोर है वहां सलूंबर ओर केकड़ी को जिला बनाने की घोषणा कर दी है. इसके साथ ही बांसवाड़ा को संभाग बनाकर उन्होंने इन दोनों जिलों में कांग्रेस को मजबूत करने का प्रयास किया है. वहीं सांचौर को जिला बना कर गहलोत ने जालौर जिले को भी मजबूत करने का प्रयास किया है जहां से कांग्रेस को एकमात्र सफलता सुखराम बिश्नोई के रूप में मिली थी.

पढ़ें. Rajasthan Assembly: 30 मार्च से शुरू होगी चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, बोले गहलोत-लोगों को कंफ्यूज कर रहे हैं राठौड़

डोटासरा, रघु शर्मा, रघुवीर मीणा, महेंद्रजीत मालवीय, विश्वेंद्र हुए मजबूत
भले ही यह कहा जाए की जिलों की घोषणा जनसंख्या जिला मुख्यालय से दूरी को आधार बनाकर की गई है, लेकिन हकीकत यह है की चुनावी साल में गहलोत ने अपना पॉलिटिकल मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है और यह भी बता दिया है कि कौन गहलोत सरकार में मजबूत है. जिले और संभाग की सूची को देखा जाए तो साफ देखा जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सब पर भारी पड़े हैं. वहीं रघु शर्मा, रघुवीर मीणा, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, विश्वेंद्र सिंह और ज्यादा मजबूत हो गए हैं.

डोटासरा कांग्रेस अध्यक्ष के साथ ही सीकर के सबसे पॉवरफुल नेता
गोविंद सिंह डोटासरा राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष होने के नाते वैसे भी मजबूत हैं लेकिन सीकर को संभाग बनवाकर और नीमकाथाना को जिला बनवाकर उन्होंने अपनी ताकत का एहसास करवाया है कि वह सीकर के काफी पावरफुल नेता हैं. जबकि नीमकाथाना से विधायक सुरेश मोदी हैं जो पायलट कैंप के हैं लेकिन उसके बावजूद डोटासरा ने राजस्थान कांग्रेस के कोषाध्यक्ष सीताराम अग्रवाल का चेहरा आगे करवाकर नीमकाथाना को अपनी गारंटी पर जिला बनवाया है.

पढ़ें. new districts in rajasthan: 19 नए जिले और तीन नए संभाग की घोषणा, राजस्थान में अब 50 जिले

अजमेर में अब पायलट नहीं रघु शर्मा बड़े नेता स्थापित
कांग्रेस पार्टी के लिए अजमेर जिला भी पिछले चुनाव में बुरे नतीजे वाला था जहां जिले में 8 विधानसभा में से केवल केकड़ी और मसूदा 2 विधानसभा सीटें ही कांग्रेस के पास थीं. इसमें भी अजमेर में सचिन पायलट का पूरा दखल था. ऐसे में केकड़ी को जिला बना कर गहलोत ने यह बता दिया है कि रघु शर्मा अब अजमेर की राजनीति के प्रमुख केंद्र रहेंगे.

रघुवीर मीणा भले ही लगातार चुनाव हार रहे हों, लेकिन उनकी विधानसभा सलूंबर को जिला बनाने की घोषणा कर गहलोत ने उनकी ताकत बढ़ा दी है. वहीं हमेशा यह कहा जाता है कि उदयपुर संभाग यानी उदयपुर और बांसवाड़ा में जिस पार्टी की ज्यादा सीटें आती हैं वही सत्ता में आती है. ऐसे में गहलोत ने अपेक्षाकृत कमजोर उदयपुर को साधने का प्रयास किया है जहां 8 में से 2 सीटें ही कांग्रेस के पास वर्तमान में हैं.

बांसवाड़ा जिले में मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय का वैसे भी एक छत्र एकाधिकार रहा है. ऐसे में बांसवाड़ा को संभाग बनाकर गहलोत ने पूरे आदिवासी क्षेत्र को साधने का प्रयास किया है. इसके जरिए महेंद्रजीत सिंह मालवीय को मजबूती दी गई है.

पायलट छोड़ गहलोत के पाले में आए तो डीग को जिला बनवाया
कभी पायलट के समर्थक माने जाने वाले और उनके समर्थन के चलते अपना पद गंवाने वाले विश्वेंद्र सिंह ने अब गहलोत का दामन थाम लिया है. इसका फायदा भी सीधे तौर पर सीएम ने उन्हें दिया है और भरतपुर के डीग को जिला बना दिया है. डीग विश्वेन्द्र सिंह का विधानसभा क्षेत्र रहा है.

