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न्यूनतम मानदेय में गुजारा कर रही हैं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता

प्रदेश में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के बढ़े मानदेय की राशि मिलने का पिछले कुछ समय से इंतजार है. वहीं सामने आया है कि बीते करीब 10 माह से केंद्र सरकार की ओर से राशि रिलीज नहीं किए जाने के कारण मानदेय भुगतान अटका पड़ा है. मंत्री ममता भूपेश का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से पैसा रिलीज किए जाने के साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय मिल पाएगा.

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Published : Jul 14, 2019, 5:35 PM IST

न्यूनतम मानदेय में गुजारा कर रही हैं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता

जयपुर. वैसे तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की शिकायत रहती है कि विभाग की ओर से उनसे जितना काम करवाया जाता है, उतना मानदेय नहीं दिया जाता. लेकिन अजीब बात यह भी है कि जितना आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय निर्धारित है, लाखों कार्यकर्ता उसके लिए भी तरस रही है.

न्यूनतम मानदेय में गुजारा कर रही हैं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आंगनबाड़ी केंद्रों के साथ-साथ चिकित्सा विभाग का भी काम संभालती है. उनकी मेहनत और आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने अक्टूबर से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का 1500 रुपए तक का मानदेय बढ़ाया था, लेकिन राजस्थान की एक लाख से ज्यादा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने हक के लिए तरस रही हैं.

10 महीने से केंद्र सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की राशि रिलीज ही नहीं की है, जिसमें कार्यकर्ताओं का 60 फीसदी केंद्र सरकार और 40 फीसदी मानदेय राज्य सरकार वहन करती है. इस मामले पर मंत्री ममता भूपेश का कहना है कि केंद्र सरकार से राशि रिलीज नहीं हो पाई है. इसके लिए हमने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है जब केंद्र सरकार हमें पैसा रिलीज करेगी, तब आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय मिल पाएगा.

केंद्र सरकार से 50 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि अटकी

विभागीय अधिकारियों के अनुसार प्रदेश में 62 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों पर 56 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता और 56 हजार हेल्पर कार्यरत हैं. केंद्र सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का 1500 रुपए, मिनी कार्यकर्ताओं का 1250 और हेल्पर का 750 रुपए मानदेय बढ़ाया था. इस हिसाब से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का 10 महीने का 84 करोड़ रुपए अटका हुआ है. जिसमें से 60 फीसदी के हिसाब से 50 करोड़ 40 लाख रुपए केंद्र सरकार से आना बाकी है.

ऐसे ही मिनी कार्यकर्ताओं की बात करें तो 10 महीने का 75 लाख रुपए बकाया है. जिसमें से केंद्र सरकार का 45 लाख रुपए अटका है. वहीं हेल्पर्स का बकाया निकालें तो करीब चार करोड़ बनते हैं. इस हिसाब से 2 करोड़ 52 लाख रुपए केंद्र से अटका हुआ है.

राज्य सरकार ने बजट में आंगनबाड़ी, सहायिका का तो मानदेय बढ़ा दिया, लेकिन आशा सहयोगिनी, ग्राम साथिन और शिशु गृह पालना कार्यकर्ता का मानदेय नहीं बढ़ाया. वहीं आशा मात्र 2500 रुपए मानदेय पर काम कर रही हैं. वहीं साथिन 3300 रुपए और शिशु पालना गृह कार्यकर्ता 3 हजार रुपए मानदेय में काम कर रही है. इसके चलते आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की उम्मीदें अब टूटने लगी है. ऐसे में क्या 10 महीने का एरियर उन्हें समय से मिल पाएगा या नहीं यह एक बड़ा सवाल है.

जयपुर. वैसे तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की शिकायत रहती है कि विभाग की ओर से उनसे जितना काम करवाया जाता है, उतना मानदेय नहीं दिया जाता. लेकिन अजीब बात यह भी है कि जितना आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय निर्धारित है, लाखों कार्यकर्ता उसके लिए भी तरस रही है.

न्यूनतम मानदेय में गुजारा कर रही हैं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आंगनबाड़ी केंद्रों के साथ-साथ चिकित्सा विभाग का भी काम संभालती है. उनकी मेहनत और आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने अक्टूबर से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का 1500 रुपए तक का मानदेय बढ़ाया था, लेकिन राजस्थान की एक लाख से ज्यादा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने हक के लिए तरस रही हैं.

10 महीने से केंद्र सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की राशि रिलीज ही नहीं की है, जिसमें कार्यकर्ताओं का 60 फीसदी केंद्र सरकार और 40 फीसदी मानदेय राज्य सरकार वहन करती है. इस मामले पर मंत्री ममता भूपेश का कहना है कि केंद्र सरकार से राशि रिलीज नहीं हो पाई है. इसके लिए हमने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है जब केंद्र सरकार हमें पैसा रिलीज करेगी, तब आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय मिल पाएगा.

