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Special : स्मार्टफोन तो दूर, की-पैड मोबाइल तक नहीं...डूंगरपुर में वैक्सीनेशन से दूर हो रहे युवा - civid-19 cases in india

कोरोना संक्रमण की बढ़ती महामारी से बचाव के लिए मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन के अलावा वैक्सीनेशन सबसे कारगर उपाय है. लेकिन युवाओ के वैक्सीनेशन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का अड़ंगा खड़ा हो गया है, जिससे कई युवा वैक्सीनेशन से वंचित रह जाएंगे. ऐसे में डूंगरपुर में ईटीवी भारत ने युवाओं के वैक्सीनेशन को लेकर आ रही समस्याओं के बारे में जानने का प्रयास किया. देखिये ये रिपोर्ट...

problem in online registration
वैक्सीनेशन में दिक्कत
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Published : May 25, 2021, 12:56 PM IST

डूंगरपुर. दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी से बचाव को लेकर प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री और नेता से लेकर अधिकारी, मास्क का प्रयोग करने, सोश्यल डिस्टेंसिंग और बार-बार हाथ धोने का संदेश दे रहे हैं. वहीं, वैक्सीनेशन के लिए सरकार और प्रशासन भी जोर दे रहा है. बड़े-बुजुर्गों और 45 साल से अधिक उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन चल रहा है. सरकार की ओर से 18 से 44 साल की उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन भी शुरू कर दिया गया है, लेकिन युवाओं के वैक्सीनेशन में कई तरह की मुश्किलें सामने आ रही हैं.

सुविधाओं का अभाव बना वैक्सीनेशन में रोड़ा...

दरअसल, वैक्सीनेशन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होता है और इसके बाद स्लॉट बुकिंग के बाद ही वैक्सीन लगाने का नियम कई-कई युवाओं को वैक्सीनेशन से वंचित कर रहा है. खासकर ऐसे युवा जिनके पास स्मार्टफोन नहीं हैं, वे वैक्सीन से वंचित रह जाएंगे और कोरोना की इस लड़ाई में उन्हें लड़ाई से पहले ही हार का सामना करना पड़ेगा. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और स्लॉट बुकिंग के लिए सबसे बड़ी जरूरत स्मार्टफोन की है, लेकिन राजस्थान के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में 16 लाख की आबादी में से 20 प्रतिशत लोगों के पास ही स्मार्टफोन उपलब्ध है तो वहीं 25 से 30 प्रतिशत लोग की-पैड मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा 50 फीसदी लोगों के पास कोई मोबाइल ही नहीं है. ऐसे में वे लोग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना तो दूर उनकी प्रक्रिया के बारे में ही नहीं जानते हैं. ऐसे में उनके सामने वैक्सीनेशन की सबसे बड़ी समस्या है.

युवा बोले- सादा फोन है, वो भी लाइट आती है तो चार्ज होता है...

ईटीवी भारत ने ग्रामीण युवाओं से बात की तो बताया कि उन्होंने अब तक वैक्सीन नहीं लगवाई है. कारण पूछने पर बताते हैं कि उनके माता-पिता का टीका तो पंचायत पर लगा था, लेकिन उनका नहीं लगाया. अब वे फिर से पंचायत पर ही टीका लगने का इंतजार कर रहे हैं. यानी यहां के युवाओं को टीकाकरण के बारे में ही पता नहीं था। जब गांव के युवाओ को टीकाकरण के लिए स्मार्टफोन के बारे में पूछा तो उन्होंने जेब से की-पैड वाला मोबाइल निकालते हुए कहा कि यह भी लाइट आती है तो चार्ज होता है, वरना फोन बंद ही रहता है.

पढ़ें : SEPCIAL : भरतपुर में मई में 612 बच्चे कोरोना संक्रमित...तीसरी लहर की आशंका, विशेषज्ञों ने दी ये सलाह

युवाओं ने आगे बताया कि उनके परिवार में किसी के पास स्मार्टफोन नहीं था. जब उनसे ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बारे में बात की तो कहने लगे कि उन्हें तो टीका लगवाने के बारे में ही कोई पता नहीं है, फिर यह ऑनलाइन किस तरह से करते हैं, उससे तो बिल्कुल वो अनजान थे. यही हाल जिले में सभी ग्रामीण क्षेत्रों में है, जहां युवाओं के पास मोबाइल तक नहीं है या फिर की-पैड मोबाइल से ही काम चला रहे हैं.

vaccination in dungarpur
स्मार्टफोन तो दूर की-पैड मोबाइल तक नहीं...

