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राजस्थान में यहां बंद होने की कगार पर है इंदिरा रसोई योजना... - हनुमानगढ़ में इंदिरा रसोई योजना

सरकार द्वारा चलाई गई इंदिरा रसोई योजना अब हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर बंद होने की कगार पर है. शहर में तीनों रसोई का संचालन करने वाली एनजीओ 'इंदिरा गांधी प्रशिक्षण संस्थान' ने असमर्थता जताते हुए 10 सितंबर से रसोई का संचालन करने से इनकार करते हुए नगर परिषद आयुक्त को पत्र लिखा है.

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इंदिरा रसोई योजना
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Published : Sep 3, 2020, 2:20 PM IST

हनुमानगढ़. कोई भूखा ना सोये के संकल्प के साथ राजस्थान सरकार ने बड़े जोरो-शोरो से अपनी महत्वपूर्ण योजना बताते हुए इन्दिरा रसोई का शुभारम्भ किया था. प्रदेश की 213 नगर निकायों में 358 इंदिरा रसोई योजना का शुभारंभ 20 अगस्त को वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था.

बंद होने की कगार पर है इंदिरा रसोई योजना

इनमें हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर भी 20 अगस्त को नगरपरिषद के अधीन एनजीओ के जरिए तीन रसोई घरों का शुभारंभ और संचालन भी नगरपरिषद अधिकारियों और जिला कलेक्टर की मौजूदगी में समारोहपूर्वक किया गया था. लेकिन शुरुआत में ही इस योजना पर संकट के बादल गहराने लगे है. क्योकि तीनों रसोइयों का संचालन कर रही एनजीओ द्वारा नगरपरिषद आयुक्त को पत्र लिखा गया है. जिसमें रसोई के संचालन में होने वाले नुकसान के कारण अंकित करते हुए उन्होंने 10 सितम्बर से तीनों रसोईयों के संचालन में असमर्थता व्यक्त की है.

पढ़ेंः Exclusive : हेरिटेज में महज 23 और ग्रेटर में 24 फीसदी थाली का ही हो रहा इंदिरा रसोई में इस्तेमाल

बात करें एनजीओ का रसोई संचालन से इंकार करने की तो सबसे बड़ी वजह है कि हनुमानगढ़ में जिन तीन जगहों पर जंक्शन में श्रीगंगानगर फाटक के पास, दुर्गा मंदिर धर्मशाला के सामने और टाउन में महावीर दल धर्मशाला में इन्दिरा रसोई का संचालन किया जा रहा है. वहां इन तीनों जगहों पर पूर्व में ही सामाजिक संस्थाओं की ओर से जन सहयोग से रसोई का संचालन किया जा रहा था.

इन तीनों रसोई में दिन में एक समय में दस रुपए में भरपेट भोजन दिया जाता था, लेकिन तीनों रसोई इन्दिरा रसोई में तब्दील होने के कारण सरकारी अनुदान मिलने से दानदाताओं का आर्थिक सहयोग नहीं मिल रहा. अगर कोई दानदाता राशि का सहयोग करना चाहता भी है, तो उसे सीधे जिला कलक्टर और आयुक्त के संयुक्त खाते में राशि जमा करवाने का प्रावधान है.

रसोई में सुबह साढ़े आठ बजे से दोपहर एक बजे तक और शाम को 5 से 8 बजे तक भोजन का समय निर्धारित है. कारीगरों की ओर से रोजाना सुबह आठ बजे 150 लोगों का खाना तैयार करना मुश्किल है. यह खाना दोपहर एक बजे तक खिलाया जाता है. इसके तुरंत बाद शाम 5 बजे का खाना तैयार करने की तैयारी शुरू की जाती है. ऐसे में रसोई के संचालन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

पढ़ें- खाद्य विभाग में बड़े स्तर पर तबादले, 7 जिला रसद अधिकारियों सहित आठ प्रवर्तन निरीक्षक और प्रवर्तन अधिकारी बदले

साथ ही एक थाली में बीस रुपए से अधिक लागत आने पर एनजीओ ने रसोई के संचालन के लिए इंकार करते हुए आयुक्त को पत्र दिया था. जब इस बाबत नगरपरिषद आयुक्त से पूछा गया तो उनका कहना था कि, एनजीओ ने नुकसान का हवाला देते हुए पत्र लिख रसोई संचालन में असमर्थता जताई है. जिस पर संस्था की अमानत राशि जब्त कर संचालन में आ रही समस्याओं बाबत डीएलबी को पत्र लिख मार्गदर्शन मांगा गया है.

क्या है योजना...

नगर परिषद और नगरपालिका क्षेत्रों में प्रति रसोई प्रतिदिन अधिकतम 150 थाली लंच और 150 थाली रात का भोजन दिया जा रहा है. भोजन में प्रति थाली 100 ग्राम दाल,100 ग्राम सब्जी, 250 ग्राम चपाती और आचार दिया जाता है. वहीं 8 रुपए में प्रति थाली एक समय में लाभार्थी को इंदिरा रसोई में खाना वितरण किया जाता है.

