बाड़ी (धौलपुर). राजस्थान सरकार द्वारा कोरोना के नाम पर कर्मचारियों और शिक्षकों को विश्वास में लिए बगैर प्रतिमाह एक दिन का वेतन काटने के आदेशों से कर्मचारियों सहित शिक्षकों में बेहद आक्रोश व्याप्त है. वेतन कटौती के आदेश के विरोध में शिक्षकों ने राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम के बैनर तले प्रदेश उपसभाध्यक्ष सुरेश भारद्वाज की अध्यक्षता में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय किला बाड़ी में एकत्रित होकर बैठक की. इस दौरान इन लोगों ने विरोध प्रदर्शन कर शिक्षकों ने बाड़ी उपखंड अधिकारी कार्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम उपखंड अधिकारी राधेश्याम मीणा को ज्ञापन सौंपा.
वहीं वरिष्ठ शिक्षक नेता सुरेश भारद्वाज ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार अपने खर्चों की पूर्ति के लिए सरकारी कर्मचारियों के वेतन से प्रतिमाह कटौती करने का जो आदेश दिया है, वह कर्मचारियों के साथ नाइंसाफी हैं, जिसे कर्मचारी वर्ग कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगा. भारद्वाज ने कहा कि सरकार पूर्व में कर्मचारियों के वेतन से 5 दिन तक का वेतन काट चुकी है और मार्च माह का 16 दिन का वेतन सरकार द्वारा स्थगित कर रखा है, जो अभी तक कर्मचारियों को नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि कर्मचारी सहित शिक्षकों ने कोरोना काल में तन, मन और धन से अपनी सेवाएं दी है और आज भी दे रहे हैं, लेकिन सरकार द्वारा कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के बजाए हतोत्साहित किया जा रहा है.
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उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार माली हालत खराब बताकर कर्मचारियों के वेतन से कटौती कर रही है. वहीं दूसरी ओर विधायकों की सुविधाएं बढ़ाने के साथ-साथ पूर्व विधायकों की पेंशन बढ़ोतरी कर रही है. मंत्रियों और विभिन्न प्रकोष्ठों के अध्यक्षों के लिए इनोवा गाड़ी खरीद रही है. भारद्वाज ने कहा कि गहलोत सरकार ने सत्ता में आने से पहले कर्मचारियों से वेतन विसंगति दूर करने, भटनागर समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करने, शिक्षक स्थानांतरण की नीति बनाने सहित कई वायदे किए थे, लेकिन डेढ़ वर्ष से ज्यादा का समय निकलने के बाद भी सरकार ने कर्मचारियों सहित शिक्षकों की एक भी समस्या का समाधान नहीं किया है. यहां तक की भटनागर समिति की रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं की है.
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इस मौके पर शिक्षक नेता अब्दुल अजीज ने कहा कि सरकार ने कुछ चहेते कर्मचारी और संगठनों के साथ वार्ता कर यह माहौल बनाने का प्रयास किया है कि कर्मचारी वर्ग स्वेच्छा से वेतन देने के लिए तैयार है, जबकि हकीकत यह है किसी भी कर्मचारी संगठन ने वेतन कटौती की कोई सहमति प्रदान नहीं की है. यह सरकार का एकतरफा निर्णय हैं, जो कर्मचारियों के साथ कुठाराघात है. शिक्षक नेता रमेश चंद शर्मा एवं ग्याप्रसाद शर्मा ने कहा कि सरकार को वेतन कटौती का आदेश तुरंत वापस लेना चाहिए और पूर्व में कर्मचारियों के वेतन से काटी गई राशि का उपयोग सार्वजनिक करना चाहिए. शिक्षक रामनिवास मीणा ने कहा कि सरकार को मार्च माह का स्थगित वेतन पहले देना चाहिए. उसके बाद कर्मचारियों सहित शिक्षकों को विश्वास में लेकर ही कोई कदम उठाना चाहिए.