डूंगरपुर. होली का त्योहार रंगो का और खुशियों का त्योहार है. इस दिन लोग सारे गिले शिकवे भुल कर एक दुसरे को रंग लगाते है और रंगो के इस त्योहार को और भी खास बनाते है. होली के त्योहार में रंगो का खास महत्व होता है. लेकिन अगर ये रंग हर्बल के बने हो तो होली और भी सुरक्षित होगी.
ऐसे ही डूंगरपुर जिले के दिव्यांगजनों ने एक समूह बनाया है जो होली के लिए हर्बल रंग बनाते है और इनके इस रंगो की डिमांड देश की राजधानी दिल्ली और मायानगरी मुंबई तक डिमांड है. दिव्यांग अधिकार संगठन की ओर से नवाडेरा में एक ऐसा समूह संचालित किया जा रहा है जिसमें करीब 70 दिव्यांग महिलाएं और पुरुष जुड़े है. जिन्होंने दिव्यांग होते हुए अपने हुनर से अपनी अलग पहचान बनाई है.
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दिव्यांगजनों का यह समूह वैसे तो कई तरह की सामग्री तैयार करता है, लेकिन सबसे खास है हर्बल गुलाल. इनके बनाए ये हर्बल गुलाल इस बार होली में किसी के भी चेहरे की रंगत नहीं उतरने देगा. इस सेंटर के इंचार्ज अशोक गमेती खुद भी पैरों से दिव्यांग है. अशोक बताते है कि उनके साथ कई दिव्यांग महिला-पुरुष जुड़े है जो अपने हुनर के अनुसार अलग-अलग काम करते है. अशोक ने बताया कि होली को लेकर उनकी ओर से हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा, जिसकी बाजार में अच्छी डिमांड है. हर्बल गुलाल से किसी तरह का कोई खतरा भी नहीं है और यह पूरी तरह से सुरक्षित है.
कैसे बनता है ये हर्बल रंगः
अशोक ने बताया कि पेड़-पौधों की पत्तियों ओर फूलों को सुखाकर हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है. जिससे न तो किसी के चेहरे का रंग उड़ेगा ओर न ही किसी को स्किन से जुड़ी कोई बीमारी होगी. पलाश के फूल, अरहर के पत्ते, गल के फूल, सीताफल और रजगे के पत्तों और उनके फूलों को सुखाकर उनसे हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है. इसमे किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं जाता है, जिससे कोई नुकसान भी नहीं होता है.
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दिल्ली और मुंबई तक पंहुची मांगः
दिव्यांगजनों की ओर से तैयार किये गए हर्बल गुलाल की अच्छी खासी मांग है. देश की राजधानी दिल्ली से लेकर मायानगरी मुंबई तक हर्बल गुलाल की डिमांड बढ़ी है. इसके अलावा प्रदेश में भी जहा डिमांड होती है वहां जरूरत के अनुसार गुलाल भेजा जाता है. इससे जो आमदनी होती है वह दिव्यांगजन अपने समूह संचालन की राशि निकालकर अपने परिवार को चला रहे है.
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केमिकल युक्त रंग से हो सकती है बीमारियांः
होली के त्योहार को अब 5 दिन बचे है. वहीं बाजारों में कई तरह के केमिकल युक्त रंग आ चुके है. पक्के रंगों से जहां स्किन और एलर्जी से जुड़ी हुई बीमारियां होती है वहीं पक्के रंग को निकालने के लिए भी पानी की खपत भी ज्यादा होगी. लेकिन हर्बल गुलाल से न किसी तरह की बीमारी होगी और न ही रंग निकलने के लिए ज्यादा पानी की जरूरत पड़ेगी.