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परियोजना अटकी : 44 गांवों के लोग फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर

5 साल से जारी चंबल परियोजना का कार्य अभी भी अधूरा, लोगों को हो रही पीने के पानी समस्या.

5 साल से जारी चंबल परियोजना का कार्य अभी भी अधूरा, लोगों को हो रही पीने के पानी समस्या.
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Published : Apr 3, 2019, 2:45 PM IST

धौलपुर. 5 साल से जारी चंबल परियोजना का कार्य अभी भी अधूरा है. 2013 में कांग्रेस सरकार ने सैपऊ उपखण्ड के 44 गांवों को खारे पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए क्षेत्रीय ऑफसेट परिजनों को हरी झंडी दी थी. मौजूदा समय में परियोजना का काम 70 फीसदी ही हो पाया है.

5 साल से जारी चंबल परियोजना का कार्य अभी भी अधूरा, लोगों को हो रही पीने के पानी समस्या.

आपको बता दें कि कार्यकारी एजेंसी ने जून 2018 तक पानी सप्लाई देने का दावा किया था, लेकिन परियोजना का कार्य एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है.वहीं विभागीय अधिकारियों ने बताया कि परियोजना का कार्य पूरा ना होने पर फर्म को नोटिस जारी किए हैं.

नोटिस के तहत फर्म ने कार्य को गति नहीं दी तो फर्म को ब्लैकलिस्ट दिया जाएगा. साथ ही किसी और एजेंसी को कार्य का जिम्मा सौंप दिया जाएगा.

एक्स ई एन राधेश्याम ठाकुर ने बताया कि पूर्व में निर्माण करा रही कार्यकारी एजेंसी मैसर्स श्रीराम ईपीसी से 2 करोड़ से अधिक की पैनल्टी वसूल की गई है. साथ ही फर्म को पुनः नोटिस जारी किए हैं.

बता दें कि क्षेत्रीय विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा की मांग पर सरकार ने अंतिम बजट में सवा 32 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति जारी कर क्षेत्रीय ऑफसेट परियोजना को हरी झंडी दी थी.

इस दौरान वसुंधरा सरकार के शासनकाल में महल परियोजना का कार्य 70 फीसदी हो सका. अब पुनः कांग्रेस सरकार वापस आई है, लेकिन वर्क प्रोग्रेस काफी धीमी होने पर परियोजना का काम लगातार पिछड़ जा रहा है.

धौलपुर. 5 साल से जारी चंबल परियोजना का कार्य अभी भी अधूरा है. 2013 में कांग्रेस सरकार ने सैपऊ उपखण्ड के 44 गांवों को खारे पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए क्षेत्रीय ऑफसेट परिजनों को हरी झंडी दी थी. मौजूदा समय में परियोजना का काम 70 फीसदी ही हो पाया है.

5 साल से जारी चंबल परियोजना का कार्य अभी भी अधूरा, लोगों को हो रही पीने के पानी समस्या.

आपको बता दें कि कार्यकारी एजेंसी ने जून 2018 तक पानी सप्लाई देने का दावा किया था, लेकिन परियोजना का कार्य एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है.वहीं विभागीय अधिकारियों ने बताया कि परियोजना का कार्य पूरा ना होने पर फर्म को नोटिस जारी किए हैं.

नोटिस के तहत फर्म ने कार्य को गति नहीं दी तो फर्म को ब्लैकलिस्ट दिया जाएगा. साथ ही किसी और एजेंसी को कार्य का जिम्मा सौंप दिया जाएगा.

एक्स ई एन राधेश्याम ठाकुर ने बताया कि पूर्व में निर्माण करा रही कार्यकारी एजेंसी मैसर्स श्रीराम ईपीसी से 2 करोड़ से अधिक की पैनल्टी वसूल की गई है. साथ ही फर्म को पुनः नोटिस जारी किए हैं.

बता दें कि क्षेत्रीय विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा की मांग पर सरकार ने अंतिम बजट में सवा 32 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति जारी कर क्षेत्रीय ऑफसेट परियोजना को हरी झंडी दी थी.

इस दौरान वसुंधरा सरकार के शासनकाल में महल परियोजना का कार्य 70 फीसदी हो सका. अब पुनः कांग्रेस सरकार वापस आई है, लेकिन वर्क प्रोग्रेस काफी धीमी होने पर परियोजना का काम लगातार पिछड़ जा रहा है.

Intro:5 वर्ष से अधिक समय बाद भी चंबल परियोजना का कार्य अधूरा। वर्ष 2013 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सैपऊ उपखण्ड के 44 गांवों को खारे पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए क्षेत्रीय ऑफसेट परिजनों को दी थी हरी झंडी। मौजूदा समय में परियोजना का काम है 70 फ़ीसदी ही है।

धौलपुर जिले के सैपऊ उपखंड के 44 गांवों के लिए स्वीकृत क्षेत्रीय ऑफसेट योजना का कार्य करा रही मैसर्स श्रीराम ईपीसी फर्म 5 वर्ष से अधिक समय के अंतराल में महज 70 फ़ीसदी ही कार्य को अंजाम दे सकी है ।जिससे उपखंड के 44 गांवों के ग्रामीणों में निराशा छाई है ।कार्यकारी एजेंसी ने जून 2018 तक पानी सप्लाई देने का दावा किया था। लेकिन कछुआ चाल से चल रहे निर्माण से परियोजना का कार्य 1 वर्ष और खिसक गया है। जिससे ग्रामीणों को पानी मिलने की आस दिखाई नहीं दे रही है। मौजूदा समय की बात की जाए तो फर्म द्वारा लगातार कछुआ चाल से कार्य किया जा रहा है।


Body:विभागीय अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि कार्य पिछड़ने पर फर्म को नोटिस जारी किए हैं। नोटिस के तहत फर्म ने कार्य को गति नहीं दी तो फर्म को ब्लैकलिस्ट कर अन्य किसी एजेंसी को कार्य का जिम्मा सौंप कर परियोजना के कार्य को पूरा कराया जाएगा। प्रोजेक्ट को देख रहे एक्स ई एन राधेश्याम ठाकुर ने बताया कि पूर्व में निर्माण करा रही कार्यकारी एजेंसी मैसर्स श्रीराम ईपीसी से 2 करोड़ से अधिक की पैनल्टी वसूल की गई है। फर्म को पुनः नोटिस जारी किए हैं। गौरतलब है कि उपखंड के 44 गांवों के ग्रामीण लंबे समय से फ्लोराइड मुक्त पानी की आस लगाए बैठे हैं। लगभग 5 वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी योजना धरातल पर नहीं आने पर ग्रामीणों में निराशा छाई है।


Conclusion:गौरतलब है कि वर्ष 2013 में तत्कालीन कांग्रेस गहलोत सरकार ने सैपऊ उपखंड के 44 गांवों को फ्लोराइड युक्त पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए क्षेत्रीय विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा की मांग पर सरकार ने अंतिम बजट में सवा 32 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति जारी कर क्षेत्रीय ऑफसेट परियोजना को हरी झंडी दी थी। इस दौरान वसुंधरा सरकार के शासनकाल में महल परियोजना का कार्य 70 फ़ीसदी हो सका। अब पुनः कांग्रेस सरकार वापस आई है। लेकिन वर्क प्रोग्रेस काफी धीमी होने पर परियोजना का काम लगातार पिछड़ जा रहा है।
Neeraj Sharma
Dholpur
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