जयपुर: शहर की फैमिली कोर्ट-2 ने बालिग बेटी की शादी पर हुए 15 लाख रुपए खर्चे को पिता से दिलवाए जाने के संबंध में मां की ओर से पेश प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है.
पीठासीन अधिकारी तसनीम खान ने कहा कि बेटी बालिग है और वह खुद ही अपनी शादी पर हुए खर्चे को पिता से मांगने के लिए सक्षम है. ऐसे में एक मां अपनी बालिग बेटी के भरण-पोषण का खर्चा प्राप्त करने की हकदार नहीं है. वहीं भरण-पोषण अधिनियम के प्रावधानों के तहत अविवाहित बेटी वयस्कता की उम्र प्राप्त कर लेने के बाद भी विवाह होने तक भरण-पोषण प्राप्त करने की हकदार है. प्रार्थिया की बेटी बालिग है और उसकी शादी भी हो चुकी है. प्रार्थिया ने अपने प्रार्थना पत्र में यह नहीं बताया कि बेटी की शादी पर किस चीज में कितना खर्च हुआ था.
दरअसल प्रार्थिया पत्नी ने कोर्ट में साल 2017 में प्रार्थना पत्र दायर कर कहा था कि उसकी शादी अप्रार्थी से 1991 में हुई थी और इससे उन्हें 1994 में एक बेटी हुई. बेटी उसके पास ही रही और उसने ही 25 नवंबर, 2013 को उसकी शादी करवाई. इस शादी का खर्चा पति ने उसे नहीं दिया. ऐसे में उसने दूसरे लोगों से रुपए उधार लेकर बेटी का विवाह किया. ऐसे में उसे विवाह में खर्च हुए 15 लाख रुपए दिलाए जाए.
पढ़ें: शादी के बाद किसी दूसरे से संबंध बनाना अपराध नहीं : हाईकोर्ट - Rajasthan High Court
मामले में जुड़े अधिवक्ता डीएस शेखावत ने बताया कि एक बालिग बेटी अपने पिता से शादी पर हुए खर्चे को मांगने की अधिकारी है. वह चाहती तो शादी से पहले ही कोर्ट में इसके लिए प्रार्थना पत्र दायर कर सकती थी, लेकिन उसकी मां ने शादी के 4 साल बाद पति से खर्चा दिलवाने का प्रार्थना पत्र लगाया है, जो खारिज किए जाने योग्य है. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया. गौरतलब है कि प्रार्थना पत्र लंबित रहने के दौरान मानसिक क्रूरता के आधार पर 2019 में मां का तलाक भी हो गया.