हनुमानगढ़. राजस्थान किसान संघर्ष समिति के बैनर तले सैंकड़ों किसानों ने मंगलवार को मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. किसानों की मांग है कि कृषि अध्यादेशों, डीजल की बढ़ी हुए कीमतों को वापस लिया जाए. सभी किसान प्रदर्शन के दौरान अपने-अपने ट्रैक्टर पर काले झंडे लगाकर पहुंचे और ट्रैक्टर रैली निकाली. जिसके बाद जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा.
राजस्थान किसान संघर्ष समिति के सदस्य डॉ. सौरभ राठौड़ ने कहा कि केंद्र सरकार ने हाल ही में तीन कृषि अध्यादेश लागू किए हैं जो किसान विरोधी हैं. वहीं, डीजल के दामों में भी लगातार बढ़ोतरी की जा रही है. कोरोना के कारण किसानों को पहले ही आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसके बावजूद भी सरकार किसानों को राहत पहुंचाने की बजाय कृषि विरोधी अध्यादेश ला रही है.
केंद्र सरकार ने एपीएमएसी एक्ट में बदलाव कर कंपनियों और व्यापारियों को हरियाणा में बनी अनाज मंडियों से बाहरी किसानों की फसल खरीदने की छूट दी है. जिससे हरियाणा, पंजाब में बना मंडीकरण का ढांचा टूट जाएगा. जिससे लाखों की संख्या में मंडियों में काम करने वाले मजदूर, मुनीम,आढतियों की रोजी-रोटी पर गहरा संकट छा जाएगा. हरियाणा-पंजाब में मंडियों के बंद होने से किसानों की फसलें पूंजीपतियों की कंपनियां कम दामों पर खरीदकर भारी शोषण करेंगी और इस अध्यायदेश के तहत किसानों की फसलों को न्यूनतम सर्मथन मूल्य एमएसपी पर खरीदे जाने की गांरटी भी सरकार ने नहीं दी है.
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किसान संघर्ष समिति ने डीजल-पेट्रोल की बेहताशा बढ़ती कीमतों को घटाने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का दावा करती है. लेकिन दूसरी तरफ टैक्स लगा-लगा कर डीजल के दामों में बेतहाशा वृद्धि कर किसानों की फसलों की लागत बड़ा दी है. जिससे किसानों के सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.
इंटरनेशनल मार्केट में तेल के दाम न्यूनतम स्तर पर हैं, लेकिन किसानों को 80 रुपए प्रति लीटर डीजल खरीदना पड़ रहा है. राजस्थान किसान संघर्ष समिति ने कहा कि कृषि विरोधी तीनों अध्यादेश को केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाए. अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो उग्र आंदोलन किए जाएंगे, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी.