डूंगरपुर. जिले की पंचायत समिति की ग्राम पंचायत माडा में सचिव और सरपंच की ओर से बिना काम किए ही लाखों रुपए का भुगतान अपने रिश्तेदार की फर्म को कर गबन करने का मामला सामने आया है. मामला पंचायत मद से सामितेड आंगनबाड़ी से मुख्य सड़क तक ग्रेवल सड़क निर्माण से जुड़ा है, जहां पर बिना ग्रेवल सड़क का निर्माण कर साढ़े चार लाख से अधिक की राशि उठाई गई है. वहीं सामितेड आंगनबाड़ी से मुख्य सड़क तक वर्ष 2015 तक पहले से ही सीसी सड़क मौजूद है.
पंचायत समिति डूंगरपुर के ग्राम पंचायत माडा में सरकारी खजाने से अपना और अपने रिश्तेदारों का घर भरने का खुला खेल बेनकाब हुआ है. दरअसल ग्राम पंचायत माडा में ग्राम पंचायत के सचिव जितेश ने कनबा गांव स्थित अपने परिचित के बिल्डिंग मटेरियल की फर्म को साढ़े 4 लाख रुपए का भुगतान नेफ्ट बैंकिंग से कर दिया. इस भुगतान को ग्राम पंचायत के मद से आंगनबाड़ी सामिटेड से मुख्य सड़क तक ग्रेवल सड़क निर्माण के लिए करना कि बात सामने आई है, जबकि मौके पर अब तक कोई ग्रेवल सड़क नहीं है.
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बता दें कि इसी नाम की सीसी सड़क मनरेगा योजना में साल 2015 में बन चुकी थी. इस मामले की शिकायत माडा निवासी दिलीप ने जिला परिषद सीईओ से की तो पंचायत समिति और जिला परिषद दोनो ने अलग-अलग जांच कमेटी बनाकर मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन 10 दिन बाद भी शिकायतकर्ता पर मामला रफा दफा करने का दबाव बनाया जा रहा है.
मामले को रफा दफा करने की तैयारी
इधर पूरे मामले की जांच में जुटी टीम अब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है. वहीं जांच दलों से जब इसके कारण पूछे गए तो उनका सीधा सा जवाब है कि अभी सभी दस्तावेज उनके पास नहीं है, लेकिन जब जांच दल ग्राम पंचायत माडा में जांचकर लौट आए है और शिकायतकर्ता सहित आरोपी सचिव जितेश के बयान भी ले चुके है, तो किस दस्तावेज की कमी है. सूत्रों की माने तो जांच दल गुपचुप मौके पर सड़क बनने देने की राह देख रहा है, ताकि मामले को रफा दफा किया जा सके.
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जांच रिपोर्ट का इंतजार
बहरहाल मामला सामने आने के बाद डूंगरपुर पंचायत समिति की ओर से जांच टीम का गठन किया गया है. वहीं जांच टीम का गठन किए 10 दिन बीत चुके है, लेकिन 10 दिन बाद भी जांच टीम की जांच पूरी नहीं हो पाई है. ऐसे में कहीं न कहीं पंचायत समिति की जांच टीम की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे है. खैर अब देखना होगा कि पंचायत समिति की जांच कब तक पूरी होती है और पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी के खिलाफ किस प्रकार की कार्रवाई अमल में लाई जाती है.