जयपुर. सीकर के दिवराला गांव में 32 साल पहले सती हुई रूपकंवर का महिमा मंडन करने के मामले में आरोपी लक्ष्मण सिंह ने बुधवार को सती निवारण मामलों की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया. अदालत ने आरोपी को न्यायिक अभिरक्षा में लेने के बाद उसकी ओर से पेश जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए जमानत पर रिहा कर दिया. वहीं अभियोजन पक्ष की ओर से कुछ साक्ष्य अदालत में पेश करने के संबंध में पेश किए प्रार्थना पत्र का आठ में से तीन आरोपियों की ओर से जवाब पेश किया गया.
इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 18 सितंबर को तय की है. वहीं आरोपी के अधिवक्ता अमरसिंह राजावत ने प्रार्थना पत्र का जवाब देते हुए कहा कि अदालत पूर्व में गवाहों के बयानों के बाद राजेन्द्र राठौड़ और प्रताप सिंह खाचरियावास सहित अन्य आरोपियों को बरी कर चुकी है. पूर्व में भी गवाहों ने आरोपियों को नहीं पहचाना था. वहीं घटना के 32 साल होने के चलते आरोपियों का पहचाना जाना संभव नहीं है.
मामले के अनुसार जयपुर में रहने वाली 18 वर्षीय रूप कंवर का विवाह सीकर के दिवराला में मालसिंह के साथ हुआ था. विवाह के सात माह बाद ही गंभीर बीमारी से मालसिंह की मौत हो गई थी. वहीं 4 सितंबर 1987 को रूपकंवर मालसिंह के साथ सती हो गई. इस दौरान गांव में काफी लोग एकत्रित हो गए.
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पुलिस की ओर से आरोपी बनाए गए लोगों पर आरोप था कि उन्होंने सती का महिमा मंडन किया. मामले में विशेष अदालत ने समय-समय पर करीब ढाई दर्जन आरोपियों को बरी किया था. जबकि आरोपी श्रवणसिंह, महेन्द्र सिंह, निहाल सिंह, जितेन्द्र सिंह, उदयसिंह, नारायण सिंह, भंवरसिंह और दशरथ सिंह के खिलाफ मामला लंबित चल रहा है. इसके अलावा छह आरोपियों की मौत हो चुकी है और कुछ आरोपी फरार चल रहे हैं.