सरकार की तरफ से एनजीओ को प्रति थाली 20 रुपये भुगतान किया जाता है. अब देखने वाली बात होगी कि एनजीओ द्वारा 10 सितम्बर से रसोई बन्द के अल्टीमेटम पर नगरपरिषद रसोइयों का संचालन किस तरह से करती है. या एक बार फिर सरकारी योजना हनुमानगढ़ में लापरवाहियों की भेंट चढ़ जाएगी.

हनुमानगढ़. कोई भूखा ना सोये के संकल्प के साथ राजस्थान सरकार ने बड़े जोरो-शोरो से अपनी महत्वपूर्ण योजना बताते हुए इन्दिरा रसोई का शुभारम्भ किया था. प्रदेश की 213 नगर निकायों में 358 इंदिरा रसोई योजना का शुभारंभ 20 अगस्त को वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था.

बंद होने की कगार पर है इंदिरा रसोई योजना

इनमें हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर भी 20 अगस्त को नगरपरिषद के अधीन एनजीओ के जरिए तीन रसोई घरों का शुभारंभ और संचालन भी नगरपरिषद अधिकारियों और जिला कलेक्टर की मौजूदगी में समारोहपूर्वक किया गया था. लेकिन शुरुआत में ही इस योजना पर संकट के बादल गहराने लगे है. क्योकि तीनों रसोइयों का संचालन कर रही एनजीओ द्वारा नगरपरिषद आयुक्त को पत्र लिखा गया है. जिसमें रसोई के संचालन में होने वाले नुकसान के कारण अंकित करते हुए उन्होंने 10 सितम्बर से तीनों रसोईयों के संचालन में असमर्थता व्यक्त की है.

पढ़ेंः Exclusive : हेरिटेज में महज 23 और ग्रेटर में 24 फीसदी थाली का ही हो रहा इंदिरा रसोई में इस्तेमाल

बात करें एनजीओ का रसोई संचालन से इंकार करने की तो सबसे बड़ी वजह है कि हनुमानगढ़ में जिन तीन जगहों पर जंक्शन में श्रीगंगानगर फाटक के पास, दुर्गा मंदिर धर्मशाला के सामने और टाउन में महावीर दल धर्मशाला में इन्दिरा रसोई का संचालन किया जा रहा है. वहां इन तीनों जगहों पर पूर्व में ही सामाजिक संस्थाओं की ओर से जन सहयोग से रसोई का संचालन किया जा रहा था.

इन तीनों रसोई में दिन में एक समय में दस रुपए में भरपेट भोजन दिया जाता था, लेकिन तीनों रसोई इन्दिरा रसोई में तब्दील होने के कारण सरकारी अनुदान मिलने से दानदाताओं का आर्थिक सहयोग नहीं मिल रहा. अगर कोई दानदाता राशि का सहयोग करना चाहता भी है, तो उसे सीधे जिला कलक्टर और आयुक्त के संयुक्त खाते में राशि जमा करवाने का प्रावधान है.

रसोई में सुबह साढ़े आठ बजे से दोपहर एक बजे तक और शाम को 5 से 8 बजे तक भोजन का समय निर्धारित है. कारीगरों की ओर से रोजाना सुबह आठ बजे 150 लोगों का खाना तैयार करना मुश्किल है. यह खाना दोपहर एक बजे तक खिलाया जाता है. इसके तुरंत बाद शाम 5 बजे का खाना तैयार करने की तैयारी शुरू की जाती है. ऐसे में रसोई के संचालन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

पढ़ें- खाद्य विभाग में बड़े स्तर पर तबादले, 7 जिला रसद अधिकारियों सहित आठ प्रवर्तन निरीक्षक और प्रवर्तन अधिकारी बदले

साथ ही एक थाली में बीस रुपए से अधिक लागत आने पर एनजीओ ने रसोई के संचालन के लिए इंकार करते हुए आयुक्त को पत्र दिया था. जब इस बाबत नगरपरिषद आयुक्त से पूछा गया तो उनका कहना था कि, एनजीओ ने नुकसान का हवाला देते हुए पत्र लिख रसोई संचालन में असमर्थता जताई है. जिस पर संस्था की अमानत राशि जब्त कर संचालन में आ रही समस्याओं बाबत डीएलबी को पत्र लिख मार्गदर्शन मांगा गया है.

क्या है योजना...

नगर परिषद और नगरपालिका क्षेत्रों में प्रति रसोई प्रतिदिन अधिकतम 150 थाली लंच और 150 थाली रात का भोजन दिया जा रहा है. भोजन में प्रति थाली 100 ग्राम दाल,100 ग्राम सब्जी, 250 ग्राम चपाती और आचार दिया जाता है. वहीं 8 रुपए में प्रति थाली एक समय में लाभार्थी को इंदिरा रसोई में खाना वितरण किया जाता है.

सरकार की तरफ से एनजीओ को प्रति थाली 20 रुपये भुगतान किया जाता है. अब देखने वाली बात होगी कि एनजीओ द्वारा 10 सितम्बर से रसोई बन्द के अल्टीमेटम पर नगरपरिषद रसोइयों का संचालन किस तरह से करती है. या एक बार फिर सरकारी योजना हनुमानगढ़ में लापरवाहियों की भेंट चढ़ जाएगी.

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