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कर्ज के तले दबे किसान आत्महत्या ना करें, बैंक के आगे धरने पर बैठे शख्स रखी ये मांग

हनुमानगढ़ शहर के एसबीआई के एजीएम कार्यालय के सामने सोमवार को एक सामाजिक कार्यकर्ता और किसान ने धरना दिया है. धरना दे रहे लोगों का कहना है कि जिस तरह से ऋण की जो नीतियां सरकार की है वह गलत है. उसे किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ता है. पक्ष और विपक्ष आमने-सामने बैठकर इस मुद्दे पर बात करें. साथ ही बैंक की नीतियों को बदली जाए.

हनुमानगढ़ में बैंक के आगे धरना
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Published : Jul 1, 2019, 9:23 PM IST

हनुमानगढ़. कर्ज के बोझ में दबे किसान अपनी जीवनलाली समाप्त कर रहे है. ऐसे किसानों के लिए हनुमानगढ़ में एक समाजिक कार्यकर्ता बैंक के सामने धरने पर बैठा है. धरना प्रदर्शन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता शमशेर सिंह सरकार की नीतियों में बदलाव चाहता है. उसका कहना है कि जिस तरह से सरकार ने बैंक की नीतियां तय कर रखी है वह किसानों के लिए हितकारी नहीं है. ऐसे में किसान सिर्फ आत्महत्या को मजबूर होते हैं, ब्याज की जो दरें हैं वह काफी ज्यादा है.

शमशेर सिंह एक किसान के पक्ष में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि इस किसान ने बैंक से लोन लिया था. उसका जो ऋण का ब्याज है वह काफी अधिक है. ऐसे में किसान के पास अब आत्महत्या के सिवा कोई चारा नहीं है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सरकारी नीति में बदलाव करें. इसमें पक्ष और विपक्ष दोनों मिलकर एक ऐसी नीति तय करें. जिससे किसान को आत्महत्या ना करनी पड़े.

हनुमानगढ़ में बैंक के आगे धरना

वहीं इस मामले में बैंक अधिकारियों का कहना है कि जो मांग शमशेर सिंह कर रहे हैं वह उनके स्तर की नहीं है. बैंक के ऋण की नीतियां सरकार के लेवल की बातें हैं. वे उन्हें इतनी सलाह दे सकते हैं कि अगर किसान ब्याज भरने में सक्षम नहीं है तो भी लोक अदालत का सहारा ले. वहां पर जैसा भी निर्णय होगा वह मानेंगे. साथ ही बैंक अधिकारी ने किसानों से अपील भी करते हैं कि जो ऋण लिया जाता है. उसको ऋण लेने के बाद समय पर उसका ब्याज भरें. जिससे कि किसानों को कोई समस्या न आए.

हनुमानगढ़. कर्ज के बोझ में दबे किसान अपनी जीवनलाली समाप्त कर रहे है. ऐसे किसानों के लिए हनुमानगढ़ में एक समाजिक कार्यकर्ता बैंक के सामने धरने पर बैठा है. धरना प्रदर्शन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता शमशेर सिंह सरकार की नीतियों में बदलाव चाहता है. उसका कहना है कि जिस तरह से सरकार ने बैंक की नीतियां तय कर रखी है वह किसानों के लिए हितकारी नहीं है. ऐसे में किसान सिर्फ आत्महत्या को मजबूर होते हैं, ब्याज की जो दरें हैं वह काफी ज्यादा है.

शमशेर सिंह एक किसान के पक्ष में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि इस किसान ने बैंक से लोन लिया था. उसका जो ऋण का ब्याज है वह काफी अधिक है. ऐसे में किसान के पास अब आत्महत्या के सिवा कोई चारा नहीं है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सरकारी नीति में बदलाव करें. इसमें पक्ष और विपक्ष दोनों मिलकर एक ऐसी नीति तय करें. जिससे किसान को आत्महत्या ना करनी पड़े.

