डूंगरपुर. प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों को देखते हुए राज्य सरकार की ओर से 19 अप्रैल से जन अनुशासन पखवाड़ा लागू कर दिया था. इसके बाद से जिलेभर में अनुमत दुकानों को छोड़कर पूरा बाजार बंद हो गया. वीकेंड कर्फ्यू, सख्त जन अनुशासन पखवाड़ा और फिर लॉकडाउन के कारण 43 दिनों तक बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा.
राज्य सरकार की ओर से मंगलवार सुबह 6 से 11 बजे तक बाजार खोलने की अनुमति के बाद सुबह होते ही बाजारों में भीड़ नजर आने लगी और लोग खरीदारी करने लगे. लेकिन व्यापारी वर्ग लॉकडाउन के कारण हुए भारी नुकसान से आहत है.
व्यापारियों का कहना है कि होली के बाद ही शादियों और अन्य कार्यक्रमों का सीजन शुरू हुआ था. इसके लिए कई लोगों ने एडवांस बुकिंग कार्रवाई थी, तो सीजन के कारण कई व्यापारियों ने अपनी दुकानों में सामान भी भर लिया था, लेकिन जन अनुशासन पखवाड़ा लागू होने के बाद से उनकी दुकाने बंद हो गई तो व्यापार चौपट हो गया.
लॉकडाउन के कारण कई शादियां कैंसिल हो गई, जिस कारण उनकी बुकिंग भी कैंसिल हो गई. खासकर सोने, चांदी, फर्नीचर, फोटो स्टूडियों के व्यापारियों को भारी नुकसान झेलना पड़ा. वहीं गर्मी के मौसम के बावजूद इलेक्ट्रॉनिक व्यापार खत्म हो गया. फ्रिज, कूलर, एसी की बिक्री इस बार बिल्कुल नहीं हुई.
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व्यापारियों ने कहा कि दुकाने भले ही बंद रही लेकिन उन्हें किराया देना पड़ रहा है. वहीं बंद के दौरान भी लाइट बिल उन्हें दिया गया है. जबकि एक रुपये की कमाई नहीं हुई तो बिल कहां से भरे. व्यापारियों ने बिजली के बिल माफ करने की गुहार लगाई है.
चित्तौड़गढ़ में भी खुले बाजार
करीब डेढ़ महीने बाद आखिरकार शहर के मार्केट आज सुबह खुल गए. हालांकि ग्राहकों के आने से पहले ही दुकानदार सामान समेट पर भी नजर आए. कुल मिलाकर मार्केट में सन्नाटा पसरा नजर आया लेकिन इस दौरान सुखद पहलू ये रहा कि मार्केट खुलने के दौरान दुकानदार से लेकर ग्राहक तक न केवल सोशल डिस्टेंसिंग बल्कि मास्क पहने नजर आए. हालांकि इस दौरान पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की गाड़ियां बाजारों में दौड़ती नजर आई. वहीं प्रमुख चौराहों पर गाइडलाइन की अवहेलना करने वालों के खिलाफ पुलिस मुस्तैद दिखाई दी. इसका नतीजा यह रहा कि इक्का-दुक्का को छोड़कर लोग मास्क पहने दिखाई दिए.