जयपुर: आश्रम में शिष्या से दुष्कर्म करने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे प्रपन्नाचार्य उर्फ फलाहारी को हाईकोर्ट की ओर से अवमानना के नोटिस जारी करने के बाद ओपन जेल में भेजा गया है.
फलाहारी के वकील विश्राम प्रजापति ने बताया कि याचिकाकर्ता को अलवर के एडीजे कोर्ट ने सितंबर, 2018 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. करीब 7 सात की सजा काटने पर उसकी ओर से प्रार्थना पत्र पेश कर उसे ओपन जेल में शिफ्ट करने की गुहार की गई, लेकिन ओपन जेल सलाहकार कमेटी ने गत 14 फरवरी को उसका प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया. इस पर उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कमेटी के आदेश को चुनौती दी. जिसे स्वीकार करते हुए एकलपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि अभियुक्त याचिकाकर्ता को ओपन जेल में शिफ्ट किया जाए.
जस्टिस नरेन्द्र सिंह ने अपने आदेश में कहा था कि ओपन जेल की स्थापना इसलिए हुई है कि कैदी हुनर सीखकर सजा पूरी होने के बाद समाज में स्थापित हो सके. याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि अदालती आदेश के बाद भी अधिकारियों से याचिकाकर्ता को ओपन जेल में शिफ्ट नहीं किया. इस पर याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका दायर कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की गुहार की.
अवमानना याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए अदालत ने संबंधित अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किए. उसके बाद अब याचिकाकर्ता को ओपन जेल में भेजा गया है. गौरतलब है कि 21 वर्षीय विधि छात्रा ने सितंबर, 2017 को रिपोर्ट दर्ज करा कर कहा था कि फलाहारी बाबा ने 7 अगस्त को अलवर स्थित अपने आश्रम में उसके साथ दुष्कर्म किया था. इसके बाद एडीजे कोर्ट ने 26 सितंबर, 2018 को अभियुक्त फलाहारी का उम्रकैद की सजा सुनाई थी.