दो वक्त की रोटी का जुगाड़ ही मुश्किल, महंगा मोबाइल कहां से लाएं...

शहर के सटे मांडवा खापरडा गांव में लोगों से बात की तो बताया कि उनके पास तो स्मार्टफोन नहीं है. उन्होंने कहा कि दिनभर में मेहनत मजदूरी कर जैसे-तैसे दो वक्त की रोटी का जुगाड़ होता है. ऐसे में उनके पास स्मार्टफोन खरीदने के लिए पैसे नहीं है. उन्होंने कहा कि की-पैड वाला मोबाइल 400 से 500 रुपये में मिल जाता है, उसी से उनका काम चल जाता है. जबकि स्मार्टफोन 5 हजार रुपये से कम में नहीं मिलता है. इतने में तो 2 से 3 महीने का खाने-पीने से सामान आ जाता है. ऐसे में स्मार्टफोन से ज्यादा घर की जरूरतें बताई.

गांवों में इंटरनेट सेवाएं दूर, नेटवर्क की भी परेशानी...

शहर के अधिकतर युवाओं व लोगों के पास तो स्मार्टफोन उपलब्ध हैं. ऐसे में शहरी युवा जागरूक रहकर वैक्सीनेशन करवा रहे हैं, लेकिन गांवों में इंटरनेट सेवाएं तो दूर, नेटवर्क भी नहीं मिलता. जिले के कई गांव ऐसे हैं, जहां इंटरनेट की सुविधा नहीं या फिर नेट काफी धीमा चलता है, जिस कारण ऑनलाइन करना बहुत ही मुश्किल है. कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर प्रशासन की ओर से निर्धारित समय पर रजिस्ट्रेशन के बाद बुकिंग स्लॉट खोला जाता है. उसी समय मे ऑनलाइन बुकिंग करना होता है, लेकिन उस समय में नेट नहीं चलने से परेशानी होती है.

problem in online registration
युवा वैक्सीनेशन से हो रहे दूर...

जिले में अब तक करीब 8,200 युवाओं का ही हुआ वैक्सीनेशन...

जिले में 18 से 44 साल के युवाओं के वैक्सीनेशन पर नजर दौड़ाएं तो अब तक 8 हजार 200 युवाओं ने ही वैक्सीनेशन करवाया है. इसकी मुख्य वजह जिले में युवाओं के वैक्सीनेशन को लेकर केवल एकमात्र केंद्र है. जहां पहले से रजिस्ट्रेशन और बुकिंग करने वालों को ही टीका लगाया जाता है, जबकि कई युवाओं के पास स्मार्टफोन नहीं होने से वे युवा ऑनलाइन बुकिंग या रजिस्ट्रेशन ही नहीं करवा पा रहे हैं.

डूंगरपुर. दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी से बचाव को लेकर प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री और नेता से लेकर अधिकारी, मास्क का प्रयोग करने, सोश्यल डिस्टेंसिंग और बार-बार हाथ धोने का संदेश दे रहे हैं. वहीं, वैक्सीनेशन के लिए सरकार और प्रशासन भी जोर दे रहा है. बड़े-बुजुर्गों और 45 साल से अधिक उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन चल रहा है. सरकार की ओर से 18 से 44 साल की उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन भी शुरू कर दिया गया है, लेकिन युवाओं के वैक्सीनेशन में कई तरह की मुश्किलें सामने आ रही हैं.

सुविधाओं का अभाव बना वैक्सीनेशन में रोड़ा...

दरअसल, वैक्सीनेशन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होता है और इसके बाद स्लॉट बुकिंग के बाद ही वैक्सीन लगाने का नियम कई-कई युवाओं को वैक्सीनेशन से वंचित कर रहा है. खासकर ऐसे युवा जिनके पास स्मार्टफोन नहीं हैं, वे वैक्सीन से वंचित रह जाएंगे और कोरोना की इस लड़ाई में उन्हें लड़ाई से पहले ही हार का सामना करना पड़ेगा. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और स्लॉट बुकिंग के लिए सबसे बड़ी जरूरत स्मार्टफोन की है, लेकिन राजस्थान के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में 16 लाख की आबादी में से 20 प्रतिशत लोगों के पास ही स्मार्टफोन उपलब्ध है तो वहीं 25 से 30 प्रतिशत लोग की-पैड मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा 50 फीसदी लोगों के पास कोई मोबाइल ही नहीं है. ऐसे में वे लोग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना तो दूर उनकी प्रक्रिया के बारे में ही नहीं जानते हैं. ऐसे में उनके सामने वैक्सीनेशन की सबसे बड़ी समस्या है.

