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SPECIAL : डूंगरपुर की स्वच्छता इसलिए है 'मॉडल'...बायो मलबे से यहां बनती है ईंधन गैस और जैविक खाद

स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में डूंगरपुर नगर परिषद सिटीजन फीडबैक में देशभर में पहले पायदान पर रहा. नगर परिषद ने स्वच्छता से लेकर घर-घर कचरा संग्रहण और उसके निस्तारण को लेकर बेहतरीन कार्य किए हैं. इसमें सबसे खास है सैप्टिक टैंक निस्तारण का कार्य.

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डूंगरपुर की स्वच्छता है 'मॉडल'
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Published : Feb 6, 2021, 9:22 PM IST

डूंगरपुर. स्वच्छता को लेकर डूंगरपुर नगर परिषद ने देश और प्रदेश में अपना डंका बजाया है. बात चाहे स्वच्छता की हो, घर-घर कचरा संग्रहण की हो या फिर सैप्टिक टैंक कचरा निस्तारण की. डूंगरपुर नगर परिषद ने हर कार्य को बखूबी अंजाम दिया है. देखिये यह खास रिपोर्ट...

डूंगरपुर से सीखें कचरा निस्तारण, बायो मलबे से बना रहे गैस, जैविक खाद

नगर परिषद ने सफाई कार्य के नवाचार की दिशा में आगे बढ़ते हुए कचरे का बेहतर निस्तारण करने के क्षेत्र में अच्छा कार्य किया है. सैप्टिक टैंक के मलबे से बायो गैस के साथ ही जैविक खाद बनाकर परिषद हर महीने 30 हजार रुपए की आय प्राप्त कर रहा है.

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जैविक खाद से होती है परिषद की कमाई

स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में डूंगरपुर नगर परिषद सिटीजन फीडबैक में देशभर में पहले पायदान पर रहा। नगर परिषद ने स्वच्छता से लेकर घर-घर कचरा संग्रहण और उसके निस्तारण को लेकर बेहतरीन कार्य किए हैं. इसमें सबसे खास है सैप्टिक टैंक निस्तारण का कार्य.

5 साल पहले सैप्टिक टैंक के लिए कर्मचारियों को टैंक में उतरकर गंदा साफ करना मजबूरी था. लेकिन इसके बाद नगर परिषद ने कर्मचारियों को इस काम से निजात दिलाते हुए वैक्यूम टैंकर खरीदा. जिससे अब कर्मचारियों को टैंक में उतरने की जरूरत नहीं होती.

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डूंगरपुर में नहीं है सीवरेज, खाली करने पड़ते हैं चैंबर

पढ़ें- स्पेशल: अब तक पूरी तरह से 'अनलॉक' नहीं हो सकी गुलाबी नगरी की मेट्रो

डूंगरपुर नगर परिषद के सफाई इंस्पेक्टर रामसिंह ने बताया कि नगर परिषद के पास एक कंटेनर है जो घरेलू या अन्य सैप्टिक टैंक की सफाई की लिए काम में लिया जाता है. एक बार सैप्टिक टैंक की सफाई का 2 हजार रुपये का चार्ज है. जबकि अतिरिक्त निकासी पर 1500 रुपये का चार्ज अलग से लगता है.

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मशीन से होता है चैंबर खाली करने का काम

उन्होंने बताया कि 3 हजार लीटर के इस कंटेनर पर एक वैक्यूम मशीन लगा हुआ है. जिसका पाइप सैप्टिक टैंक के पाइप से जोड़ दिया जाता है. इसके बाद वैक्यूम मशीन से सैप्टिक टैंक का गंदा पानी और मलबे को खींच लिया जाता है. एक बार मे 3 हजार लीटर बायो मलबा ही टैंकर में आ सकता है.