हनुमानगढ़ में बैंक के आगे धरना

वहीं इस मामले में बैंक अधिकारियों का कहना है कि जो मांग शमशेर सिंह कर रहे हैं वह उनके स्तर की नहीं है. बैंक के ऋण की नीतियां सरकार के लेवल की बातें हैं. वे उन्हें इतनी सलाह दे सकते हैं कि अगर किसान ब्याज भरने में सक्षम नहीं है तो भी लोक अदालत का सहारा ले. वहां पर जैसा भी निर्णय होगा वह मानेंगे. साथ ही बैंक अधिकारी ने किसानों से अपील भी करते हैं कि जो ऋण लिया जाता है. उसको ऋण लेने के बाद समय पर उसका ब्याज भरें. जिससे कि किसानों को कोई समस्या न आए.

Intro:हनुमानगढ़ जंक्शन स्थित एसबीआई के एजीएम कार्यालय के सामने आज एक सामाजिक कार्यकर्ता और किसान ने धरना लगा दिया उनका कहना है कि जिस तरह से ऋण की जो नीतियां सरकार की है वह गलत है उसे किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ता है पक्ष और विपक्ष आमने-सामने बैठकर इस मुद्दे पर बात करें और जो बैंक की नीतियां है रिंकी नीतियां है वह बदल हवाई जाए सामाजिक कार्यकर्ता शमशेर सिंह का कहना है कि सरकारी सिर्फ किसानों की लाशों पर राजनीति करती है उन्हें उनकी समस्याओं से कोई मतलब नहीं है


Body:धरना प्रदर्शन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता शमशेर सिंह सरकार की नीतियों में बदलाव चाहता है उसका कहना है कि जिस तरह से सरकार ने बैंक की नीतियां तय कर रखी है वह किसानों के लिए हितकारी नहीं है ऐसे में किसान सिर्फ आत्महत्या को मजबूर होते हैं ब्याज की जो दरें हैं वह काफी ज्यादा है शमशेर सिंह किसान के पक्ष में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं उनका कहना है कि इस किसान ने बैंक से लोन लिया था उसका जो ऋण का ब्याज है वह काफी अधिक है ऐसे में किसान के पास अब आत्महत्या के सिवा कोई चारा नहीं है मैं मांग करते हैं कि सरकारी नीति में बदलाव करें इसमें पक्ष और विपक्ष दोनों मिलकर एक ऐसी नीति तय करें जिससे किसान को आत्महत्या न करनी पड़े

बाईट: शमशेर सिंह,सामाजिक कार्यकर्ता

वहीं इस मामले में बैंक अधिकारियों का कहना है कि जो मांग शमशेर सिंह कर रहे हैं वह उनके स्तर की नहीं है बैंक के ऋण की नीतियां सरकार लेवल की बातें हैं वे उन्हें इतनी सलाह दे सकते हैं कि अगर किसान ब्याज भरने में सक्षम नहीं है तो भी लोक अदालत का सहारा ले वहां पर जैसा भी निर्णय होगा वह मानेंगे और वह किसानों से अपील भी करते हैं कि जो ऋण लिया जाता है उसको समझे समझ कर ही रिंग लेवे ऋण लेने के बाद समय पर उसका ब्याज भरे जिससे कि किसानों को कोई समस्या न आए

बाईट: अभिषेक, AGM SBI बैंक


Conclusion:अलंकी बैंक अधिकारियों ने सलाह जरूर दी है की ऋण संबंधी जो नीतियां है वह सरकारी तय करती है उनके हाथ में जो किसान के लिए हो सकता है वे करेंगे ऐसे में किसान को अदालत का सहारा लेना पड़ेगा अलार्म कि जो किसान ऋण माफी की बात कर रहा है वह बैंक का डिफाल्टर है ऐसे में अब कैसे तय हो सकता है कि ऋण लेकर ब्याज ने भरा जाए लेकिन जिस तरह से सामाजिक कार्यकर्ता शमशेर सिंह ने जो आवाज उठाई है वह वाजिब है कि पक्ष और विपक्ष को ऐसी नीतियां तय करनी चाहिए कि किसान को आत्महत्या को मजबूर ना होना पड़े

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