पढ़ें. अब जोधपुर संभाग व जिले का भूगोल बदलेगा सियासी परिदृश्य, यहां समझें पूरा समीकरण

पाली में रहे हाथ खाली तो सम्भाग बनाकर मजबूती देने का हुआ प्रयास
पाली जिला कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ी मुश्किल है. कांग्रेस पार्टी का यहां एक भी विधायक नहीं है. ऐसे में जिले को मजबूती देने के लिए गहलोत ने पाली को संभाग बनाने का मास्टर स्ट्रोक खेला है. यही हाल कांग्रेस का जालोर जिले में भी है जहां केवल एक मात्र कांग्रेस विधायक मंत्री सुखराम बिश्नोई हैं. ऐसे में गहलोत ने सांचौर को जिला बनाकर कमजोर क्षेत्र में पार्टी को मजबूत करने का प्रयास किया है.

बाबूलाल नागर और रामकेस मीना को भी दी मजबूती
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जो जिले बनाए हैं उनमें गंगापुर सिटी और दूदू के नाम भी शामिल है. इन दोनों के जिले बनने की संभावना दूर-दूर तक नहीं थी लेकिन गहलोत ने अपने दोनों सलाहकारों व निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा और बाबूलाल नागर को इस फैसले से मजबूत किया है. यह दोनों विधायक गहलोत के कट्टर समर्थक होने के साथ ही सचिन पायलट का विरोध भी करते रहे हैं.

अब पहनेंगे मदन प्रजापत जूते, लेकिन कन्फ्यूजन में जयपुर...
पिछले एक साल से बालोतरा को जिला बनाने की मांग के साथ नंगे पैर चल रहे कांग्रेस विधायक मदन प्रजापत की मांग पूरी हो गई है. ऐसे में अब वह फिर से जूते पहने नजर आएंगे. सवाल ये है कि जयपुर के लोगों के लिए अब राजस्थान की राजधानी जयपुर उत्तर कहलाएगा या जयपुर दक्षिण.

जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी को चौंकाते हुए 19 नये जिले बनाने की घोषणा कर दी है. जब गहलोत यह घोषणा कर रहे थे तो राजधानी जयपुर में मूसलाधार बरसात हो रही थी, लेकिन लग रहा था जैसे प्रदेश में जिलों की बारिश हो रही हो. बहरहाल चुनावी साल है और गहलोत किसी भी तरह 2023 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी करवा कर और किसी तरह मुख्यमंत्री रहकर और सरकार रिपीट कर इतिहास रचना चाहते हैं. यही कारण है कि उन्होंने सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस के मजबूत जिलों को और मजबूत और कमजोर जिलों पर अपनी पकड़ बनाने का प्रयास किया है.

सीकर को संभाग बनाना और बालोतरा को जिला बना कर उन्होंने पहले से कांग्रेस के लिए मजबूत सीकर और बाड़मेर को और मजबूत बनाने का प्रयास किया है तो वहीं पाली जिला जहां कांग्रेस की एक भी विधानसभा सीट नहीं है और उदयपुर व अजमेर जहां सत्ता पक्ष अपेक्षाकृत कमजोर है वहां सलूंबर ओर केकड़ी को जिला बनाने की घोषणा कर दी है. इसके साथ ही बांसवाड़ा को संभाग बनाकर उन्होंने इन दोनों जिलों में कांग्रेस को मजबूत करने का प्रयास किया है. वहीं सांचौर को जिला बना कर गहलोत ने जालौर जिले को भी मजबूत करने का प्रयास किया है जहां से कांग्रेस को एकमात्र सफलता सुखराम बिश्नोई के रूप में मिली थी.

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डोटासरा, रघु शर्मा, रघुवीर मीणा, महेंद्रजीत मालवीय, विश्वेंद्र हुए मजबूत
भले ही यह कहा जाए की जिलों की घोषणा जनसंख्या जिला मुख्यालय से दूरी को आधार बनाकर की गई है, लेकिन हकीकत यह है की चुनावी साल में गहलोत ने अपना पॉलिटिकल मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है और यह भी बता दिया है कि कौन गहलोत सरकार में मजबूत है. जिले और संभाग की सूची को देखा जाए तो साफ देखा जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सब पर भारी पड़े हैं. वहीं रघु शर्मा, रघुवीर मीणा, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, विश्वेंद्र सिंह और ज्यादा मजबूत हो गए हैं.

