जयपुर. अनंत चतुर्दशी व्रत (Anant Chaturdashi 2022) का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. इस पर्व को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है. यह दिन कई अवतारों के भगवान विष्णु को याद करता है. हिंदू कैलेंडर में भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष के 14वें दिन आने वाला यह त्योहार एकता और एक समान भाईचारे की भावना का जश्न मनाता है.
अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु को प्रणाम करके उनकी भुजा पर धागा बांधा जाता है. यह धागा या तो रेशम का धागा या सूती हो सकता है और इसमें 14 गांठें होनी चाहिए. गणेश विसर्जन भी अनंत चौदस के दिन ही मनाया जाता है. पूरा देश इस पर्व को बड़े ही जोश और उत्साह के साथ मनाता है. इस साल अनंत चतुर्दशी का त्योहार 9 सितंबर 2022 शुक्रवार यानि आज मनया जा रहा है. मान्यता है कि जो भी श्री हरिविष्णु की विधि पूर्वक पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इस दिन सच्चे मन से पूजा करने से भगवान प्रसन्न होकर भक्तों के सारे दुख दूर कर देते हैं.
अनंत चतुर्दशी पूजा विधि और व्रत- अग्नि पुराण में व्रत का महत्व बताया गया है. यह दिन भगवान विष्णु के अनंत रूपों की याद दिलाता है. आइए जानते हैं इसकी पूजा विधि-
- इस दिन स्नान के बाद धनुष लेकर पूजन वेदी पर कलश रखें.
- इसमें कुश से बना अष्टदल कमल फूलदान पर स्थापित करें.
- अगर संभव हो तो भगवान विष्णु की तस्वीर का भी उपयोग कर सकते हैं.
- इसके बाद सिंदूर, केसर और हल्दी में डुबोकर 14 गांठों वाला धागा तैयार कर लें.
- इस धागे को भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने रखें.
- अब षोडशोपचार विधि से सूत और भगवान की मूर्ति की पूजा करें.
पूजा के बाद इस मंत्र का जाप करें- अनंत संसार महासुमद्रे मृं सम्भ्वड्र वासुदेव. अनंतरूपे विनिजयस्व ह्रानंतसूत्रेय नमो नमस्ते. इसके बाद पुरुषों को ये धागा अपने बाएं हाथ पर बांधना चाहिए और महिलाओं को इसे अपने दाहिने हाथ के चारों ओर पहनना चाहिए. इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अपने पूरे परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें.
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अनंत चतुर्दशी का महत्व- पौराणिक कथाओं के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के त्योहार की जड़ें महाकाव्य महाभारत में हैं. इस दिन को भगवान विष्णु के दिन के रूप में मनाया जाता है. भगवान ने 14 लोक, ताल, अटल, प्राण, सुतल, तलातल, रसताल, पाताल, भी, भुव, जन, तप, सत्य, मह की रचना की. इनका पालन करने और उनकी रक्षा करने के लिए, वे 14 विभिन्न अवतारों के रूप में इस नश्वर संसार में आए, जिसने उन्हें अनंत होने का नाम दिया. इसलिए अनंत चतुर्दशी के दिन का बहुत महत्व है, क्योंकि आप स्वयं सृष्टि के स्वामी को प्रसन्न कर सकते हैं और उनके सर्वोत्तम आशीर्वाद से धन्य हो सकते हैं. इस दिन किए जाने वाले व्रत का भी विशेष महत्व है.
यह भी माना जाता है कि इस दिन उपवास के साथ-साथ कोई भी व्यक्ति विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. वह भगवान से जो चाहता है उसे प्राप्त करता है. यह व्रत व्यक्ति के जीवन में धन, प्रचुरता और समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है. पर्याप्त धन, सुख और संतान आदि की इच्छा मनुष्य को अपने नश्वर अस्तित्व पर भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए लुभाती है. यह व्रत भारत के कई राज्यों में प्रचलित है. इस दिन परिवार के सदस्यों द्वारा भगवान विष्णु की लोक कथाएं सुनी जाती हैं.
अनंत चतुर्दशी का मुहूर्त
- चतुर्दशी तिथि प्रारंभ : 8 सितंबर 2022,गुरुवार, सायं 4:30 बजे
- चतुर्दशी तिथि समाप्त: 9 सितंबर 2022, शुक्रवार,दोपहर 1:30 पर
- 9 सितंबर 2022, शुक्रवार, प्रातः 6:30 बजे से 1:30 बजे तक