हनुमानगढ़. केन्द्र सरकार की ओर से लाए गए तीन नए कृषि कानून के खिलाफ देशभर में भड़की विरोध की आग की लपटों का असर सोमवार को जिला मुख्यालय पर भी नजर आया. सोमवार को जिले भर के किसानों ने ट्रैक्टरों पर काले झंडे लगाकर और कृषि औजारों के साथ विरोध गीतों को बजाकर जिला कलक्ट्रेट पर 'हल्ला बोल' प्रदर्शन किया. कृषि अध्यादेश के खिलाफ विरोध में किसानों के साथ व्यापारी और मजदूर भी सड़कों पर उतरे.
कानून के विरोध में किसानों ने प्रदर्शन से पूर्व जक्शन धान मंडी में एक सभा का आयोजन किया गया और वक्ताओं ने इस कानून को किसान को तबाह कर देने वाले कृषि कानून बताया और बड़ी कम्पनियों को फायदा देने का आरोप भी लगाया. सभा के बाद जिला कलक्ट्रेट के समक्ष ट्रैक्टर और कृषि उजार लेकर प्रदर्शन किया. इस दौरान किसान नेताओं और व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारियों ने कृषि अध्यादेश के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और इन अध्यादेशों को किसान-आढ़ती और मजदूर विरोधी करार दिया.
साथ ही कहा कि यदि विधेयक पर पुन: विचार नहीं किया जाएगा, तो विरोध-प्रदर्शन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि इन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ ये आंदोलन किसानों के भविष्य और अस्तित्व को बचाने की निर्णायक लड़ाई है. वहीं किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि 25 सितम्बर को सम्पूर्ण जिले के रास्ते रोके जाएंगे, मण्डिया बन्द रहेंगी और उग्र प्रदर्शन किए जाएंगे.
वहीं, मौके पर पहुंचे एसडीएम और तहसीलदार को किसानों ने ज्ञापन सौंपा. तहसीलदार ने किसानों की बात सरकार तक पहुंचाने की बात कही. बता दे कि कृषि अध्यादेश के विरोध में सोमवार को मंडियां भी बंद रही. व्यापारियों और तोला-धानका मजदूरों के हड़ताल पर रहने से अनाज मंडियों में कामकाज नहीं हुआ.
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इस मौके पर कांग्रेस और माकापा पार्टी के पूर्व जिला प्रमुख राजेन्द्र मक्कासर, पंचायत समिति के पूर्व प्रधान दयाराम जाखड़, व्यापारी नेता प्यारेलाल बंसल, माकपा नेता रामेश्वर वर्मा, रघुवीर सिंह वर्मा, जगजीत सिंह जग्गी, सौरभ राठौड़, सुरेन्द्र शर्मा, तोला धानका मजदूर यूनियन अध्यक्ष दर्शन जांड, पूर्व अध्यक्ष सतपाल दामड़ी, अश्विनी पारीक सहित किसान प्रदर्शन में माजूद रहे. इस दौरान किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासनिक और पुलिस का अमला भी तैनात रहा.