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संसाधनों के आभाव से जूझ रही राजस्थान पुलिस को क्या है बजट से उम्मीदें - जयपुर

राजस्थान में अपराधों पर नियंत्रण के लिए त्वरित और आवश्यक कदम उठाना संसाधनों की कमी के बीच पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है. एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने इस बात को स्वीकार किया है. उन्होंने

राजस्थान पुलिस मुख्यालय
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Published : Jul 9, 2019, 6:21 PM IST

जयपुर. राजस्थान पुलिस को सरकार द्वारा 10 जुलाई को पेश किए जाने वाले बजट से काफी उम्मीदें हैं. पिछली सरकार ने अपने अंतिम बजट के दौरान पुलिस महकमे के लिए अनेक बड़ी घोषणाएं की थी, लेकिन उनमें से अधिकतर घोषणाएं महज कागजों तक ही सीमित रह गई हैं. ऐसे में नई सरकार के पहले बजट से राजस्थान पुलिस को काफी उम्मीदें हैं.

राजस्थान पुलिस विभाग में अपराध पर नियंत्रण के संसाधानों की कमी

राजस्थान पुलिस के सामने सबसे बड़ी समस्या नफरी की कमी और संसाधनों का अभाव है. वहीं साइबर क्राइम से निपटने के लिए संसाधनों की भी कमी है. साढ़े सात करोड़ से अधिक आबादी वाले प्रदेश में महज एक ही साइबर क्राइम थाना है जो कि जयपुर में स्थित है. ऐसे में प्रदेश में अपराध पर नियंत्रण लगाने एक बड़ी चुनौती है.

पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत भी मानते हैं कि राजस्थान पुलिस के पास साइबर क्राइम से निपटने के लिए संसाधनों का भारी अभाव है. शेखावत कहते हैं कि साइबर क्राइम से निपटने के लिए हर जिले में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन का होना बेहद आवश्यक है. इसके साथ ही वर्तमान में राजस्थान पुलिस में जितनी फोर्स है, उसकी नियत संख्या से भी पुलिसकर्मी फील्ड में काम कर रहे हैं. राजस्थान पुलिस में 25 नफरी की कमी है.

पुलिस महकमे के कंधों पर परीक्षा के आयोजन, वीआईपी सिक्योरिटी, इलेक्शन ड्यूटी और तमाम वीवीआईपी यहां तक कि एमएलए तक को सुरक्षा प्रदान करने जैसी बड़ी जिम्मेदारियां हैं. ऐसे में प्रदेश में घटित हो रहे बड़े अपराधों का सही से अनुसंधान तक नहीं हो पा रहा है. ऐसे में औपचारिकता ही पूरी की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में सभी राज्य सरकारों और पुलिस महकमे को निर्देश दिए थे कि अपराध अनुसंधान और कानून व्यवस्था की युनिट को अलग-अलग किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है.

ईटीवी भारत के साथ बातचीत के दौरान पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि ऐसे में सरकार से पुलिस बजट में नफरी की कमी को दूर किए जाने की काफी उम्मीदें पुलिस महकमे को है. इसके साथ ही राजस्थान पुलिस के सामने फाइनेंसियल क्राइम से निपटना एक बड़ी चुनौती है. इसके लिए राजस्थान पुलिस के पास संसाधन और ट्रेंड पुलिसकर्मियों का बढ़ा अभाव है। ऐसे में पुलिस बजट में सरकार द्वारा कुछ बड़ी घोषणाएं किए जाने की उम्मीद भी पुलिस महकमे को है. इसके साथ ही यदि बात की जाए आधुनिक हथियारों की या फिर बुलेट प्रूफ जैकेट और वाहनों की तो इन तमाम चीजों की कमी से भी पुलिस महकमा जूझ रहा है.

शेखावत ने कहा कि राजस्थान पुलिस के किसी भी थाने में बुलेट प्रूफ जैकेट तक पुलिस कर्मियों के लिए उपलब्ध नहीं है. शातिर बदमाश और बड़े क्रिमिनल अत्याधुनिक हथियारों के साथ दूसरे राज्यों से राजस्थान में आकर बड़ी वारदातों को अंजाम देने में लगे हैं. इन शातिर बदमाशों से निपटने के लिए राजस्थान पुलिस को अत्याधुनिक हथियारों व बुलेट प्रूफ जैकेट की काफी जरूरत है और इसको लेकर राजस्थान सरकार के बजट से भी पुलिस महकमे को काफी उम्मीदें हैं.