बनती है बायो गैस और फिर जैविक खाद

नगर परिषद के इंजीनियर विकास ने बताया कि कंटेनर के मलबे को भंडारिया में बनाये गए नगर परिषद के कचरा संग्रहण केंद्र में बायो गैस प्लांट में डाला जाता है. इस प्लांट से बायो गैस बनाई जाती है. जो प्लांट में रसोई गैस के रूप में काम आती है. इसके अलावा आसपास में घरों में भी गैस के कनेक्शन दिए गए हैं.

पढ़ें- टेरिटरी को लेकर अब झालाना में भी जंग, पेड़ पर चढ़कर कजोड़ और राणा के बीच फाइटिंग...देखें VIDEO

जिससे उनके घरों के चूल्हें जलते हैं. इसके बाद जो मलबा निकलता है उससे जैविक खाद तैयार की जाती है. इंजीनियर ने बताया कि मलबे को अलग-अलग टैंक में डालकर सुखाया जाता है. फिर मिश्रण तैयार कर जैविक खाद तैयार कर लिया जाता है.

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बायो मलबे से बनाई जाती है जैविक खाद

जैविक खाद से हर महीने 30 हजार की आय

इंजीनियर विकास ने बताया कि सैप्टिक टैंक के मलबे से तैयार जैविक खाद काफी उपयोगी है. इस जैविक खाद की बाजार में खूब डिमांड भी है. जैविक खाद की बिक्री के लिए केंद्र भी बनाया गया है. प्रति महीने इस प्लांट से करीब 25 हजार किलो जैविक खाद तैयार होती है. इसे बेचकर परिषद को हर महीने करीब 30 हजार रुपये तक की आय होती है.

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

सैप्टिक टैंक क्लीनर दिनेश ने बताया कि 5 साल पहले सैप्टिक टैंक को उसमें उतरकर सफाई करनी पड़ती थी. जिससे बीमार भी होते थे और गंदगी भी लगती थी. लेकिन अब मशीन से ही सफाई हो जाती है. वहीं मशीन से सफाई के बावजूद मास्क, हैंड ग्लब्स और जूतों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे सुरक्षा रह सके.

डूंगरपुर. स्वच्छता को लेकर डूंगरपुर नगर परिषद ने देश और प्रदेश में अपना डंका बजाया है. बात चाहे स्वच्छता की हो, घर-घर कचरा संग्रहण की हो या फिर सैप्टिक टैंक कचरा निस्तारण की. डूंगरपुर नगर परिषद ने हर कार्य को बखूबी अंजाम दिया है. देखिये यह खास रिपोर्ट...

डूंगरपुर से सीखें कचरा निस्तारण, बायो मलबे से बना रहे गैस, जैविक खाद

नगर परिषद ने सफाई कार्य के नवाचार की दिशा में आगे बढ़ते हुए कचरे का बेहतर निस्तारण करने के क्षेत्र में अच्छा कार्य किया है. सैप्टिक टैंक के मलबे से बायो गैस के साथ ही जैविक खाद बनाकर परिषद हर महीने 30 हजार रुपए की आय प्राप्त कर रहा है.

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जैविक खाद से होती है परिषद की कमाई

स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में डूंगरपुर नगर परिषद सिटीजन फीडबैक में देशभर में पहले पायदान पर रहा। नगर परिषद ने स्वच्छता से लेकर घर-घर कचरा संग्रहण और उसके निस्तारण को लेकर बेहतरीन कार्य किए हैं. इसमें सबसे खास है सैप्टिक टैंक निस्तारण का कार्य.

5 साल पहले सैप्टिक टैंक के लिए कर्मचारियों को टैंक में उतरकर गंदा साफ करना मजबूरी था. लेकिन इसके बाद नगर परिषद ने कर्मचारियों को इस काम से निजात दिलाते हुए वैक्यूम टैंकर खरीदा. जिससे अब कर्मचारियों को टैंक में उतरने की जरूरत नहीं होती.

