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Special: कोरोना और लॉकडाउन के बीच फंसा किसान, सब्जियों के नहीं मिल रहे खरीददार और ना ही उचित दाम

कोरोना वायरस की महामारी से पूरा देश जूझ रहा है. वहीं किसानों पर इसकी दुगुनी मार पड़ रही है. कोरोना की वजह से किसानों को लाखों की सब्जियों का न तो अच्छा दाम मिल रहा है और न ही इसके खरीदार. ऐसे में सब्जियां खेतों में ही सड़ गई या फिर फेंकनी पड़ रही हैं. हाल यह है किसान अपनी बेबसी के आगे लाचार खड़ा है. इनके माथे पर चिंता की लकीरें हैं और फरियाद सुनने वाला भी कोई नहीं है.

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कोरोना की मार से किसान बदहाल
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Published : Apr 14, 2020, 7:08 PM IST

डूंगरपुर. आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिला. यह राजस्थान का पिछड़ा इलाका भी माना जाता है. खेतीबाड़ी के लिहाज से भी यहां कुछ खास नहीं होता. लेकिन कुछ एक उन्नत किसान हिम्मत दिखाकर व्यावसायिक खेती कर भी दे, तो उनके लिए अच्छा बाजार नहीं मिलता. ऐसी परेशानियों से यहां का किसान पहले ही जूझता रहा है, लेकिन कोरोना वायरस की मार के बाद यहां का किसान टूट से गया है.

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खेतों में खराब हो रही सब्जियां

किसानों ने जैसे-तैसे कर पैसों का इंतजाम किया. सब्जियों का अच्छा बीज खरीदकर लाए, ताकि अच्छी सब्जियों की पैदावार से आर्थिक स्तर ऊंचा कर सके, लेकिन एक ही झटके में कोरोना वायरस की महामारी ने उनके पूरे अरमान तोड़ दिए. तीन महीने पहले की गई सब्जी के पौधे बड़े हुए और अब सब्जियां लगना शुरू हुई, तो कोरोना के कहर के कारण इन सब्जियों का कोई दाम नहीं मिल रहा है. ऐसे में पौधा खरीदने से लेकर उसे रोपने, सार-संभाल में जो खर्च हुआ. वो भी किसानों को वापस नहीं मिल रहा है.

कोरोना की मार से किसान बदहाल

यह भी पढ़ें- SPECIAL: कोरोना से पहले तबाही मचा चुकी हैं ये महामारियां, देखें रिपोर्ट

कलर फूल शिमला मिर्च ने रुलाया

किसान नीलेश कलाल बताते है कि इस बार शिमला मिर्च के अच्छे दाम मिलने की उम्मीद में बड़ी मात्रा में शिमला मिर्च की थी. इसके लिए अच्छी किस्म के कलरफुल शिमला मिर्च की थी, जो हरी, लाल-पीले कलर की थी. लेकिन कोरोना के कारण लॉकडाउन हुआ और अब सब्जियों के कोई खरीदार नहीं रहे.

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ना तो सब्जियों का दाम मिल रहा और ना ही खरीददार

नहीं मिल रही लागत भी

कलरफुल शिमला मिर्च जो होटल या शादी-ब्याह में खपत होती थी, लेकिन लॉकडाउन की वजह से होटल बंद हो गए. शादी-ब्याह कैंसिल हो गए. सब्जी मार्केट में सब्जी विक्रेता भी इसके दाम देने को तैयार नहीं हैं. वे प्रति किलो 2 से 5 रुपए ही दे रहे है, जबकि शिमला मिर्च का प्रति पौधा ही 10 रुपये में लाकर लगाया है. ऐसे में हाल ऐसे है कि शिमला मिर्च खेतो में ही सड़ रही है.