जयपुर. राजस्थान पुलिस को सरकार द्वारा 10 जुलाई को पेश किए जाने वाले बजट से काफी उम्मीदें हैं. पिछली सरकार ने अपने अंतिम बजट के दौरान पुलिस महकमे के लिए अनेक बड़ी घोषणाएं की थी, लेकिन उनमें से अधिकतर घोषणाएं महज कागजों तक ही सीमित रह गई हैं. ऐसे में नई सरकार के पहले बजट से राजस्थान पुलिस को काफी उम्मीदें हैं.

राजस्थान पुलिस विभाग में अपराध पर नियंत्रण के संसाधानों की कमी

राजस्थान पुलिस के सामने सबसे बड़ी समस्या नफरी की कमी और संसाधनों का अभाव है. वहीं साइबर क्राइम से निपटने के लिए संसाधनों की भी कमी है. साढ़े सात करोड़ से अधिक आबादी वाले प्रदेश में महज एक ही साइबर क्राइम थाना है जो कि जयपुर में स्थित है. ऐसे में प्रदेश में अपराध पर नियंत्रण लगाने एक बड़ी चुनौती है.

पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत भी मानते हैं कि राजस्थान पुलिस के पास साइबर क्राइम से निपटने के लिए संसाधनों का भारी अभाव है. शेखावत कहते हैं कि साइबर क्राइम से निपटने के लिए हर जिले में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन का होना बेहद आवश्यक है. इसके साथ ही वर्तमान में राजस्थान पुलिस में जितनी फोर्स है, उसकी नियत संख्या से भी पुलिसकर्मी फील्ड में काम कर रहे हैं. राजस्थान पुलिस में 25 नफरी की कमी है.

पुलिस महकमे के कंधों पर परीक्षा के आयोजन, वीआईपी सिक्योरिटी, इलेक्शन ड्यूटी और तमाम वीवीआईपी यहां तक कि एमएलए तक को सुरक्षा प्रदान करने जैसी बड़ी जिम्मेदारियां हैं. ऐसे में प्रदेश में घटित हो रहे बड़े अपराधों का सही से अनुसंधान तक नहीं हो पा रहा है. ऐसे में औपचारिकता ही पूरी की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में सभी राज्य सरकारों और पुलिस महकमे को निर्देश दिए थे कि अपराध अनुसंधान और कानून व्यवस्था की युनिट को अलग-अलग किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है.

ईटीवी भारत के साथ बातचीत के दौरान पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि ऐसे में सरकार से पुलिस बजट में नफरी की कमी को दूर किए जाने की काफी उम्मीदें पुलिस महकमे को है. इसके साथ ही राजस्थान पुलिस के सामने फाइनेंसियल क्राइम से निपटना एक बड़ी चुनौती है. इसके लिए राजस्थान पुलिस के पास संसाधन और ट्रेंड पुलिसकर्मियों का बढ़ा अभाव है। ऐसे में पुलिस बजट में सरकार द्वारा कुछ बड़ी घोषणाएं किए जाने की उम्मीद भी पुलिस महकमे को है. इसके साथ ही यदि बात की जाए आधुनिक हथियारों की या फिर बुलेट प्रूफ जैकेट और वाहनों की तो इन तमाम चीजों की कमी से भी पुलिस महकमा जूझ रहा है.

शेखावत ने कहा कि राजस्थान पुलिस के किसी भी थाने में बुलेट प्रूफ जैकेट तक पुलिस कर्मियों के लिए उपलब्ध नहीं है. शातिर बदमाश और बड़े क्रिमिनल अत्याधुनिक हथियारों के साथ दूसरे राज्यों से राजस्थान में आकर बड़ी वारदातों को अंजाम देने में लगे हैं. इन शातिर बदमाशों से निपटने के लिए राजस्थान पुलिस को अत्याधुनिक हथियारों व बुलेट प्रूफ जैकेट की काफी जरूरत है और इसको लेकर राजस्थान सरकार के बजट से भी पुलिस महकमे को काफी उम्मीदें हैं.