युवा बोले- सादा फोन है, वो भी लाइट आती है तो चार्ज होता है...

ईटीवी भारत ने ग्रामीण युवाओं से बात की तो बताया कि उन्होंने अब तक वैक्सीन नहीं लगवाई है. कारण पूछने पर बताते हैं कि उनके माता-पिता का टीका तो पंचायत पर लगा था, लेकिन उनका नहीं लगाया. अब वे फिर से पंचायत पर ही टीका लगने का इंतजार कर रहे हैं. यानी यहां के युवाओं को टीकाकरण के बारे में ही पता नहीं था। जब गांव के युवाओ को टीकाकरण के लिए स्मार्टफोन के बारे में पूछा तो उन्होंने जेब से की-पैड वाला मोबाइल निकालते हुए कहा कि यह भी लाइट आती है तो चार्ज होता है, वरना फोन बंद ही रहता है.

पढ़ें : SEPCIAL : भरतपुर में मई में 612 बच्चे कोरोना संक्रमित...तीसरी लहर की आशंका, विशेषज्ञों ने दी ये सलाह

युवाओं ने आगे बताया कि उनके परिवार में किसी के पास स्मार्टफोन नहीं था. जब उनसे ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बारे में बात की तो कहने लगे कि उन्हें तो टीका लगवाने के बारे में ही कोई पता नहीं है, फिर यह ऑनलाइन किस तरह से करते हैं, उससे तो बिल्कुल वो अनजान थे. यही हाल जिले में सभी ग्रामीण क्षेत्रों में है, जहां युवाओं के पास मोबाइल तक नहीं है या फिर की-पैड मोबाइल से ही काम चला रहे हैं.

vaccination in dungarpur
स्मार्टफोन तो दूर की-पैड मोबाइल तक नहीं...

दो वक्त की रोटी का जुगाड़ ही मुश्किल, महंगा मोबाइल कहां से लाएं...

शहर के सटे मांडवा खापरडा गांव में लोगों से बात की तो बताया कि उनके पास तो स्मार्टफोन नहीं है. उन्होंने कहा कि दिनभर में मेहनत मजदूरी कर जैसे-तैसे दो वक्त की रोटी का जुगाड़ होता है. ऐसे में उनके पास स्मार्टफोन खरीदने के लिए पैसे नहीं है. उन्होंने कहा कि की-पैड वाला मोबाइल 400 से 500 रुपये में मिल जाता है, उसी से उनका काम चल जाता है. जबकि स्मार्टफोन 5 हजार रुपये से कम में नहीं मिलता है. इतने में तो 2 से 3 महीने का खाने-पीने से सामान आ जाता है. ऐसे में स्मार्टफोन से ज्यादा घर की जरूरतें बताई.

गांवों में इंटरनेट सेवाएं दूर, नेटवर्क की भी परेशानी...

शहर के अधिकतर युवाओं व लोगों के पास तो स्मार्टफोन उपलब्ध हैं. ऐसे में शहरी युवा जागरूक रहकर वैक्सीनेशन करवा रहे हैं, लेकिन गांवों में इंटरनेट सेवाएं तो दूर, नेटवर्क भी नहीं मिलता. जिले के कई गांव ऐसे हैं, जहां इंटरनेट की सुविधा नहीं या फिर नेट काफी धीमा चलता है, जिस कारण ऑनलाइन करना बहुत ही मुश्किल है. कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर प्रशासन की ओर से निर्धारित समय पर रजिस्ट्रेशन के बाद बुकिंग स्लॉट खोला जाता है. उसी समय मे ऑनलाइन बुकिंग करना होता है, लेकिन उस समय में नेट नहीं चलने से परेशानी होती है.

problem in online registration
युवा वैक्सीनेशन से हो रहे दूर...

जिले में अब तक करीब 8,200 युवाओं का ही हुआ वैक्सीनेशन...

जिले में 18 से 44 साल के युवाओं के वैक्सीनेशन पर नजर दौड़ाएं तो अब तक 8 हजार 200 युवाओं ने ही वैक्सीनेशन करवाया है. इसकी मुख्य वजह जिले में युवाओं के वैक्सीनेशन को लेकर केवल एकमात्र केंद्र है. जहां पहले से रजिस्ट्रेशन और बुकिंग करने वालों को ही टीका लगाया जाता है, जबकि कई युवाओं के पास स्मार्टफोन नहीं होने से वे युवा ऑनलाइन बुकिंग या रजिस्ट्रेशन ही नहीं करवा पा रहे हैं.

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