डूंगरपुर. कोरोना वायरस की महामारी से देश ही नहीं पूरी दुनिया जूझ रही है. इसके संक्रमण को रोकने के लिए भारत में पिछले एक महीने से लॉकडाउन है. दुनिया के कई अन्य देशों में भी भारत के तरह ही लॉकडाउन चल रहा है और इसी में एक है कुवैत. कुवैत के वागड़ सहित देश के बड़ी संख्या में लोग रोजगाररत हैं, लेकिन अब वे बेरोजगार होकर कमरों में कैद होकर रह गए हैं. खाने-पीने के संकट के साथ ही आर्थिक तंगी झेल रहे कुवैत में रोजगाररत लोग अब वतन वापसी के लिए देश के प्रधानमंत्री और सरकार से मांग कर रहे हैं.
कुवैत में देश के विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में लोग रोजगार करते हैं. इनमें सबसे ज्यादा वागड़ क्षेत्र और डूंगरपुर-बांसवाड़ा के लोग हैं, जो कुवैत के इस्तकलाल, खेतान, सालमिया और कुवैत सिटी में अलग-अलग जगह पर काम कर रहे हैं.
वागड़ के मुकेश कलाल का कहना है कि वे कुवैत में अच्छे रोजगार की उम्मीद में आए थे. पहले अच्छा काम भी मिलता था और कमाई भी होती थी. लेकिन कोरोना महामारी के कारण वे बेरोजगार हो गए हैं. उनका कहना है कि एक कमरे में 4 लोग रहते हैं. कलाल का कहना है कि यहां एक कमरे का किराया भी 100 से 500 दिनार है यानी करीब 25 हजार से लेकर 80 हजार रुपए तक. उन्होंने बताया कि वे दो महीने से बेरोजगार हैं और अब तो किरायेदार भी किराया मांगने लगे हैं.
वागड़ के कई युवा क्वॉरेंटाइन सेंटरों में
कोरोना वायरस की महामारी के कुवैत भी जूझ रहा है तो कोरोना संक्रमित व्यक्ति के मिलने के बाद आसपास के कई लोगों को कुवैत सरकार ने क्वॉरेंटाइन कर दिया है. जिसमें कई वागड़ के लोग भी हैं, जो अभी क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे हैं. बताया जा रहा है कि कुवैत के क्वॉरेंटाइन सेंटरों में भी सैकड़ों की संख्या में लोगों को एक साथ रखा हुआ है, जहां उन्हें खाने-पीने के साथ ही कई समस्याएं भी झेलनी पड़ रही है.
पीएम मोदी और गहलोत सरकार से घर पंहुचाने की गुहार
कुवैत में फंसे हजारों लोग अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजस्थान की गहलोत सरकार से उम्मीद लगा रहे हैं कि सरकार कोई पहल करें. उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि जो लोग फंसे हुए हैं, उन्हें सुरक्षित वहां से लाकर घरों तक पहुचाएं. दूसरी ओर जो लोग कुवैत में रोजगार कर रहे हैं उनके परिवारजन भी अब चिंतित हैं कि वे किस हाल में होंगे. ऐसे में उनके परिजन भी सरकार से उम्मीद लगाए हुए हैं.