डूंगरपुर. आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले के युवाओं में रक्तदान के प्रति जागरूकता बढ़ी है. यही वजह है, कि पिछले 9 सालों में रक्तदान करने वालों की संख्या में हर साल बढ़ोतरी हो रही है. डूंगरपुर के युवा घायल और जरूरतमंद की जिंदगी के लिए वरदान बनकर सामने आए हैं, और दूसरों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं. खुद का खून देकर बीमारों और घायलों का जीवन बचाने के लिए युवा रक्तदान कर रहे हैं. पिछले 9 साल में 5 गुना तक रक्तदाता बढ़ गए हैं. अब रोज 7 से 8 लोग रक्तदान कर रहे हैं.
युवाओं को रक्तदान के प्रति प्रेरित करने के लिए कुछ संस्था और समाजसेवियों का विशेष योगदान है. इनके प्रयासों के बूते ही युवाओं में रक्तदान की चाह धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है. एक दशक पहले डूंगरपुर में रक्तदान को लेकर कई तरह की भ्रांतियां थी. लोग रक्तदान से कतराते थे, लेकिन तत्कालीन ब्लड बैंक प्रभारी डॉ राजेश सरैया, रक्तदाता पद्मेश गांधी ने निरंतर प्रयास किए.
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महावीर इंटरनेशनल जैसी स्वयंसेवी संस्थाओं का भी सहयोग मिला. रक्तदान परिषद का गठन कर पद्मेश गांधी को रक्तदान संयोजक मनोनीत किया गया. टीम ने लगातार प्रयास किए. जिसके परिणाम स्वरूप आज ब्लड बैंक जिले में रक्त की आवश्यकता के मुताबिक आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है.
ब्लड बैंक मेडिकल कॉलेज डूंगरपुर में इस बार और रक्तदान में कीर्तिमान रचते हुए 31 दिसंबर 2019 तक कुल 2891 यूनिट रक्त एकत्रित किया है. साल 2019 में साल 2018 के मुकाबले 758 यूनिट ज्यादा रक्त एकत्रित हुआ. साल 2019 में सबसे बड़ा रक्तदान शिविर 10 फरवरी को सागवाड़ा में आयोजित किया गया. शिविर में 576 लोगों ने रक्तदान किया. इसके अलावा आदिवासी विकास परिषद और रॉयल ग्रुप की ओर से 31 मार्च को 57 यूनिट और विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को 210 यूनिट रक्तदान किया गया.
साल दर साल बढ़ा रक्तदान का आंकड़ा
साल रक्तदान(यूनिट में)
2011 668
2012 994
2013 1193
2014 1578
2015 1806
2016 1882
2017 2131
2018 2133
2019 2891