जयपुर. राजधानी जयपुर सहित प्रदेश भर में सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. सड़क दुर्घटनाओं को लेकर लगातार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास भी चिंतित नजर आ रहे हैं. परिवहन विभाग की ओर से ब्लैक स्पॉट को लेकर भी एनएचएआई और पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट को पहले भी कई बार पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे पर अभी भी डिपार्टमेंट की ओर से उन्हें सही करने का कार्य नहीं किया जाता है. जिसकी वजह से लगातार हो रहे सड़क हादसों पर लगाम नहीं लग रही है.
अगर बात राजधानी जयपुर में हुए सड़क हादसों की बात की जाए तो लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. साल 2018 और 19 के मुकाबले 2020 में लॉकडाउन के बाद नवंबर महीने तक कुछ कमी दर्ज की गई. जयपुर के अंतर्गत 2018 में 2128 सड़क दुर्घटना हुई थी. वहीं 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 2358 तक हो गया था. 2020 में राजधानी जयपुर में सड़क दुर्घटना 1411 तक दर्ज की गई हैं, इनमें ज्यादातर सड़क दुर्घटनाएं दिल्ली हाईवे पर दर्ज की गई हैं.
हैरानी की बात यह है कि इन हादसों के बाद भी अभी तक न ही एनएचआई की ओर से और ना ही पीडब्ल्यूडी के द्वारा इन सड़कों की सुध ली गई है. आलम यह है कि यहां होने वाले हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है. वहीं हाईवे के किनारे बसे गांवों के ग्रामीणों से जब ईटीवी भारत के द्वारा बात की गई तो ग्रामीणों के द्वारा सड़क हादसों हकीकत बयां की.
जिंदगी और मौत से खेल रहे लोग
दिल्ली हाईवे के किनारे गांव में रहने वाले युवक सुनील कुमार सैनी कहते हैं कि हाईवे पर लगातार सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है. सुनील कहते हैं अभी बीते दिनों की ही बात है कि दिल्ली हाईवे पर एक बड़ा सड़क हादसा देखने को मिला था. इस हादसे में महिला गंभीर रूप से घायल भी हो गई थी और अभी तक उस ब्लैक स्पॉट को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के द्वारा सही नहीं किया गया है. यही वजह है कि अभी भी यहां पर लोग आए दिन जिंदगी और मौत से खेल रहे हैं.
अनावश्यक रूप से हाईवे पर लगाए गए कट हादसों को दे रहे न्यौता
ऐसा ही कुछ कहना धर्मेंद्र सैनी का भी है. सैनी कहते हैं कि हाईवे पर लोगों की ओर से अनावश्यक रूप से कई कट बनाए गए हैं. इन कटों का स्थानीय लोग उपयोग करते हैं. लेकिन आम लोग भी इन कटों का उपयोग यूटर्न या किसी और वजह से करते हैं और हादसे के शिकार हो जाते हैं. धर्मेंद्र सैनी कहते हैं कि ये कट सिर्फ बाहरी लोगों के लिए ही नहीं बल्कि कई बार यहां स्थानीय लोग भी हादसे का शिकार होते हैं और जान गवां बैठते हैं. सैनी कहते हैं कि इसके बारे में स्थानीय अधिकारियों से शिकायत भी की जा चुकी है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती.
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राजधानी जयपुर में 36 ब्लैक स्पॉट चिन्हित
अगर हम ब्लैक स्पॉट की बात करें तो राजधानी जयपुर के अंतर्गत ही परिवहन विभाग ने पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई की ओर से 36 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं. इन ब्लैक स्पॉट के अंतर्गत अभी तक 1031 हादसों में 919 लोग घायल भी हो चुके हैं. लेकिन यहां भी विभाग की ओर से कोई सुध नहीं ली गई है. ऐसे में अधिकारियों से यह उम्मीद लगाना और भी मुश्किल हो जाता है कि जब वे शहर में सही नहीं कर पा रहे तो फिर शहर से बाहर इन ब्लैक स्पॉट को कैसे सही कर पाएंगे.