डोटासरा कांग्रेस अध्यक्ष के साथ ही सीकर के सबसे पॉवरफुल नेता
गोविंद सिंह डोटासरा राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष होने के नाते वैसे भी मजबूत हैं लेकिन सीकर को संभाग बनवाकर और नीमकाथाना को जिला बनवाकर उन्होंने अपनी ताकत का एहसास करवाया है कि वह सीकर के काफी पावरफुल नेता हैं. जबकि नीमकाथाना से विधायक सुरेश मोदी हैं जो पायलट कैंप के हैं लेकिन उसके बावजूद डोटासरा ने राजस्थान कांग्रेस के कोषाध्यक्ष सीताराम अग्रवाल का चेहरा आगे करवाकर नीमकाथाना को अपनी गारंटी पर जिला बनवाया है.

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अजमेर में अब पायलट नहीं रघु शर्मा बड़े नेता स्थापित
कांग्रेस पार्टी के लिए अजमेर जिला भी पिछले चुनाव में बुरे नतीजे वाला था जहां जिले में 8 विधानसभा में से केवल केकड़ी और मसूदा 2 विधानसभा सीटें ही कांग्रेस के पास थीं. इसमें भी अजमेर में सचिन पायलट का पूरा दखल था. ऐसे में केकड़ी को जिला बना कर गहलोत ने यह बता दिया है कि रघु शर्मा अब अजमेर की राजनीति के प्रमुख केंद्र रहेंगे.

रघुवीर मीणा भले ही लगातार चुनाव हार रहे हों, लेकिन उनकी विधानसभा सलूंबर को जिला बनाने की घोषणा कर गहलोत ने उनकी ताकत बढ़ा दी है. वहीं हमेशा यह कहा जाता है कि उदयपुर संभाग यानी उदयपुर और बांसवाड़ा में जिस पार्टी की ज्यादा सीटें आती हैं वही सत्ता में आती है. ऐसे में गहलोत ने अपेक्षाकृत कमजोर उदयपुर को साधने का प्रयास किया है जहां 8 में से 2 सीटें ही कांग्रेस के पास वर्तमान में हैं.

बांसवाड़ा जिले में मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय का वैसे भी एक छत्र एकाधिकार रहा है. ऐसे में बांसवाड़ा को संभाग बनाकर गहलोत ने पूरे आदिवासी क्षेत्र को साधने का प्रयास किया है. इसके जरिए महेंद्रजीत सिंह मालवीय को मजबूती दी गई है.

पायलट छोड़ गहलोत के पाले में आए तो डीग को जिला बनवाया
कभी पायलट के समर्थक माने जाने वाले और उनके समर्थन के चलते अपना पद गंवाने वाले विश्वेंद्र सिंह ने अब गहलोत का दामन थाम लिया है. इसका फायदा भी सीधे तौर पर सीएम ने उन्हें दिया है और भरतपुर के डीग को जिला बना दिया है. डीग विश्वेन्द्र सिंह का विधानसभा क्षेत्र रहा है.

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पाली में रहे हाथ खाली तो सम्भाग बनाकर मजबूती देने का हुआ प्रयास
पाली जिला कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ी मुश्किल है. कांग्रेस पार्टी का यहां एक भी विधायक नहीं है. ऐसे में जिले को मजबूती देने के लिए गहलोत ने पाली को संभाग बनाने का मास्टर स्ट्रोक खेला है. यही हाल कांग्रेस का जालोर जिले में भी है जहां केवल एक मात्र कांग्रेस विधायक मंत्री सुखराम बिश्नोई हैं. ऐसे में गहलोत ने सांचौर को जिला बनाकर कमजोर क्षेत्र में पार्टी को मजबूत करने का प्रयास किया है.

बाबूलाल नागर और रामकेस मीना को भी दी मजबूती
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जो जिले बनाए हैं उनमें गंगापुर सिटी और दूदू के नाम भी शामिल है. इन दोनों के जिले बनने की संभावना दूर-दूर तक नहीं थी लेकिन गहलोत ने अपने दोनों सलाहकारों व निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा और बाबूलाल नागर को इस फैसले से मजबूत किया है. यह दोनों विधायक गहलोत के कट्टर समर्थक होने के साथ ही सचिन पायलट का विरोध भी करते रहे हैं.

अब पहनेंगे मदन प्रजापत जूते, लेकिन कन्फ्यूजन में जयपुर...
पिछले एक साल से बालोतरा को जिला बनाने की मांग के साथ नंगे पैर चल रहे कांग्रेस विधायक मदन प्रजापत की मांग पूरी हो गई है. ऐसे में अब वह फिर से जूते पहने नजर आएंगे. सवाल ये है कि जयपुर के लोगों के लिए अब राजस्थान की राजधानी जयपुर उत्तर कहलाएगा या जयपुर दक्षिण.

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