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मदद की आस: जेब से पैसे और जिस्म से ताकत खाली, उम्मीद खो चुका मायूस और बेबस परिवार - dialysis

इन उखड़ती सांसों को सरकार और भामाशाहों से बड़ी आस और उम्मीद है. दोनों किडनी खराब होने से तिल-तिल कर जी रहा यह बच्चा, खाना खाए या इलाज करवाए...कुछ समझ नहीं आ रहा. आय का कोई उचित स्रोत न होने और दवा के बढ़ते खर्च से परिवार पर भूखमरी जैसी नौबत आ गई है. सभी तरफ से नाउम्मीदी से मायूस और बेबस परिवार ने Etv भारत के जरिए भामाशाहों, प्रशासन और सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

लॉकडाउन ने किया बदहाल  hanumangarh news  डायलिसिस  किडनी हुई खराब  rawatsar town  poor family
जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा यह परिवार
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Published : May 28, 2020, 3:58 PM IST

हनुमानगढ़. ऐसा कहा जाता है कि दुनिया में सब कुछ संभव है, बस दृढ़ इच्छा शक्ति हो. ऐसी ही एक किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे अभिषेक नाम के बच्चे का मामला रावतसर कस्बे में सामने आया है, जो अपनी दोनों किडनियां फेल हो जाने के बावजूद भी करीब दो साल से ईश्वर की दी हुई काया को बचाए हुए है. इतनी गंभीर बीमारी और विपरित परिस्थितियों के बावजूद अभिषेक अपने परिवार और देश के लिए जीना चाहता है. लेकिन लोगों की मदद और कर्ज लेकर अभिषेक का परिवार लाखों रुपया खर्चकर चुका है.

जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा यह परिवार

बता दें कि सात दिन में तीन बार अभिषेक को डायलिसिस की जरूरत पड़ती है. वहीं एक बार डायलिसिस का खर्च करीब दो से ढाई हजार रुपए पड़ता है. हर महीने के खर्चे की बात करे तो दवाईयों सहित करीब 25 से 30 हजार रुपए खर्च हो रहा है. लेकिन आय का कोई उचित स्रोत न होने और दवा के बढ़ते खर्च से परिवार पर फाकाकशी की नौबत आ गई है. कहते है 'मांगण मरण समान' है, लेकिन बेटे की जिंदगी हाथ से निकलती देख एक बाप मांगने को मजबूर हो गया है. अब आर्थिक रूप से बिलकुल कमजोर हो चुके परिवार को अपने बेटे को जिंदा रखने के लिए एक पिता ने सरकार और लोगों से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

यह भी पढ़ेंः हनुमानगढ़ जिला जेल का विवादों से नहीं छूट रहा पीछा, कैदियों ने जानवरों की तरह पीटने के लगाए आरोप

हनुमानगढ़ की रावतसर तहसील के वार्ड नंबर 4 में रहने वाले 12 साल के अभिषेक की. अभिषेक की दो साल से दोनों किडनियां फेल हो जाने के बाद जिंदगी और मौत से जूझ रहा है. अभिषेक के गरीब माता-पिता उसे बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. लेकिन एक तरफ घर में बीमारी दूसरी तरफ गरीबी ने परिवार की कमर तोड़ कर रख दी है. वहीं रही सही कसर लॉकडाउन के चलते बंद पड़ी पंचर की दुकान ने जिंदगी जंजाल कर दी.

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सरकार से मदद की आस

अभिषेक 6 बहनों में इकलौता भाई है...ऐसे में सारा बोझ अभिषेक के पिता पर ही है. काफी जगह मदद की गुहार लगाने के बावजूद समुचित मदद नहीं मिलने के बाद अब हुकम्मरानों तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए मीडिया का सहारा लिया और हाल में अभिषेक का इलाज श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ स्थित अपैक्स अस्पताल में चल रहा है.

यह भी पढ़ेंः हनीट्रैप मामले में पुलिस ने दो महिलाओं को किया गिरफ्तार, दुष्कर्म के झूठे मामले में फंसाने की दे रही थी धमकी

वहीं जहां ये पीड़ित परिवार तो समस्याओं से जूझ रहा है और अपने बेटे की जिंदगी बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. ऐसे में इस परिवार की माली हालत देखकर कस्बे के संवेदनशील लोग भी आहत हैं और वे निजी स्तर पर परिवार की मदद तो कर ही रहे हैं. साथ ही इस परिवार की मदद के लिए मीडिया के जरिए सरकार और प्रशासन व सामाजिक संगठनों से गुहार लगा रहे हैं. नजदीकी और शुभ चिंतकों की मदद के जरिए अब तक अभिषेक को यथासंभव इलाज मिलता रहा है. लेकिन अब मदद भी बन्द हो गई. वह आर्थिक तंगी के चलते युवक की जान पर बन आई है. वही जब Etv भारत ने इस परिवार की पीड़ा जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के सामने रखी तो उन्होंने आश्वासन दिया की वे इस परिवार की हर संभव सहायता करने का प्रयास करेंगे.

