जयपुर. जयपुर पुलिस के मुखिया आनंद श्रीवास्तव का तबादला एडीजी (कानून-व्यवस्था) के पद पर होने पर बुधवार को रिजर्व पुलिस लाइन में पुलिस अधिकारियों और स्टाफ ने उन्हें विदाई दी. इससे पहले उन्होंने सभी एसीपी और थानाधिकारियों की संपर्क सभा को भी संबोधित किया.
विदाई समारोह के मौके पर मीडिया से बातचीत में उन्होंने कोरोना के कठिन समय को याद करते हुए जयपुर पुलिस द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की. अपराध के बदलते पैटर्न के सवाल पर उन्होंने कहा कि सामाजिक बदलाव और तकनीक के विकास से अपराध का पैटर्न बदला है. लेकिन पुलिस भी अपने आप को लगातार अपडेट और स्किल्ड किया जा रहा है. मीडिया से बातचीत करते हुए आनंद श्रीवास्तव ने कहा कि वे पुलिस कमिश्नर के अलावा भी लंबे समय तक जयपुर में अलग-अलग पदों पर रहे हैं.
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जयपुर पुलिस से उनका एसोसिएशन करीब 12 साल का है. इस दौरान जवानों और अधिकारियों ने हमेशा कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है. उन्होंने कहा कि पुलिस की ड्यूटी में नित नई चुनौतियां आती हैं. उनका समाधान तभी संभव है. जब हम एक टीम के तौर पर काम करें. जयपुर पुलिस भी एक ऐसी ही टीम है. जिसमें करीब 13000 लोग काम करते हैं. उन्होंने पुलिस लाइन में नवनिर्मित सेमिनार कक्ष का लोकार्पण किया और उत्कृष्ट काम करने वाले पुलिसकर्मियों को सम्मानित किया. पुलिसकर्मियों के बच्चों को भी उत्कृष्ट परिणाम के लिए सम्मानित किया गया.
तकनीक के विकास से बदला अपराध का पैटर्नः अपराध के पैटर्न में बदलाव के सवाल पर उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे सामाजिक तौर तरीके बदले हैं, तकनीक का विकास हुआ है. अपराध का तरीका भी बदला है. पहले अपराधी अपने आसपास के 30 किलोमीटर के इलाके में अपराध करता था. अब 400-500 किलोमीटर दूर बैठे अपराधी भी आपस में जुड़े हैं और एक गैंग के रूप में काम कर रहे हैं. विदेश में बैठकर बदमाश यहां धमकियां दे रहे हैं. यह नई तरीके की चुनौती है. साइबर क्राइम और फाइनेंशियल क्राइम एक नई चुनौती है. जयपुर पुलिस और राजस्थान पुलिस उनका सफलतापूर्वक सामना करते हुए अपने आप को लगातार बदल रही है. स्टाफ को लगातार अपडेट किया जा रहा है.
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कोरोना की महामारी बड़ी चुनौतीः उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी अपने आप में एक नई समस्या और नई चुनौती थी. जिससे न केवल पुलिस बल्कि समाज के हर वर्ग पर असर पड़ा है. इस विकट दौर में जयपुर पुलिस ने रात दिन एक करके काम किया है. कोरोना की पहली लहर में जब इस महामारी को लेकर काफी भय था. जयपुर शहर में जहां करीब 15-16 लाख लोग रहते हैं. उस इलाके में लॉकडाउन को कायम रखना और सब लोगों तक मूलभूत जरूरत की चीजें पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं था. लेकिन जयपुर पुलिस ने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया. हर पुलिस स्टेशन में खाने के पैकेट के अलावा कच्चा राशन भी रखा जाता था. ताकि जरूरतमंदों तक खाना पहुंचाया जा सके.
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नेत्रहीन बच्चों की स्कूल को पुलिस ने लिया था गोदः उन्होंने एक वाकया याद करते हुए कहा कि लॉकडाउन के तीसरे दिन पता चला कि कोतवाली थाना इलाके में नेत्रहीन बच्चों का एक स्कूल है. लॉकडाउन के कारण वहां खाना बनाने वाली कर्मचारी नहीं आ पाई. इस पर किसी का ध्यान नहीं गया. जब पता चला कि वहां करीब 40 बच्चे हैं. जिनके पास दो दिन से खाना तक नहीं पहुंचा है. जैसे ही यह बात पुलिस को पता चली, तो तत्काल उन बच्चों के लिए भोजन तैयार कर भिजवाया गया. इसके साथ ही पूरे लॉकडाउन के दौरान जयपुर पुलिस ने उस स्कूल को गोद लिया.
अपराध और नशे की सूचना पुलिस को पहुंचाएंः उन्होंने कहा कि पुलिस की ड्यूटी ऐसी होती है, जिसमें 24 घंटे लगातार काम किया जाए तो भी कम है. एक लंबी सूची है. जो हम करना चाहते थे, लेकिन पुलिस की प्राथमिकता रोज बदलती रहती है. ऐसे में जनता का भरोसा जीत पाए और आमजन के मन में विश्वास बना पाए, इसका संतोष है. आमजन को भी चाहिए कि सामाजिक अपराध और नशे के धंधे से जुड़ी जानकारी पुलिस तक पहुंचाए. ताकि समय पर कार्रवाई की जा सके.