डूंगरपुर. जिले में शिक्षक भर्ती 2018 के तहत रिक्त रहे अनारक्षित 1167 पदों को भरने का विवाद अब गरमाने लगा है. जिले में जहां एसटी वर्ग सभी पदों को भरने की मांग को लेकर कांकरिया डूंगरी पर पड़ाव डाले हुए है. वहीं समानता मंच के साथ ही सामान्य वर्ग से जुड़े सभी संगठन भी मामले में ज्ञापनों के जरिए सरकार से मामले में रिक्त पदों को सभी वर्गों से भरने की मांग कर रहा है.
इधर, इस मामले में राजनीतिक दखल अंदाजी से डूंगरपुर जिले में एसटी और नॉन एसटी वर्ग के बीच सामाजिक सद्भाव भी बिगड़ने का अंदेशा है. ऐसे में सब की निगाहें सरकार की ओर है कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है.
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दरअसल, वर्ष 2018 की शिक्षक भर्ती में पात्रता के दायरे में नहीं आने के चलते अनारक्षित वर्ग के 1167 पद रिक्त रह गए थे. इन पदों को एसटी वर्ग से भरने के लिए एसटी अभ्यर्थी पूर्व में 2019 में कलेक्ट्री पर 22 दिन धरना देने के बाद अहमदाबाद- उदयपुर नेशनल हाइवे के किनारे कांकरी डूंगरी पर पड़ाव डालकर बैठे थे.
हाईवे पर कानून व्यवस्था बिगड़ने की संभावनाओं के चलते राज्य सरकार ने एक कमेटी बनाकर विवाद सुलझाने का आश्वासन दिया था, हालांकि उसके ठीक बाद कोविड महामारी के कारण प्रकरण ठंडे बस्ते में चला गया.
वहीं सरकार की ओर से कोई हल निकलने पर एसटी वर्ग ने फिर से अपनी आन्दोलन की हुंकार भरी और पिछले 11 दिन से अहमदाबाद-उदयपुर नेशनल हाईवे के किनारे कांकरी डूंगरी पर पड़ाव डालकर बैठे हुए है और सरकार से अनारक्षित 1167 पदों को एसटी वर्ग से भरने की मांग कर रहे है. वहीं दूसरी ओर समानता मंच और सामान्य वर्ग नियमानुसार ही इन पदों को भरने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा है. जिससे कि सभी वर्गों को बराबर अधिकार मिले.
पड़ाव डाले अभ्यर्थियों को बीटीपी का समर्थन
एसटी अभ्यर्थियों की ओर से पड़ाव को लेकर कोई अनुमति जिला प्रशासन से नहीं ली गई है और मौके पर कोविड-19 की पालना भी नहीं की जा रही है. जिसके चलते प्रशासन ने पड़ाव डालने वाले अभ्यर्थियों को पड़ाव खत्म करने के लिए नोटिस जारी किया है. वहीं पड़ाव खत्म नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है. इधर कांकरी डूंगरी पर पड़ाव डाल रहे अभ्यर्थी अपनी मांग पूरा करवाने के लिए अलग-अलग तरीकों से सरकार पर दबाव डालने का काम कर रहे है.
अभ्यर्थियों ने फांसी के फंदे लगाकर आत्महत्या करने जैसी चेतावनी भी सरकार को दी है. मामले में भारतीय ट्रायबल पार्टी से जुड़े दोनों विधायक राजकुमार और रामप्रसाद भी एसटी अभ्यर्थियों की पैरवी करते दिखाई दे रहे है. साथ ही चेतावनी भी दे रहे है कि इनकी मांगे नहीं मानी गई तो आदिवासी अंचल में बड़ा आंदोलन होगा.
सामान्य सहित सभी वर्गों के लिए समानता मंच आया आगे
जहां एक ओर एसटी वर्ग अनारक्षित पदों को एसटी अभ्यर्थियों से भरने की मांग कर रहा है, तो वहीं टीएसपी क्षेत्र में सामान्य और ओबीसी वर्ग की मांगों की लड़ाई लड़ने वाले समानता मंच भी मामले में कूद गया है. समानता मंच की ओर से भी तहसील स्तर पर प्रदर्शन किए जा रहे है. सरकार से रिक्त पदों को टीएसपी क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था के अनुरूप सभी वर्गों से पदों को भरने की मांग की है.
समानता मंच के संयोजक दिग्विजय सिंह चुंडावत ने साफ कर दिया है कि अनारक्षित पदों पर एससी, ओबीसी और सामान्य वर्ग का भी बराबर का हक मिले और 5 फीसदी की छूट देकर सभी 1167 पद भरे जाए. साथ ही टीएसपी क्षेत्र का दायरा बढ़ा है तो आगे से निकलने वाली नियुक्तियों में पदों की संख्या भी सभी भर्तियों में बढ़ाई जाए. वहीं हाईकोर्ट की डबल बेंच ने भी रिक्त अनारक्षित पदों को आनारक्षित वर्ग से भरने के ही आदेश दिए है.
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बहरहाल शिक्षक भर्ती 2018 में रिक्त पदों को भरने को लेकर तनातनी चल रही है. राजनीतिक दल भी सहानुभूति बटोरने के लिए मामले में दखलअंदाजी कर रहे है. जिसके चलते डूंगरपुर जिले में एसटी और नॉन एसटी वर्ग के बीच सामाजिक सद्भाव भी बिगड़ने का अंदेशा बना हुआ है. फिलहाल जिला प्रशासन पूरे मामले में पूरी सतर्कता बरत रहा है. सबकी निगाहें राज्य सरकार पर टिकी हुई है. ऐसे में आवश्यकता है सरकार मामले के ऐसा कोई हल निकाले जिससे रिक्त पड़े पद भी भर जाए और जिले में सामाजिक समरसता भी बनी रहे.