Intro:जयपुर
एंकर- राजस्थान पुलिस को सरकार द्वारा 10 जुलाई को पेश किए जाने वाले बजट से काफी उम्मीदें हैं। पिछली सरकार ने अपने अंतिम बजट के दौरान पुलिस महकमे के लिए अनेक बड़ी घोषणाएं की थी लेकिन उनमें से अधिकतर घोषणाएं महज कागजों तक ही सीमित रह गई। अब ऐसे में नई सरकार के पहले बजट से राजस्थान पुलिस को काफी उम्मीद है। राजस्थान पुलिस के सामने सबसे बड़ी समस्या नफरी की कमी और संसाधनों का अभाव है। वही राजस्थान पुलिस के पास साइबर क्राइम से निपटने के लिए संसाधनों का भी बड़ा अभाव है।


Body:वीओ- राजस्थान पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती साइबर क्राइम से निपटना है क्योंकि प्रदेश में 7.5 करोड़ से अधिक जनता है और पूरे प्रदेश में महज एक ही साइबर क्राइम थाना है जो कि जयपुर में स्थित है। जब इस चीज को लेकर पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत से बात की गई तो उन्होंने बताया कि राजस्थान पुलिस के पास साइबर क्राइम से निपटने के लिए संसाधनों का भारी अभाव है। साइबर क्राइम से निपटने के लिए हर जिले में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन का होना बेहद आवश्यक है। इसके साथ ही शेखावत ने बताया कि वर्तमान में राजस्थान पुलिस में जितनी फोर्स है उसकी नियत संख्या से भी पुलिसकर्मी फील्ड में काम कर रहे हैं। राजस्थान पुलिस में नफरी की 25% कमी है। पुलिस महकमे के कंधो पर परीक्षा के आयोजन, वीआईपी सिक्योरिटी, इलेक्शन ड्यूटी और तमाम वीवीआईपी यहां तक कि एमएलए तक को सुरक्षा प्रदान करने जैसी बड़ी जिम्मेदारियां हैं। ऐसे में प्रदेश में घटित हो रहे बड़े अपराधों का सही से अनुसंधान तक नहीं हो पा रहा है और पुलिस महज औपचारिकता कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में सभी राज्यों की सरकार को और पुलिस महकमे को निर्देश दिए थे कि अपराध अनुसंधान और कानून व्यवस्था की युनिट को अलग-अलग किया जाए लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा। ऐसे में सरकार से पुलिस बजट में नफरी की कमी को दूर किए जाने की काफी उम्मीदें पुलिस महकमे को है। इसके साथ ही राजस्थान पुलिस के सामने फाइनेंसियल क्राइम से निपटना एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए राजस्थान पुलिस के पास संसाधन और ट्रेंड पुलिसकर्मियों का बढ़ा अभाव है। ऐसे में पुलिस बजट में सरकार द्वारा कुछ बड़ी घोषणाएं किए जाने की उम्मीद भी पुलिस महकमे को है। इसके साथ ही यदि बात की जाए आधुनिक हथियारों की या फिर बुलेट प्रूफ जैकेट और वाहनों की तो इन तमाम चीजों की कमी से भी पुलिस महकमा जूझ रहा है। राजस्थान पुलिस के किसी भी थाने में बुलेट प्रूफ जैकेट तक पुलिस कर्मियों के लिए उपलब्ध नहीं है। शातिर बदमाश और बड़े क्रिमिनल अत्याधुनिक हथियारों के साथ दूसरे राज्यों से राजस्थान में आकर बड़ी वारदातों को अंजाम देने में लगे हैं। इन शातिर बदमाशों से निपटने के लिए राजस्थान पुलिस को अत्याधुनिक हथियारों व बुलेट प्रूफ जैकेट की काफी जरूरत है और इसको लेकर राजस्थान सरकार के बजट से भी पुलिस महकमे को काफी उम्मीदें हैं।

बाइट- राजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व पुलिस अधिकारी


Conclusion:अब देखना होगा कि सरकार जो बजट 10 जुलाई को पेश करेगी उसमें सरकार के पिटारे से राजस्थान पुलिस को क्या-क्या सौगात मिल पाती है।
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