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डूंगरपूर: लॉकडाउन में आबकारी विभाग को 50 करोड़ का नुकसान, दुकानें खुलने के बाद भी नहीं सुधरे हालात

लॉकडाउन फेज 3 में शराब की दुकानें खोलने के बाद भी आबकारी विभाग को हुआ नुकसान बना हुआ है. केवल डूंगरपूर जिले से ही आबकारी विभाग को करीब 50 करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान झेलना पड़ा है.

आबकारी विभाग नुकसान, Excise department loss
आबकारी विभाग को हुआ नुकसान
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Published : May 7, 2020, 2:26 PM IST

डूंगरपुर. लॉकडाउन के कारण देशभर में कई उद्योग-धंधे ठप्प पड़े हैं. जिससे करोड़ो रूपयों का नुकसान हुआ है. वहीं आबकारी विभाग को भी इसी तरह का नुकसान झेलना पड़ा है. आबकारी विभाग को लॉकडाउन के दौरान शराब की दुकानें बंद रहने से केवल डूंगरपूर जिले से ही करीब 50 करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान हुआ है.

वहीं राज्य सरकार की ओर से शराब की दुकानें खोलने के आदेशों के बाद भी हालात अब तक सुधर नहीं पाए हैं. प्रदेश की अर्थव्यवस्था में आबकारी विभाग की ओर से सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त होता है. वहीं हर साल अकेले डूंगरपूर जिला ही करोड़ों रुपए की शराब गटक जाता है.

आबकारी विभाग को हुआ भारी नुकसान

इस बार कोरोना वायरस की महामारी का असर आबकारी विभाग पर भी पड़ा है. जिला आबकारी अधिकारी महेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए जिले को 226 करोड़ रुपए का लक्ष्य मिला था. लॉकडाउन से पूर्व 20 मार्च तक आबकारी विभाग ने 176.77 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल कर लिया. लेकिन इस बीच लॉकडाउन लग जाने से शराब की दुकानें बंद कर दी गई. जिससे आबकारी विभाग को पिछले वित्तीय वर्ष में ही करीब 50 करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान झेलना पड़ा है.

पढ़ें: कोटपूतली के गद्दा फैक्ट्री में लगी भीषण आग, कड़ी मशक्कत के बाद टला बड़ा हादसा

जबकि आदिवासी बाहुल्य डूंगरपूर में अब तक शराब के जरिए लक्ष्य से ज्यादा ही राजस्व हासिल हुआ है. वहीं वित्तीय वर्ष 2018-19 की बात करें तो आबकारी विभाग ने 172 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त किया था.

50 में से सिर्फ 7 दुकानें ही खुलीं, दूसरे दुकानदारों ने राशि जमा करवाने में जताई असमर्थता

करीब डेढ़ माह तक लॉकडाउन के बाद राज्य सरकार ने 4 मई से एक बार फिर शराब की दुकानें खोलने के आदेश दिए. इस दौरान नया वित्तीय वर्ष शुरू होने से शराब के ठेके बदल गए. जिले में अंग्रेजी शराब के 10 और देसी और कंपोजिट शराब की 28 ग्रुप की 40 दुकानों के लिए ठेके हुए है. लेकिन केवल 7 ठेकेदारों ने ही प्रक्रिया पूरी करने के बाद अपनी दुकानें खोल दी हैं. अब भी 43 दुकानदार ऐसे हैं, जिन्हें दुकानें खोलने को लेकर कोई रुचि नजर नहीं दिखाई.

शराब की दुकानों के लिए कंपोजिट राशि ज्यादा होने की वजह से ये शराब ठेकेदार राशि जमा करवाने में असमर्थता जता रहे हैं. ऐसे में शराब की दुकानें खोलने के आदेश के बाद भी आबकारी के हालात नहीं सुधरे हैं. बहरहाल सरकार ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए शराब की दुकानें खुलवा दी हैं. लेकिन शराब ठेकेदारों की दुकानें खोलने को लेकर रुचि नहीं दिख रही. हालांकि आबकारी विभाग शराब ठेकेदारों से दुकानें खुलवाने के प्रयास कर रहा है. अब देखना होगा कि विभाग के प्रयास कितना रंग लाते है और कितने दुकानदार अपनी दुकानें खोलते हैं.

