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डूंगरपुर: 8 हजार मैट्रिक टन खाद की डिमांड के मुकाबले केवल 3 हजार मैट्रिक टन उपलब्ध - राजस्थान

डूंगरपुर में  फसल की बुवाई के बाद अब किसानों को खाद की जरूरत रहेगी, लेकिन जिले में अब तक डिमांड के मुताबिक काफी कम खाद ही उपलब्ध है. वहीं कृषि विभाग के अधिकार इसे पर्याप्त बता रहे है.

केवल 3 हजार मैट्रिक टन उपलब्ध
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Published : Jul 22, 2019, 4:19 PM IST

डूंगरपुर. जिले में मानसून की पहली बारिश के बाद ही किसानों ने अपने खेतों में बुवाई पूरी कर ली है.वहीं किसानों ने करीब 1 लाख 53 हजार हेक्टेयर कृषि जोत लिया है. वहीं पहली बारिश के बाद ही 90 प्रतिशत में खेती हो गई,लेकिन इसके बाद बारिश बक दौर थम सा गया है और किसान आसमान की ओर देख रहे है.

बुवाई के बाद अब किसानों को फसल के लिए खाद की जरूरत रहेगी.जिले में करीब 8 हजार मैट्रिक टन खाद की डिमांड है, जबकि खाद 3 हजार मैट्रिक टन खाद मौजूद है. इसमें यूरिया खाद की डिमांड ज्यादा है, वहीं जरूरत के अनुसार डीएपी खाद भी उपलब्ध बताया जा रहा है.

8 हजार मैट्रिक टन खाद की डिमांड के मुकाबले केवल 3 हजार मैट्रिक टन उपलब्ध

वहीं खाद का वितरण जिले में स्थित सहकारी समिति या निजी खाद वितरण केंद्र के माध्यम से की जाएगी. आपको बता दें कि प्रदेश में पहली बाद खाद का वितरण पोस मशीन के माध्यम से किया जा रहा है. जिसका मुख्य उद्देश्य खाद की कालाबाजारी को रोकना है.जिससे कि किसानों को दिया जाने वाला खाद निजी दुकानों पर महंगे दामों पर न बिके.

डूंगरपुर. जिले में मानसून की पहली बारिश के बाद ही किसानों ने अपने खेतों में बुवाई पूरी कर ली है.वहीं किसानों ने करीब 1 लाख 53 हजार हेक्टेयर कृषि जोत लिया है. वहीं पहली बारिश के बाद ही 90 प्रतिशत में खेती हो गई,लेकिन इसके बाद बारिश बक दौर थम सा गया है और किसान आसमान की ओर देख रहे है.

बुवाई के बाद अब किसानों को फसल के लिए खाद की जरूरत रहेगी.जिले में करीब 8 हजार मैट्रिक टन खाद की डिमांड है, जबकि खाद 3 हजार मैट्रिक टन खाद मौजूद है. इसमें यूरिया खाद की डिमांड ज्यादा है, वहीं जरूरत के अनुसार डीएपी खाद भी उपलब्ध बताया जा रहा है.

8 हजार मैट्रिक टन खाद की डिमांड के मुकाबले केवल 3 हजार मैट्रिक टन उपलब्ध

वहीं खाद का वितरण जिले में स्थित सहकारी समिति या निजी खाद वितरण केंद्र के माध्यम से की जाएगी. आपको बता दें कि प्रदेश में पहली बाद खाद का वितरण पोस मशीन के माध्यम से किया जा रहा है. जिसका मुख्य उद्देश्य खाद की कालाबाजारी को रोकना है.जिससे कि किसानों को दिया जाने वाला खाद निजी दुकानों पर महंगे दामों पर न बिके.

Intro:डूंगरपुर। फसल की बुवाई के बाद अब किसानो को खाद की जरूरत रहेगी, लेकिन जिले में अब तक डिमांड के मुताबिक काफी कम खाद ही उपलब्ध है। बावजूद कृषि विभाग के अधिकार इसे पर्याप्त बता रहे है। हालांकि किसान बुवाई के बाद अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे है और इसके बाद ही खाद की डिमांड भी शुरू होगी।


Body:जिले में मानसून की पहली बारिश के बाद ही किसानों ने अपने खेतों में बुवाई पूरी कर ली। जिले में करीब 1 लाख 53 हजार हेक्टेयर कृषि जोत है जिसमे से पहली बारिश के बाद ही 90 प्रतिशत में खेती हो गई, लेकिन इसके बाद बारिश बक दौर थम सा गया है और किसान आसमान की ओर देख रहे है।
वहीं बुवाई के बाद अब किसानों को फसल के लिए खाद की जरूरत रहेगी। जिले के कृषि जोत को देखते हुए करीब 8 हजार मैट्रिक टन खाद की डिमांड है, जबकि जिले के अभी खाद की उपलब्धता को देखे तो आधे से भी कम करीब 3 हजार मैट्रिक टन खाद मौजूद है। इसमे यूरिया खाद की डिमांड ज्यादा है, वही जरूरत के अनुसार डीएपी खाद भी उपलब्ध बताया जा रहा है। खाद का वितरण जिले में स्थित सहकारी समिति या निजी खाद वितरण केंद्र के माध्यम से की जाएगी। आपको बता दे कि प्रदेश में पहली बाद खाद का वितरण पोस मशीन के माध्यम से किया जा रहा है और इसका उद्देश्य खाद की कालाबाजारी रोकना है। जिससे कि किसानों को दिया जाने वाला खाद निजी दुकानों या ने जगह पर महंगे दामों पर नही बिके। वहीं कृषि विभाग का दावा है कि अभी जो खाद उपलब्ध है वह पर्याप्त है। लेकिन देखना होगा कि खाद की डिमांड शुरू होने के बाद यह कितने किसानों को मिल पाता है।

बाईट- गौरीशंकर कटारा, सहायक निदेशक कृषि डूंगरपुर।


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