हनुमानगढ़. जिले की एनजीसी नहर टूटने से क्षेत्र के किसानों की 200 बीघा गेंहू की फसल बर्बाद हो गई है. वहीं घंटों देरी से मौके पर पहुंचे जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के लापरवाही भरे बयानों ने किसानों को और परेशान कर दिया है. हालांकि, गनीमत ये रहा कि आसपास अधिक आबादी क्षेत्र नहीं होने से कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ.
बता दें कि पिछले कुछ समय से पानी कम आने की वजह से नहर और मोघों में कचरा अटक गया. जिसकी वजह से अचानक से पानी छोड़ा गया तो नहर टूट गई. नहर टूटने की सूचना जैसे ही किसानों को मिली, उनमें हड़कंप मच गया. किसान अपने खेतों की तरफ भागे. इसी दौरान कुछ लोगों ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को सूचना दी लेकिन कई घंटे बाद अधिकारी मौके पर पहुंचे.
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वहीं किसानों का आरोप है कि अधिकारियों ने राहत पहुंचाने के बजाय पल्ला झाड़ लिया कि उनकी ये जिम्मेदारी नहीं है. किसानों ने बताया कि अधिकारियों ने कहा कि वे तो सिर्फ ऊपरी आदेश पर आए हैं. नहरों की सुरक्षा व्यवस्था और सुधारने का काम नहरी अध्यक्षों का है. किसानों का कहना है कि जिस अधिकारी की यहां ड्यूटी लगी है, उस लोकल एसडीओ की ड्यूटी सरकार ने सिद्धमुख नहर पर लगा दी है. जिससे व्यवस्था बिगड़ रही है. अगर सरकार और जनता के चुने अध्यक्षों ने ध्यान नहीं दिया तो ऐसी घटनाएं होती रहेगी.
200 बीघा जमीन पानी की चपेट में
जल संसाधन विभाग भले ही अधिकारी और जनप्रतिनिधि एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हो लेकिन इसका नुकसान किसान को ही उठाना पड़ रहा है. नहर टूटने से लगभग 200 बीघा में लगे फसलें बर्बाद हो गई हैं. जिससे किसानों का भारी नुकसान हो गया है.
किसानों का कहना है कि नहर की सफाई नहीं होने और पानी का फ्लो अधिक होने से आए दिन जगह-जगह नहरें टूटती रहती है. ये नहर तीसरी बार टूटी है लेकिन ना तो नहर अध्यक्ष, ना ही जल संसाधन विभाग और प्रशासन कोई उचित व्यवस्था कर रहा है. सभी सिर्फ खानापूर्ति कर के चले जाते है लेकिन इसका खामियाजा फसलों के नुकसान किसानों को झेलना ही पड़ता है. किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.