डूंगरपुर. लॉकडाउन के कारण देशभर में कई उद्योग-धंधे ठप्प पड़े हैं. जिससे करोड़ो रूपयों का नुकसान हुआ है. वहीं आबकारी विभाग को भी इसी तरह का नुकसान झेलना पड़ा है. आबकारी विभाग को लॉकडाउन के दौरान शराब की दुकानें बंद रहने से केवल डूंगरपूर जिले से ही करीब 50 करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान हुआ है.

वहीं राज्य सरकार की ओर से शराब की दुकानें खोलने के आदेशों के बाद भी हालात अब तक सुधर नहीं पाए हैं. प्रदेश की अर्थव्यवस्था में आबकारी विभाग की ओर से सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त होता है. वहीं हर साल अकेले डूंगरपूर जिला ही करोड़ों रुपए की शराब गटक जाता है.

आबकारी विभाग को हुआ भारी नुकसान

इस बार कोरोना वायरस की महामारी का असर आबकारी विभाग पर भी पड़ा है. जिला आबकारी अधिकारी महेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए जिले को 226 करोड़ रुपए का लक्ष्य मिला था. लॉकडाउन से पूर्व 20 मार्च तक आबकारी विभाग ने 176.77 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल कर लिया. लेकिन इस बीच लॉकडाउन लग जाने से शराब की दुकानें बंद कर दी गई. जिससे आबकारी विभाग को पिछले वित्तीय वर्ष में ही करीब 50 करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान झेलना पड़ा है.

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जबकि आदिवासी बाहुल्य डूंगरपूर में अब तक शराब के जरिए लक्ष्य से ज्यादा ही राजस्व हासिल हुआ है. वहीं वित्तीय वर्ष 2018-19 की बात करें तो आबकारी विभाग ने 172 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त किया था.

50 में से सिर्फ 7 दुकानें ही खुलीं, दूसरे दुकानदारों ने राशि जमा करवाने में जताई असमर्थता

करीब डेढ़ माह तक लॉकडाउन के बाद राज्य सरकार ने 4 मई से एक बार फिर शराब की दुकानें खोलने के आदेश दिए. इस दौरान नया वित्तीय वर्ष शुरू होने से शराब के ठेके बदल गए. जिले में अंग्रेजी शराब के 10 और देसी और कंपोजिट शराब की 28 ग्रुप की 40 दुकानों के लिए ठेके हुए है. लेकिन केवल 7 ठेकेदारों ने ही प्रक्रिया पूरी करने के बाद अपनी दुकानें खोल दी हैं. अब भी 43 दुकानदार ऐसे हैं, जिन्हें दुकानें खोलने को लेकर कोई रुचि नजर नहीं दिखाई.

शराब की दुकानों के लिए कंपोजिट राशि ज्यादा होने की वजह से ये शराब ठेकेदार राशि जमा करवाने में असमर्थता जता रहे हैं. ऐसे में शराब की दुकानें खोलने के आदेश के बाद भी आबकारी के हालात नहीं सुधरे हैं. बहरहाल सरकार ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए शराब की दुकानें खुलवा दी हैं. लेकिन शराब ठेकेदारों की दुकानें खोलने को लेकर रुचि नहीं दिख रही. हालांकि आबकारी विभाग शराब ठेकेदारों से दुकानें खुलवाने के प्रयास कर रहा है. अब देखना होगा कि विभाग के प्रयास कितना रंग लाते है और कितने दुकानदार अपनी दुकानें खोलते हैं.

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