हनुमानगढ़. जिले में नगरपरिषद की निष्क्रियता और निजी कंपनी की मनमानी के चलते 10 करोड़ की लागत से बनने वाले सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का काम पिछले 6 साल से फाइलों में अटका पड़ा है. जिसका खामियाजा आमजन को जगह-जगह पड़े कचरे के ढेर से उठ रही बदबू और इससे फैलने वाली बीमारियों के कारण भुगतना पड़ रहा है. निराश्रित पशु प्लास्टिक कचरा खाने से बीमार होकर जान भी गंवा रहे हैं.
यह है प्रोजेक्ट..
2016 सितंबर माह में नप व दिल्ली की फर्म के बीच अनुबंध हुआ था. इसके तहत जंक्शन में बाइपास पर लगने वाले सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का काम, दिल्ली की मैसर्स एलाइड एनर्जी प्रा.लि. की ओर से किया जाना है. इसके लिए अबोहर बाइपास पर डंपिंग ग्राउंड की 11 हेक्टेयर भूमि में से करीब डेढ़ एकड़ भूमि प्लांट के लिए सौंपी जा चुकी है. साथ ही कंपनी की ओर से गत 6 वर्षों में निर्माण के नाम पर सिर्फ चार दिवारी ही बनाई गई है.
वहीं अनुबंध के मुताबिक कंपनी की ओर से नगरपरिषद को 153 रुपए प्रति टन कचरे पर रॉयल्टी भुगतान का करार भी किया गया था. साथ ही इस राशि में हर तीन साल बाद करीब दस प्रतिशत बढ़ोतरी की जानी थी लेकिन कंपनी कार्य पूरा करने की बजाय हर बार सरकार के सामने अपनी शर्तें रखती आ रही है. इसकी वजह से कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है.
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बता दें कि हनुमानगढ़ में 18 महीने में पूरा होने वाला सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट प्रोजेक्ट पिछले 6 साल में भी पूरा नहीं हो पाया है. जिसके बाद अब जिले के लोगों ने इस प्लांट निर्माण को लेकर आवाज उठाना शुरु कर दिया है. जिसके बाद उनकी मांग है कि इस प्रोजेक्ट का कार्य दिल्ली की कंपनी से लेकर स्थानीय कंपनी को देना चाहिए.ताकि कंपनी पर स्थानीय अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों का दबाव रहे क्योंकि दिल्ली की कंपनी सरकार व अधिकारियों की ही नहीं सुन रही है. जिसका नुकसान जिला मुख्यालय के लोगों व चयनित 4 नगरपालिका संगरिया, नोहर, भादरा व पीलीबंगा क्षेत्र के वाशिंदों को भुगतना पड़ रहा है.
क्यों हो रहे नुकसान...
जिले के लोगों को व निराश्रित पशुओं को बदबू व बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. इससे सबसे बड़ा नुकसान स्वच्छता सर्वेक्षण में अंकों की कटौती हो रही है. सफाई और कचरा संग्रहण को लेकर नवाचार करने के बाद भी ठोस कचरा निष्पादन का प्रोजेक्ट सिरे नहीं चढ़ पा रहा है. साथ ही हनुमानगढ़ नगर परिषद को कचरा निष्पादन प्रोजेक्ट में जीरो नंबर मिले थे.