डूंगरपुर. वैश्विक महामारी कोविड-19 से पूरा देश लड़ रहा है. कोरोना वायरस से बचाने के लिए कोरोना वॉरियर्स के रूप में डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ दिन-रात जुटे हुए हैं. इन कोरोना वॉरियर्स की सुरक्षा के लिए पर्सनल प्रोटेक्टशन किट (PPE) जरूरी है. बता दें कि टेक्सटाइल मंत्रालय ने राजस्थान के सागवाड़ा की न्यू जील रेन वेयर कंपनी को एक लाख पीपीई किट तैयार करने का ऑर्डर दिया है, जिसमें से करीब 60 हजार किट बनाई जा चुकी है.
कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ अभियान में जुटे चिकित्साकर्मियों के लिए राजस्थान के डूंगरपुर जिले की आदिवासी महिलाएं पीपीई किट तैयार कर रही हैं. बता दें कि न्यू जील रेन वेयर कंपनी की 400 से ज्यादा महिलाएं प्रतिदिन करीब 3 हजार किट तैयार कर रही हैं. पीपीई किट को ब्लड सेनिटेशन टेक्नोलॉजी पर तैयार किया जा रहा है.
जो महिलाएं रेन कोट बनाती थी उन्हीं के हाथ बना रहे सुरक्षा कवच
न्यू जील रेन वियर कंपनी की ओर से रेन कोट तैयार किए जाते हैं, इसके लिए हाई टेक्नोलॉजी की मशीनें लगाई गई हैं. वहीं स्थानीय लोगों में खासकर आदिवासी महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए रेन कोट बनाने का प्रशिक्षण दिया गया. कोरोना महामारी आई तो रेन कोट बनाने वाले इन्हीं हाथों को पीपीई कीट तैयार करने का भी प्रशिक्षण दिया गया. रेन कोट ओर पीपीई किट तैयार करने में ज्यादा फर्क नहीं होने के कारण इन महिलाओं के हाथ ही हुनरमंद हो गए और देखते ही देखते क्षेत्र की महिलाएं आज कोरोना यौद्धाओं को सुरक्षा कवच दे रही हैं.
यह PPE किट 100 फीसदी सुरक्षित हैः कंपनी मालिक
कंपनी के मालिक दीनबंधु त्रिवेदी का कहना है, कि यह पीपीई कीट 60 से 90 जीएसएम मोटे वुमन लेमिनेटेड फेब्रिक कपड़े को ब्लड सेनिटेशन तकनीक से तैयार किया जाता है. जो संक्रमण से बचाव के सभी पैरामीटर पर 100 प्रतिशत सुरक्षित है. केंद्र सरकार की ओर से परीक्षण के बाद ही इस पीपीई कीट को मान्यता मिली है.
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त्रिवेदी का कहना है कि पीपीई किट बनाने के लिए उन्होंने क्षेत्र की आदिवासी महिलाओं को चुनकर उनको प्रशिक्षण दिया. उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के बाद कंपनी की ओर से रोजाना करीब 3 हजार किट तैयार किया जा रहा है.
60 हजार हो चुकी है तैयारः कंपनी मैनेजर
न्यू जील रेन वियर कंपनी के मैनेजर प्रकाश सोनी ने बताया, कि ब्लड सेनिटेशन टेक्नोलॉजी से तैयार किए गए यह पीपीई कीट कोरोना यौद्धाओं के लिए पूरी तरह सुरक्षित है. उन्होंने बताया कि इस किट से हवा भी पास नहीं हो सकती है और संक्रमण का खतरा भी नहीं रहता है.
सोनी ने बताया कि इस कंपनी में 400 से अधिक महिलाएं और 250 पुरुष काम कर रहे हैं. दिन-रात यह महिलाएं पीपीई किट तैयार कर रही हैं. सोनी ने बताया कि सैंपल पास होने के बाद केंद्र सरकार के टेक्सटाइल मंत्रालय से कंपनी को 1 लाख पीपीई कीट निर्माण का ऑर्डर मिला था, जिसमें से अब तक 60 हजार कीट तैयार की चुकी है. उन्होंने बताया कि ये आदिवासी महिलाएं रोजाना करीब 3 हजार पीपीई कीट तैयार कर रही हैं.
सुरक्षा के भी सभी इंतजाम हैं...
कंपनी के मैनेजर का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण उससे बचाव को लेकर सरकार की गाइडलाइन का भी पूरा पालन किया जाता है. यहां काम करने वाली महिलाओं को रोजाना लाने और ले जाने के लिए बस लगी है. तो वहीं काम के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मास्क और सैनिटाइजेशन का पूरा ख्याल रखा जाता है.
हम भी गर्व महसूस कर रहे हैंः कार्मिक
फैक्ट्री में काम कर रही कार्मिक का कहना है कि इस समय हमारा देश वैश्विक महामारी कोविड-19 से जूझ रहा है और हमें बचाने के लिए डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ कोरोना योद्धा बनकर दिन-रात जुटे हुए हैं. उनका कहना है कि कोरोना योद्धाओं की सुरक्षा के लिए हम पीपीई किट बना रहे हैं, जिससे हमें भी गर्व महसूस होता है.
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महिलाओं का कहना है कि वे रोजाना रोजमर्रा के कामकाज निपटा कर कंपनी में आती हैं. उनका कहना है कि दिनभर पीपीई कीट बनाने के बाद जब शाम को घर जाती हैं तो फिर बच्चों और परिवार के लोगों की दोहरी जिम्मेदारी भी निभा रही है.
सुरक्षा कवच के साथ रोजगार भी
प्रदेश के लिए ये गौरव की बात है कि डूंगरपुर जिले में कोरोना योद्धाओं की सुरक्षा के लिए पीपीई किट आदिवासी महिलाओं द्वारा तैयार किए जा रहे हैं. इन पीपीई किट से जहां हमारी जान बचाने में दिन-रात लगे कोरोना योद्धाओं की सुरक्षा हो रही है तो वहीं डूंगरपुर जिले में इन पीपीई किट के निर्माण से सैकड़ों आदिवासी महिलाओं को रोजगार भी मिला है, जिससे ये महिलाएं आत्मनिर्भर तो हो ही रही हैं. वहीं, कोरोना महामारी के संकटकाल में अपना घर भी चला रही हैं.