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अभिषेक की दोनों किडनी हुई खराब

यूं तो सरकार ने आम और गरीब परिवारों के स्वास्थ्य के प्रति सवेदनशीलता दिखाते हुए कई सरकारी योजनायें चला रखी है. लेकिन इस परिवार को पूरी तरह सरकारी मदद नहीं मिल रही. हालांकि रावतसर की स्थानीय संस्था हेल्पिंग हैंड इस परिवार की हर संभव अपनी क्षमतानुसार मदद कर रही है. लेकिन बीमारी पर खर्च को देखते हुए वो नाकाफी साबित हो रही है. अब देखने वाली बात होगी की सभी के संज्ञान में आने के बाद भी सरकार, प्रशासन या समाजिक संगठन इस पीड़ित युवक की मदद के लिए सामने आते हैं या नहीं.

हनुमानगढ़. ऐसा कहा जाता है कि दुनिया में सब कुछ संभव है, बस दृढ़ इच्छा शक्ति हो. ऐसी ही एक किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे अभिषेक नाम के बच्चे का मामला रावतसर कस्बे में सामने आया है, जो अपनी दोनों किडनियां फेल हो जाने के बावजूद भी करीब दो साल से ईश्वर की दी हुई काया को बचाए हुए है. इतनी गंभीर बीमारी और विपरित परिस्थितियों के बावजूद अभिषेक अपने परिवार और देश के लिए जीना चाहता है. लेकिन लोगों की मदद और कर्ज लेकर अभिषेक का परिवार लाखों रुपया खर्चकर चुका है.

जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा यह परिवार

बता दें कि सात दिन में तीन बार अभिषेक को डायलिसिस की जरूरत पड़ती है. वहीं एक बार डायलिसिस का खर्च करीब दो से ढाई हजार रुपए पड़ता है. हर महीने के खर्चे की बात करे तो दवाईयों सहित करीब 25 से 30 हजार रुपए खर्च हो रहा है. लेकिन आय का कोई उचित स्रोत न होने और दवा के बढ़ते खर्च से परिवार पर फाकाकशी की नौबत आ गई है. कहते है 'मांगण मरण समान' है, लेकिन बेटे की जिंदगी हाथ से निकलती देख एक बाप मांगने को मजबूर हो गया है. अब आर्थिक रूप से बिलकुल कमजोर हो चुके परिवार को अपने बेटे को जिंदा रखने के लिए एक पिता ने सरकार और लोगों से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

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हनुमानगढ़ की रावतसर तहसील के वार्ड नंबर 4 में रहने वाले 12 साल के अभिषेक की. अभिषेक की दो साल से दोनों किडनियां फेल हो जाने के बाद जिंदगी और मौत से जूझ रहा है. अभिषेक के गरीब माता-पिता उसे बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. लेकिन एक तरफ घर में बीमारी दूसरी तरफ गरीबी ने परिवार की कमर तोड़ कर रख दी है. वहीं रही सही कसर लॉकडाउन के चलते बंद पड़ी पंचर की दुकान ने जिंदगी जंजाल कर दी.

लॉकडाउन ने किया बदहाल  hanumangarh news  डायलिसिस  किडनी हुई खराब  rawatsar town  poor family
सरकार से मदद की आस

अभिषेक 6 बहनों में इकलौता भाई है...ऐसे में सारा बोझ अभिषेक के पिता पर ही है. काफी जगह मदद की गुहार लगाने के बावजूद समुचित मदद नहीं मिलने के बाद अब हुकम्मरानों तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए मीडिया का सहारा लिया और हाल में अभिषेक का इलाज श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ स्थित अपैक्स अस्पताल में चल रहा है.

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वहीं जहां ये पीड़ित परिवार तो समस्याओं से जूझ रहा है और अपने बेटे की जिंदगी बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. ऐसे में इस परिवार की माली हालत देखकर कस्बे के संवेदनशील लोग भी आहत हैं और वे निजी स्तर पर परिवार की मदद तो कर ही रहे हैं. साथ ही इस परिवार की मदद के लिए मीडिया के जरिए सरकार और प्रशासन व सामाजिक संगठनों से गुहार लगा रहे हैं. नजदीकी और शुभ चिंतकों की मदद के जरिए अब तक अभिषेक को यथासंभव इलाज मिलता रहा है. लेकिन अब मदद भी बन्द हो गई. वह आर्थिक तंगी के चलते युवक की जान पर बन आई है. वही जब Etv भारत ने इस परिवार की पीड़ा जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के सामने रखी तो उन्होंने आश्वासन दिया की वे इस परिवार की हर संभव सहायता करने का प्रयास करेंगे.

लॉकडाउन ने किया बदहाल  hanumangarh news  डायलिसिस  किडनी हुई खराब  rawatsar town  poor family
अभिषेक की दोनों किडनी हुई खराब

यूं तो सरकार ने आम और गरीब परिवारों के स्वास्थ्य के प्रति सवेदनशीलता दिखाते हुए कई सरकारी योजनायें चला रखी है. लेकिन इस परिवार को पूरी तरह सरकारी मदद नहीं मिल रही. हालांकि रावतसर की स्थानीय संस्था हेल्पिंग हैंड इस परिवार की हर संभव अपनी क्षमतानुसार मदद कर रही है. लेकिन बीमारी पर खर्च को देखते हुए वो नाकाफी साबित हो रही है. अब देखने वाली बात होगी की सभी के संज्ञान में आने के बाद भी सरकार, प्रशासन या समाजिक संगठन इस पीड़ित युवक की मदद के लिए सामने आते हैं या नहीं.

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