डूंगरपुर. आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में करीब 14 लाख की आबादी निवास करती है, जिसमें से अधिकतर लोग गरीब होकर खेतीबाड़ी, मजदूरी, दिहाड़ी का काम कर अपना पेट पालते हैं. कई परिवारों के पास खुद का अपना घर तक नहीं है या फिर कच्चे या टूटे फूटे घर में ही अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. ऐसे परिवारों को पक्का आवास उपलब्ध करवाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री आवास योजना संचालित है.
पीएम आवास योजना के तहत वर्ष 2016 से लेकर अब तक डूंगरपूर जिले में 99 हजार 860 परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना की मंजूरी मिली है, जिसमें से 83 हजार 797 परिवारों के आवास का कार्य पूर्ण हो चुका है, जबकि 16 हजार 63 परिवारों के आवास आज तक अधूरे हैं, जो पूरे नहीं हो सके हैं. इसमें से करीब 638 आवास पिछले 4 सालों से अधूरे पड़े हैं. इन आवासों को पूरा करवाने के लिए सरकार से लेकर प्रशासन कई प्रयास कर रहा है, लेकिन कई कारणों से यह मकान आधे-अधूरे ही हैं.
आइए जानते हैं किस साल कितने आवास स्वीकृत, कितने पूरे और कितने अधूरे
वर्ष 2016-17 और 2017-18 में कुल 57 हजार 156 आवास स्वीकृत हुए, इसमें से 56 हजार 518 आवास का कार्य पूर्ण हो गया है, लेकिन 638 आवासों का काम 4 साल बाद भी आज तक अधूरा ही है. इसके अलावा वर्ष 2019-2020 में 35 हजार 938 आवासों को स्वीकृति मिली, जिसमें से अब तक केवल 26 हजार 639 आवास का कार्य ही पूरा हुआ है, जबकि 9 हजार 299 आवास का कार्य आज तक अधूरे हैं.
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वहीं वर्ष 2020-21 की बात करें तो इस वित्तीय वर्ष में 27 हजार 978 आवास का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इसमें से 7001 आवासों को ही स्वीकृति मिली है, जिसमें से अब तक 640 आवास कार्य पूरा हो चुका है, जबकि 6 हजार 361 आवास का कार्य अधूरा है या फिर शुरू ही नहीं हुआ है.
इधर जब अधूरे आवासों को लेकर जिला परिषद सीईओ अंजली राजोरिया से बातचीत की तो बताया कि अधूरे आवास को पूरा करवाने को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, फिर भी कुछ लोग कार्य नहीं करवा रहे हैं, उस पर कार्रवाई की जा रही है. वहीं पीएम आवास को लेकर लगातार समीक्षा की जा रही है. इसके लिए सभी विकास अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं.
ये कारण आए सामने
अधूरे पड़े आवासों को लेकर वैसे तो कई कारण हैं, लेकिन सबसे बड़े कारण जो सामने आ रहे हैं, इसमें लापरवाही भी एक वजह है. आवास पूर्ण करवाने की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों पर है, उनकी ओर से समय पर कार्य का निरीक्षण नहीं करने से ये अब तक अधूरे हैं. इसके अलावा कई लोग आवास योजना के लिए मिले पैसों को अन्य जगहों पर खर्च कर दिया, जिस कारण भी लोग अब अपने आवास का कार्य पूरा नहीं करवा पा रहे हैं.
इसी तरह कुछ लोग रोजगार के लिए गुजरात या अन्य जगहों पर पलायन कर गए हैं या फिर कुछ लोगों की मृत्यु हो चुकी है. ऐसे में उनके आवास भी अधूरे हैं. वहीं कुछ जगह ऐसी स्थितियां हैं, जहां महिलाएं नाते चली गई और मकान काम नहीं हो सका, लेकिन अब विभाग इन अधूरे मकानों का कार्य पूरा करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं. बहरहाल अब देखना होगा कि प्रशासन की ओर से कितने मकानों के कार्य पूरा करवाया जाएगा और कितने परिवारों को उनके घर मिल सकेंगे.