हनुमानगढ़. जिला परिषद का बोर्ड बनने के बाद मंगलवार को पहली बैठक जिला प्रमुख कविता मेघवाल की अध्यक्षता में हुई. इस मौके पर उपजिला प्रमुख मुकेश सहारण व जिला परिषद ACO अवि गर्ग माजूद रहे. इस दौरान जिला परिषद के सदस्यों ने अपने-अपने जोन की समस्याएं रखीं.
कांग्रेस की जिला परिषद सदस्य प्रवीणा मेघवाल ने मिर्जावली मेर आदि गांवों में श्मशान घाट के नजदीक हैंडपंप आदि लगाने की समस्या रखी. साथ ही मिर्जावली मेर में हाईवे बनाने के लिए गांव के प्रवेष स्थल पर मिट्टी की कटाई की गई हैं जिससे अगर बारिश का पानी आता है तो गांव डूबने की आशंका रहेगी, लेकिन अधिकारियों ने समस्या को हल करने की बजाय हाथ खड़े कर दिए हैं. मेघवाल ने रसद विभाग पर अपात्र लोगों के बीपीएल सूची में नाम होने व पात्र लोगों के वंचित रहने के आरोप लगाए. बैठक में माजूद जिला परिषद अधिकारियों व अन्य विभागीय अधिकारियों ने समस्याओं के हल का आश्वासन दिया तो वहीं कुछ सदस्यों ने कई लंबित समस्याओं से अवगत करवाया.
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जिला परिषद सदस्य मनीष मक्कासर ने सहजीपुरा व करनीसर गांव में 2018 मे करीब साढ़े तीन करोड़ की लागत से बनी पानी की टंकी की खस्ताहाल व गांव में पानी पाइप लाइनों के क्षतिग्रस्त व लीकेज होने की समस्या रखी. वहीं PHED अधिकारियों ने भी डिग्गी की खस्ताहाल की बात स्वीकार की तो वहीं अधिकारियों ने सहजीपुरा गांव में पानी के हजारों अवैध कनेक्शन होने की बात भी स्वीकार की. लेकिन अधिकारी उस पर कोई खास आश्वासन नही दे सके. वहीं उपजिला प्रमुख ने जिले में चल रहे राशन डिपो पर फर्जीवाड़े बात कही. उनका कहना था कि जिनके नाम डिपो आवंटित हैं वे वहां नहीं बैठते जिससे उपभोक्ता को काफी समस्याएं आती हैं.
गांवों में स्कूल में चार दिवारी व बच्चों के लिए शौचालय की समस्या भी सामने आई है. बैठक में CMHO नवनीत शर्मा ने जनप्रतिनिधियों से कोरोना वेक्सीनेशन के प्रति आमजन को जागरूक करने की अपील की और सरकार की नई योजना चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना से अधिक से अधिक जुड़कर लाभ उठाने की बात कही. वहीं बैठक में ग्रामीण अंचल में पीने के पानी की प्रमुख समस्या निकल कर सामने आई. जिला प्रमुख ने आश्वासन दिया की समस्याओं का हल शीघ्र किया जाएगा.
वहीं इस पहली बैठक में किसान आंदोलन का भी असर दिखा. बैठक में शामिल होने वाले बीजेपी विधायकों व सांसद का विरोध करने व बैठक में हिस्सा नहीं लेने देने के लिए जिला परिषद के बाहर काफी संख्या में विपक्षी पार्टियों के किसान नेता एकत्रित हो गए व बीजेपी व केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. हलांकि बीजेपी नेतायों को इस विरोध की भनक लग गई और वे बैठक में शामिल होने नहीं आये. किसानों जिला परिषद के गेट के बाहर लंगर भी खाया. वहीं सयुंक्त किसान मोर्चा के किसान नेतायों ने ये विरोध तब तक जारी रखने की बात कही जब तक सरकार कानून वापस नहीं ले लेती है.