हनुमानगढ़. जिले में राष्ट्रभक्ति के प्रतीक के रूप में जंक्शन रेलवे स्टेशन परिसर में लगा विशाल राष्ट्रध्वज तिरंगा मौसम की भेंट चढ़ गया है. जब ध्वज लगाया गया था तो आमजन ने ध्वज के साथ सेल्फियां और फोटोज ली थी, लेकिन मन में देशभक्ति का जज्बा भरने वाला ध्वज पिछले दिनों आए तेज अंधड़ और बरसात के चलते क्षतिग्रस्त हो गया.
जिसके बाद रेलवे के स्थानीय प्रशासन की ओर से आनन-फानन में उसे उतरवा तो दिया गया, लेकिन चौकाने वाली खास बात ये है कि अब रेलवे प्रशासन के पास नया ध्वज लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है. क्योकि जब लगाया गया था, तब दस्तावेजों में ऐसी कोई प्रक्रिया की बात नहीं लिखी गई थी की ध्वज को दुबारा से लगवाया जा सके.
मात्र डेढ़ माह में क्षतिग्रस्त हुआ ध्वज, गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल
उत्तर पश्चिम रेलवे प्रशासन की ओर से जंक्शन रेलवे स्टेशन परिसर में सौ फीट ऊंचा राष्ट्र ध्वज तिरंगा इस साल 18 जनवरी को लगाया गया था. सौ फीट ऊंचे विशाल पाइप पर 30 गुणा 20 फीट आकार का विशाल तिरंगा ध्वज लगाया गया था. वहीं, रात को रोशनी के लिए लाइटें भी लगाई गई थी. इस पर करीब आठ लाख रुपए की लागत आई थी. रेलवे ने ऐसे ध्वज, पंजाब की "बिग स्केल पावर मैनेजमेंट सिस्टम एजेंसी, जालंधर" की ओर से श्रीगंगानगर, चूरू और बीकानेर में भी लगावाए थे. रेलवे परिसर में स्थापित राष्ट्रीय ध्वज आकर्षण और गौरव का केन्द्र बन गया था.
निविदा प्रक्रिया चल रही
वहीं, हनुमानगढ़ रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि बरसात और तेज हवा के चलते ध्वज क्षतिग्रस्त हो गया था. इसके चलते उसे उतारा गया है. नया ध्वज लगाने के लिए एजेंसी को पत्र लिख दिया गया है. उम्मीद है जल्द ही नया ध्वज उपलब्ध हो जाएगा.
रेलवे विभाग ने सूचना में दिया गोलमाल जवाब
वहीं, Etv भारत की पड़ताल में इस पूरे प्रकरण में गंभीर और चौकाने वाले तथ्य सामने आए. हनुमानगढ़ के वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता और सूचना का अधिकार जागृति संस्थान के अध्यक्ष प्रवीण मेहन की ओर से रेलवे मंडल बीकानेर कार्यालय से सूचना के अधिकार के तहत एक जानकारी मांगी गई. जिसमें ये पूछा गया कि ध्वज लगाने में कितना खर्च हुआ है. जिस पर मेहन का कहना है कि विभाग ने गुमराह करने वाला जवाब दिया है.
विभाग का कहना है कि हनुमानगढ़ में लगाए गए ध्वज की राशि देनी अभी प्रक्रियाधीन है. इसलिये अभी नहीं पता की कितने रुपए देने है, लेकिन मेहन का कहना है कि कोई भी सरकारी कार्य हो वो टेंडर की प्रक्रिया से होता है. जिसमें साफ रूप से सशर्तों के साथ सब कुछ लिखित रूप में होता है. ऐसे में विभाग का ये जवाब बिल्कुल भी संतुष्ठजनक नहीं है और वे इस मामले को उच्चाधिकारियों तक लेकर जायेंगे.
वहीं, राष्ट्र गौरव से जुड़े मामले को लेकर जब हमने रेलवे के आला अधिकारी वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक, मंडल कार्यालय, बीकानेर, जितेंद्र मीणा से बात की तो उनका कहना था कि हनुमानगढ़ में स्थापित राष्ट्रीय ध्वज को सिर्फ लगाने की प्रक्रिया हुई थी. रखरखाव के लिए तत्कालीन निविदा में प्रावधान नहीं किया गया था. नया ध्वज मंगवाने के लिए अलग से प्रक्रिया चल रही है. यानि कि प्यास लगने पर कुआं खोदने की तर्ज पर चल रहे है. रेलवे विभाग की प्रक्रिया कब पूरी होगी और कब फिर से भटनेर नगरी में हमारा मान और शान तिरंगा लहरायेगा.
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वहीं, इस पूरे मामले के पेच की बात करें तो हर सरकारी कार्य टेंडर प्रक्रिया से होता है. जिस एजेंसी या फर्म को ठेका दिया जाता है उसको कुछ राशी एडवांस दी जाती है और कुछ सिक्योरिटी के तौर पर विभाग अपने पास रखता है. एक तरफ अधिकारी आरटीआई में सूचना दे रहे हैं कि उन्हें ये ही नहीं पता की कितने में एजेंसी को ठेका दिया गया है. ये जवाब बहुत अचंभित करने वाला है. वहीं, दूसरी तरफ हनुमानगढ़ के विभागीय अधिकारी ये कह रहे है कि ठेका एजेंसी को नए ध्वज के लिए पत्र लिख दिया गया है.
ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि जब निविदा प्रक्रिया में एजेंसी से रख-रखाव का कोई प्रावधान ही नहीं था, तो एजेन्सी दोबारा ध्वज क्यो लगवाएगी. कुल मिलाकर ना तो अधिकारियों के बयान, ना ही आरटीआई में दी गई सूचना सन्तुष्टजनक है. जिसके चलते हनुमानगढ़ के लोग इस पूरे मामले पर सवालिया निशान लगा रहे हैं.