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हरी मिर्च का पौधा

यह भी पढे़ं- SPECIAL: राजस्थान के 70 लोग कर्नाटक में फंसे, सरकार से की घर पहुंचाने की अपील

मुफ्त में बांटी सब्जियां

नीलेश बताते है कि दाम नहीं मिल रहा, खरीदार दाम देने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में कुछ मिर्च तो मुफ्त में बांट दी. लेकिन इसके बावजूद बड़ी मात्रा में फेंकनी पड़ी. यही हाल टमाटर की खेती के भी है. किसान नीलेश में एक बड़े हिस्से में टमाटर की खेती भी की है. लेकिन इसका भी कोई दाम नहीं दे रहा. इससे निलेश को करीब 3 से 4 लाख रुपये तक का नुकसान हुआ है.नीलेश की तरह ही कई किसान और भी हैं, जिन्होंने अलग-अलग खेतीबाड़ी की. लेकिन कोरोना के कारण अब वे नुकसान झेल रहे हैं.

डूंगरपुर. आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिला. यह राजस्थान का पिछड़ा इलाका भी माना जाता है. खेतीबाड़ी के लिहाज से भी यहां कुछ खास नहीं होता. लेकिन कुछ एक उन्नत किसान हिम्मत दिखाकर व्यावसायिक खेती कर भी दे, तो उनके लिए अच्छा बाजार नहीं मिलता. ऐसी परेशानियों से यहां का किसान पहले ही जूझता रहा है, लेकिन कोरोना वायरस की मार के बाद यहां का किसान टूट से गया है.

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खेतों में खराब हो रही सब्जियां

किसानों ने जैसे-तैसे कर पैसों का इंतजाम किया. सब्जियों का अच्छा बीज खरीदकर लाए, ताकि अच्छी सब्जियों की पैदावार से आर्थिक स्तर ऊंचा कर सके, लेकिन एक ही झटके में कोरोना वायरस की महामारी ने उनके पूरे अरमान तोड़ दिए. तीन महीने पहले की गई सब्जी के पौधे बड़े हुए और अब सब्जियां लगना शुरू हुई, तो कोरोना के कहर के कारण इन सब्जियों का कोई दाम नहीं मिल रहा है. ऐसे में पौधा खरीदने से लेकर उसे रोपने, सार-संभाल में जो खर्च हुआ. वो भी किसानों को वापस नहीं मिल रहा है.

कोरोना की मार से किसान बदहाल

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कलर फूल शिमला मिर्च ने रुलाया

किसान नीलेश कलाल बताते है कि इस बार शिमला मिर्च के अच्छे दाम मिलने की उम्मीद में बड़ी मात्रा में शिमला मिर्च की थी. इसके लिए अच्छी किस्म के कलरफुल शिमला मिर्च की थी, जो हरी, लाल-पीले कलर की थी. लेकिन कोरोना के कारण लॉकडाउन हुआ और अब सब्जियों के कोई खरीदार नहीं रहे.

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ना तो सब्जियों का दाम मिल रहा और ना ही खरीददार

नहीं मिल रही लागत भी

कलरफुल शिमला मिर्च जो होटल या शादी-ब्याह में खपत होती थी, लेकिन लॉकडाउन की वजह से होटल बंद हो गए. शादी-ब्याह कैंसिल हो गए. सब्जी मार्केट में सब्जी विक्रेता भी इसके दाम देने को तैयार नहीं हैं. वे प्रति किलो 2 से 5 रुपए ही दे रहे है, जबकि शिमला मिर्च का प्रति पौधा ही 10 रुपये में लाकर लगाया है. ऐसे में हाल ऐसे है कि शिमला मिर्च खेतो में ही सड़ रही है.

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हरी मिर्च का पौधा

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मुफ्त में बांटी सब्जियां

नीलेश बताते है कि दाम नहीं मिल रहा, खरीदार दाम देने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में कुछ मिर्च तो मुफ्त में बांट दी. लेकिन इसके बावजूद बड़ी मात्रा में फेंकनी पड़ी. यही हाल टमाटर की खेती के भी है. किसान नीलेश में एक बड़े हिस्से में टमाटर की खेती भी की है. लेकिन इसका भी कोई दाम नहीं दे रहा. इससे निलेश को करीब 3 से 4 लाख रुपये तक का नुकसान हुआ है.नीलेश की तरह ही कई किसान और भी हैं, जिन्होंने अलग-अलग खेतीबाड़ी की. लेकिन कोरोना के कारण अब वे नुकसान झेल रहे हैं.

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