केंद्र सरकार से 50 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि अटकी

विभागीय अधिकारियों के अनुसार प्रदेश में 62 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों पर 56 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता और 56 हजार हेल्पर कार्यरत हैं. केंद्र सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का 1500 रुपए, मिनी कार्यकर्ताओं का 1250 और हेल्पर का 750 रुपए मानदेय बढ़ाया था. इस हिसाब से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का 10 महीने का 84 करोड़ रुपए अटका हुआ है. जिसमें से 60 फीसदी के हिसाब से 50 करोड़ 40 लाख रुपए केंद्र सरकार से आना बाकी है.

ऐसे ही मिनी कार्यकर्ताओं की बात करें तो 10 महीने का 75 लाख रुपए बकाया है. जिसमें से केंद्र सरकार का 45 लाख रुपए अटका है. वहीं हेल्पर्स का बकाया निकालें तो करीब चार करोड़ बनते हैं. इस हिसाब से 2 करोड़ 52 लाख रुपए केंद्र से अटका हुआ है.

राज्य सरकार ने बजट में आंगनबाड़ी, सहायिका का तो मानदेय बढ़ा दिया, लेकिन आशा सहयोगिनी, ग्राम साथिन और शिशु गृह पालना कार्यकर्ता का मानदेय नहीं बढ़ाया. वहीं आशा मात्र 2500 रुपए मानदेय पर काम कर रही हैं. वहीं साथिन 3300 रुपए और शिशु पालना गृह कार्यकर्ता 3 हजार रुपए मानदेय में काम कर रही है. इसके चलते आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की उम्मीदें अब टूटने लगी है. ऐसे में क्या 10 महीने का एरियर उन्हें समय से मिल पाएगा या नहीं यह एक बड़ा सवाल है.

Intro:जयपुर- वैसे तो आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की शिकायत रहती है कि उनसे जितना काम करवाया जाता है उतना मानदेय नहीं दिया जाता लेकिन सबसे अजीब बात यह भी है कि जितना आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय निर्धारित है, उसके लिए लाखों कार्यकर्ता तरस रही है।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आंगनबाड़ी केंद्रों के साथ-साथ चिकित्सा विभाग का भी काम संभालती है। उनकी मेहनत और आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने अक्टूबर से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं 1500 रुपए तक का मानदेय बढ़ाया, लेकिन राजस्थान की एक लाख से ज्यादा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने हक के लिए तरस रही है। 10 महीने से केंद्र सरकार ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की राशि रिलीज ही नहीं की है, जिसमें कार्यकर्ताओं का 60 फीसदी केंद्र सरकार और 40 फ़ीसदी मानदेय राज्य सरकार वहन करती है। इस मामले पर मंत्री ममता भूपेश का कहना है कि केंद्र सरकार से राशि रिलीज नहीं हो पाई है। इसके लिए हमने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है जब केंद्र सरकार हमें पैसा रिलीज करेगी तब आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय मिल पाएगा।


Body:केंद्र सरकार से 51 करोड़ 10 लाख 20हजार रुपए अटके
प्रदेश में 62 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों पर 56 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता और 56हजार हेल्पर कार्यरत है। केंद्र सरकार ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का 1500 रुपए, मिनी कार्यकर्ताओं का 1250 और हेल्पर का साडे 750 रुपये बढ़ाया था। इस हिसाब से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं 10 महीने का 84 करोड रुपए अटका है जिसमें से 60 फीसदी के हिसाब से 50 करोड़ 40 लाख रुपए केंद्र सरकार से आना बाकी है।

ऐसे ही मिनी कार्यकर्ताओं की बात करें तो 10 महीने का 75 लाख रुपए बकाया है, जिसमें से केंद्र सरकार का 45 लाख रुपये अटका है। वही हेल्पर्स का बकाया निकाले तो चार करोड़ 20 बनते है। इस हिसाब से 2 करोड़ 52 लाख रुपए केंद्र से अटका हुआ है।

राज्य सरकार ने बजट में आंगनबाड़ी, सहायिका का तो मानदेय बड़ा दिया लेकिन आशा सहयोगनी, ग्राम साथिन और शिशु गृह पालना कार्यकर्ता का मानदेय नहीं बढ़ाया। वही आशा मात्र 2500 रुपए मानदेय पर काम कर रही है वही साथिन 3300 रुपए और शिशु पालना गृह कार्यकर्ता 3 हजार रुपये मानदेय में काम कर रही है।


Conclusion:ऐसे में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की उम्मीदें अब टूटने लगी है। ऐसे में क्या 10 महीने का एरियर समय से मिल पाएगा या नहीं यह वाक्य बड़ा सवाल है।

बाईट- छोटेलाल बुनकर, प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान आंगनबाड़ी संघ
बाईट- ममता भूपेश, मंत्री, महिला एवं बाल विकास विभाग
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