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बगरू में बेजुबान मवेशियों को चारा खिला रही युवाओं की टोली

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Published : Apr 22, 2020, 11:34 AM IST

जयपुर के बगरू में युवाओं की टोली मूक पशुओं के भोजन जिम्मा उठाई हैं. युवाओं की टोली कस्बे भर में घूम-घूम कर गायों को हरा चारा खिला रही हैं. यह टोली पिछले 25 दिनों से पशुओं को भोजन देने का काम कर रही हैं.

बगरू के युवाओं की टोली, Bagru youth team
मवेशियों को चारा खिला रही युवाओं की टोली

बगरू (जयपुर). लॉकडाउन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील पर लोग अपने घरों में रहकर कोरोना के प्रसार को रोकने में अपना सहयोग दे रहे हैं. इस परिस्थिति में दुकान, बाजार सब बंद है और हर रोज कमाने खाने वालों पर भी आफत आ गई है. सरकारी और सामाजिक सहयोग से ऐसे लोगों को तो सहायता मिल जा रही है.

मवेशियों को चारा खिला रही युवाओं की टोली

लेकिन इन दिनों अगर कोई मुश्किल में है और जिसके सामने खाने का संकट है तो वो है सड़कों पर घूमने वाले अवारा पशु जो भूख लगने पर बोल कर अपना दुख भी नहीं जता सकते हैं. केवल आंखों से गिरते आंसू को देखकर उनकी मजबूरी और भूख को समझा जा सकता हैं. ऐसे हीं मूक पशुओं के आवाज बनने की कोशिश की है बगरू के युवाओं की टोली ने. पियुष मेड़तवाल, रामफूल चौधरी, राहुल कुमावत, दिपक बौल्या सहित अन्य युवक की यह टोली पिछले 25 दिनों से पशुओं को भोजन देने का काम कर रही हैं.

पढ़ेंः रैपिड टेस्टिंग किट पर सवाल! 'रिव्यू जारी...इसके परिणाम निर्भर करेंगे की रखना है या वापस करना है'

सड़कों पर देर रात तक युवाओं की टोली कस्बे भर में घूम-घूम कर गायों को हरा चारा खिला रही हैं. वाहनों की मदद से पूरे कस्बे में सुबह-शाम 2-2 घंटे यह टोली काम कर रही हैं. गायों के साथ-साथ बेजुबान मवेशियों को भी भोजन कराने का जिम्मा इन्होंने उठाया हैं. भामाशाह और आपसी सहयोग के बदौलत मूक पशुओं के लिए यह सेवा कार्य सोशल मीडिया में भी सुर्खियों बटोर रहा हैं.

बगरू (जयपुर). लॉकडाउन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील पर लोग अपने घरों में रहकर कोरोना के प्रसार को रोकने में अपना सहयोग दे रहे हैं. इस परिस्थिति में दुकान, बाजार सब बंद है और हर रोज कमाने खाने वालों पर भी आफत आ गई है. सरकारी और सामाजिक सहयोग से ऐसे लोगों को तो सहायता मिल जा रही है.

मवेशियों को चारा खिला रही युवाओं की टोली

लेकिन इन दिनों अगर कोई मुश्किल में है और जिसके सामने खाने का संकट है तो वो है सड़कों पर घूमने वाले अवारा पशु जो भूख लगने पर बोल कर अपना दुख भी नहीं जता सकते हैं. केवल आंखों से गिरते आंसू को देखकर उनकी मजबूरी और भूख को समझा जा सकता हैं. ऐसे हीं मूक पशुओं के आवाज बनने की कोशिश की है बगरू के युवाओं की टोली ने. पियुष मेड़तवाल, रामफूल चौधरी, राहुल कुमावत, दिपक बौल्या सहित अन्य युवक की यह टोली पिछले 25 दिनों से पशुओं को भोजन देने का काम कर रही हैं.

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सड़कों पर देर रात तक युवाओं की टोली कस्बे भर में घूम-घूम कर गायों को हरा चारा खिला रही हैं. वाहनों की मदद से पूरे कस्बे में सुबह-शाम 2-2 घंटे यह टोली काम कर रही हैं. गायों के साथ-साथ बेजुबान मवेशियों को भी भोजन कराने का जिम्मा इन्होंने उठाया हैं. भामाशाह और आपसी सहयोग के बदौलत मूक पशुओं के लिए यह सेवा कार्य सोशल मीडिया में भी सुर्खियों बटोर रहा हैं.

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