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डूंगरपुर में नहीं है सीवरेज, खाली करने पड़ते हैं चैंबर

पढ़ें- स्पेशल: अब तक पूरी तरह से 'अनलॉक' नहीं हो सकी गुलाबी नगरी की मेट्रो

डूंगरपुर नगर परिषद के सफाई इंस्पेक्टर रामसिंह ने बताया कि नगर परिषद के पास एक कंटेनर है जो घरेलू या अन्य सैप्टिक टैंक की सफाई की लिए काम में लिया जाता है. एक बार सैप्टिक टैंक की सफाई का 2 हजार रुपये का चार्ज है. जबकि अतिरिक्त निकासी पर 1500 रुपये का चार्ज अलग से लगता है.

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मशीन से होता है चैंबर खाली करने का काम

उन्होंने बताया कि 3 हजार लीटर के इस कंटेनर पर एक वैक्यूम मशीन लगा हुआ है. जिसका पाइप सैप्टिक टैंक के पाइप से जोड़ दिया जाता है. इसके बाद वैक्यूम मशीन से सैप्टिक टैंक का गंदा पानी और मलबे को खींच लिया जाता है. एक बार मे 3 हजार लीटर बायो मलबा ही टैंकर में आ सकता है.

बनती है बायो गैस और फिर जैविक खाद

नगर परिषद के इंजीनियर विकास ने बताया कि कंटेनर के मलबे को भंडारिया में बनाये गए नगर परिषद के कचरा संग्रहण केंद्र में बायो गैस प्लांट में डाला जाता है. इस प्लांट से बायो गैस बनाई जाती है. जो प्लांट में रसोई गैस के रूप में काम आती है. इसके अलावा आसपास में घरों में भी गैस के कनेक्शन दिए गए हैं.

पढ़ें- टेरिटरी को लेकर अब झालाना में भी जंग, पेड़ पर चढ़कर कजोड़ और राणा के बीच फाइटिंग...देखें VIDEO

जिससे उनके घरों के चूल्हें जलते हैं. इसके बाद जो मलबा निकलता है उससे जैविक खाद तैयार की जाती है. इंजीनियर ने बताया कि मलबे को अलग-अलग टैंक में डालकर सुखाया जाता है. फिर मिश्रण तैयार कर जैविक खाद तैयार कर लिया जाता है.

डूंगरपुर कचरा निस्तारण नीति,  डूंगरपुर नगर परिषद सिटीजन फीडबैक,  डूंगरपुर घर-घर कचरा संग्रहण,  डूंगरपुर सैप्टिक टैंक वॉक्यूम सफाई,  Cleanliness Survey 2020 Dungarpur,  Dungarpur City Council Cleanliness,  Dungarpur Bio Debris Fuel Gas Organic Fertilizer, Dungarpur waste disposal policy, Dungarpur Municipal Council Citizen Feedback, Dungarpur Garbage Collection, Dungarpur Septic Tank Vacuum Cleaning
बायो मलबे से बनाई जाती है जैविक खाद

जैविक खाद से हर महीने 30 हजार की आय

इंजीनियर विकास ने बताया कि सैप्टिक टैंक के मलबे से तैयार जैविक खाद काफी उपयोगी है. इस जैविक खाद की बाजार में खूब डिमांड भी है. जैविक खाद की बिक्री के लिए केंद्र भी बनाया गया है. प्रति महीने इस प्लांट से करीब 25 हजार किलो जैविक खाद तैयार होती है. इसे बेचकर परिषद को हर महीने करीब 30 हजार रुपये तक की आय होती है.

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

सैप्टिक टैंक क्लीनर दिनेश ने बताया कि 5 साल पहले सैप्टिक टैंक को उसमें उतरकर सफाई करनी पड़ती थी. जिससे बीमार भी होते थे और गंदगी भी लगती थी. लेकिन अब मशीन से ही सफाई हो जाती है. वहीं मशीन से सफाई के बावजूद मास्क, हैंड ग्लब्स और जूतों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे सुरक्षा रह सके.

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