डूंगरपुर. कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने देश में लगभग हर हिस्से में ब्रेक लगा दिया है. इसकी चपेट परिवहन विभाग भी आ चुका है. प्रदेश में हर साल लाखों की कमाई देने वाली डूंगरपुर रोडवेज इस बार कोरोना काल के चलते घाटे से गुजर रही है. इसके चलते डूंगरपुर रोडवेज को करीब 1 करोड़ 43 लाख रुपए का नुकसान हुआ है. इस बीच सरकार की ओर से लागू किए गए अनलॉक में भी यात्री गायब ही नजर आ रहे है. सड़कों पर बसें तो दौड़ रही है. लेकिन यात्री भार नहीं के बराबर है. जिससे डूंगरपुर रोडवेज का घाटा कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है.
इसको लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने डूंगरपुर रोडवेज के मुख्य प्रबंधक तस्दुक हुसैन से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि डूंगरपुर रोडवेज हर साल यात्री भार और कमाई के मामले में प्रदेश में अव्वल रहती है. लेकिन इस बार कोरोना का ऐसा असर हुआ कि रोडवेज के चक्कों पर ही ब्रेक लग गया. मार्च से लेकर मई महीने तक रोडवेज बिल्कुल थमी रही. जबकि अनलॉक के बाद रोडवेज कुछ रूट पर शुरू हुई, लेकिन यात्रीभार 50 फीसदी से भी कम देखने को मिला. ऐसे में डूंगरपुर रोडवेज को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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मुख्य प्रबंधक ने बताया कि बीते 21 मार्च तक ही रोडवेज बसें चली, जिससे लगभग 42 लाख रुपए का मुनाफा हुआ था. लेकिन अप्रैल से लेकर जून तक रोडवेज को करीब 1 करोड़ 43 लाख रुपए का नुकसान झेलना पड़ा. इस तरह जुलाई महीने में भी यात्रीभार नहीं मिलने से रोडवेज को नुकसान ही होगा. जानकारी के अनुसार डूंगरपुर रोडवेज के पास कुल 68 बसें है, जिसमें से 63 सरकारी और 5 अनुबंध आधारित है.
अगर डूंगरपुर रोडवेज के आंकड़ों की बात की जाए तो पिछले साल मार्च से लेकर मई तक 19 लाख 9 हजार 341 रुपए का लाभ हुआ था. हालांकि, जून महीने में रोडवेज को कुछ घाटा भी झेलना पड़ा था. हर साल कमाई करने वाली डूंगरपुर रोडवेज को इस बार काफी बड़ा घाटा हुआ हुआ है, जिससे उबर पाना रोडवेज के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.
मार्च में 42 लाख का नफा तो अप्रैल से लेकर जून तक 1.43 करोड़ का नुकसान
बीते 22 मार्च को सरकार की ओर से लॉकडाउन लगाया गया था. जिससे 21 मार्च रोडवेज को 42 लाख 8 हजार 759 का नफा हुआ. जबकि अप्रैल और मई महीने में पूर्ण लॉकडाउन के कारण परिवहन पूरी तरह बंद रही. जिस कारण अप्रैल में 56 लाख 4 हजार 971 रुपए, मई में 25 लाख 65 हजार 672 रुपए का नुकसान झेलना पड़ा. इसके अलावा जून में अनलॉक के चलते रोडवेज शुरू कर दिया गया. लेकिन यात्रीभार नहीं मिलने से इस महीने में भी 64 लाख 80 हजार 762 रुपए का नुकसान उठाना पड़ा.
आइएं डालते हैं आंकड़ों पर एक नजर
मार्च-2020 | अप्रैल-2020 | मई-2020 | जून-2020 | |
कितने चली बसें | 5,33,278 किमी | 51,137 किमी | 76,581 किमी | 69,047 किमी |
आय | 1,95,58,610 रुपए | 32,60,869 रुपए | 68,20,265 रुपए | 35,06781 रुपए |
खर्च | 1,91,29,852 रुपए | 88,65,840 रुपए | 93,85,937 रुपए | 99,87,543 रुपए |
नुकसान | 42,08,759 रुपए | 56,04,971 रुपये | 25,65,672 रुपए | 64,80,762 रुपए |
कोरोना में 516 बसें लगी जिसका 1.47 करोड़ का भुगतान बकाया
कोरोना काल में रोडवेज का संचालन पूरी तरह से बंद कर दिया गया था. लेकिन लॉकडाउन लागू होने के बाद गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से हजारों की संख्या में प्रवासी राजस्थान-गुजरात बॉर्डर पर पहुंचने लगे. इन प्रवासियों को उनके घरों तक पंहुचाने के लिए प्रशासन की ओर से रोडवेज की कई बसों को लगाया गया.
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इस दौरान रतनपुर बॉर्डर से प्रवासियों को उनके जिले या घरों तक पहुंचाने के अलावा 516 रोडवेज की बसें लगाई गई. इन बसों में 21 लाख 6 हजार 286 किमी का सफर तय किया. जिससे रोडवेज को 1 करोड़ 47 लाख 54 हजार 906 रुपए की आय हुई. हालांकि, रोडवेज की ओर से इसके बिल प्रशासन को दिए गए है. लेकिन इसका भुगतान अभी तक बाकी है. इसमें से 410 ट्रिप डूंगरपुर रोडवेज की बसों ने किए तो वहीं, 185 ट्रिप अन्य जिलों से आई बसों के द्वारा किए गए.
50 फीसदी से भी कम यात्रीभार
डूंगरपुर रोडवेज की बात करें तो अनलॉक के बाद सरकार की ओर से रोडवेज का संचालन करने के आदेश आने पर 11 शेड्यूल शुरू की गई, जो अब बढ़कर 26 हो चुके है. इसमें जयपुर, अहमदाबाद, वडोदरा और जोधपुर की लंबी रूट की बसें भी शामिल है. इसके अलावा लोकल रूट पर भी बसों का संचालन किया जा रहा है. आने वाले दिनों में इंदौर, रतलाम और बाड़मेर के लिए भी बसें चलाने की योजना है. लॉकडाउन से पहले रोडवेज में 85 से 90 प्रतिशत यात्रीभार होता था. लेकिन अब यह यात्रीभार 50 प्रतिशत तक सीमित रह गया है. जिससे रोडवेज को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है.