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आलू पर मौसम की मार: धौलपुर में कम पैदावार होने से चिंता में किसान, मंडी में भी कम मिल रहा भाव

आलू की फसल पर मौसम की मार पूरी तरह से नजर आ रही है. धौलपुर में सरसों की कटाई और आलू फसल की खुदाई से शुरुआत रुझान से किसानों को झटका लगा है. दोनों फसलों में किसानों को भारी गिरवाट की आशंका दिखाई दे रही है. जिससे किसानों को चिंता सताने लगी है..

dholpur potato crop, आलू की फसल
धौलपुर में आलू की फसल
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Published : Feb 28, 2020, 6:52 PM IST

धौलपुर. जिले में मौजूदा सीजन रबी फसल के पकाव के बाद सरसों की कटाई और आलू फसल की खुदाई का काम चल रहा है. दोनों फसल की लावनी की किसानों ने कवायद शुरू कर दी है. सरसों और आलू फसल का काम जोरों से चल रहा है. गेंहू फसल अभी पकाव से दूर है. जिसकी लावनी की शुरुआत 15 दिन बाद शुरू होगी. सरसों की कटाई और आलू फसल की खुदाई से शुरुआत रुझान से किसानों को झटका लगा है.

फसलों में भारी गिरावट की आशंका

दोनों फसलों में किसानों को भारी गिरावट की आशंका दिखाई दे रही है. जिससे किसानों को चिंता सताने लगी है. आलू फसल के भाव भी मौजूदा समय में कम चल रहे है. जिससे किसानों को लागत के अनुसार पैदावार नहीं मिलती हुई दिख रही है. जिससे किसान फिर से सरकार की तरफ आस लगा रहा है.

धौलपुर में आलू की फसल पर मौसम की मार

पढ़ें: स्पेशल: अमेरिका और ईरान के बीच बिगड़े रिश्तों का खामियाजा भुगत रहा बूंदी का चावल उद्योग

फसलों पर पड़ी मौसम की मार

गौरतलब है कि जिले में सरसों, गेहूं और आलू की फसल की जाती है. किसानों ने बताया शुरुआत से लेकर पकाव तक तीनों फसलों का सफर काफी अच्छा रहा, लेकिन दो माह पूर्व कड़ाके की सर्दी और कोहरे ने सरसों और आलू फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. आलू फसल में झुलसा और तना गलन ने दस्तक दी थी. जिससे आलू की खुदाई होने पर फसल में 25 से 30 फीसदी तक उत्पादन में गिरावट देखी जा रही है.

पिछले साल की तुलना में इस साल भारी गिरावट

पिछले वर्ष की अपेक्षा आलू फसल एक बीघा में कम से कम 30 बोरे कम निकल रहे है. पिछले साल एक बीघा खेत में 150 बोरे आलू के निकले थे, लेकिन इस सीजन में 100 से लेकर 110 तक ही आलूके बोरे निकल रहे है. वहीं सरसों फसल पिछले साल एक बीघा में 18 से लेकर 20 क्विंटल तक निकली थी. इस बार पैदावार में गिरावट देखी जा रही है.

पढ़ें: SPECIAL : झुंझुनू में लहलहाने लगी काले गेहूं की फसल...रंग लाई किसानों की मेहनत

किसान विनीत शर्मा ने बताया खेती किसानों के लिए लगातार घाटे का सौदा बन रही है. कभी मौसम की मार, कभी अतिवृष्टि तो कभी अधिक बारिश से फसल में हर साल नुकसान होता है. जानकारी के अभाव में जिले का किसान पारम्परिक खेती से मोह छोड़ नहीं रहा है. जिससे किसान की हालत लगातार बिगड़ रही है. रबी फसल के इस सीजन में दोनों फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट आ रही है.

मंडी में भाव भी नहीं मिल रहे

उसके साथ ही किसानों को उम्मीद के मुताबिक मंडी में भाव भी नहीं मिल रहा है. किसानों ने रबी फसल को कड़ी मेहनत कर महंगे खाद बीज और कीटनाशक डालकर फसल को पकाव तक पहुंचाया था, लेकिन सर्दी के मौसम में पाला और कोहरे ने सरसों में भारी नुकसान पहुंचाया है.

पढ़ें: स्पेशल : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अऋणी किसानों ने कराया बीमा, जालोर रहा अव्वल

वहीं किसान किसान फौरन सिंह ने कहा कि फसल उत्पादन में किसान लगातार पिछड़ रहा है. किसान को समय पर बिजली, खाद नहीं मिलता है. महंगाई की मार से खेती लगातार घाटे का सौदा बन रही है. किसानों ने बताया आलू फसल में काफी लागत लगती है, लेकिन उत्पादन में गिरावट के साथ मंडी में भाव नहीं मिलने से किसानों को निराशा हाथ लग रही है.

धौलपुर. जिले में मौजूदा सीजन रबी फसल के पकाव के बाद सरसों की कटाई और आलू फसल की खुदाई का काम चल रहा है. दोनों फसल की लावनी की किसानों ने कवायद शुरू कर दी है. सरसों और आलू फसल का काम जोरों से चल रहा है. गेंहू फसल अभी पकाव से दूर है. जिसकी लावनी की शुरुआत 15 दिन बाद शुरू होगी. सरसों की कटाई और आलू फसल की खुदाई से शुरुआत रुझान से किसानों को झटका लगा है.

फसलों में भारी गिरावट की आशंका

दोनों फसलों में किसानों को भारी गिरावट की आशंका दिखाई दे रही है. जिससे किसानों को चिंता सताने लगी है. आलू फसल के भाव भी मौजूदा समय में कम चल रहे है. जिससे किसानों को लागत के अनुसार पैदावार नहीं मिलती हुई दिख रही है. जिससे किसान फिर से सरकार की तरफ आस लगा रहा है.

धौलपुर में आलू की फसल पर मौसम की मार

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फसलों पर पड़ी मौसम की मार

गौरतलब है कि जिले में सरसों, गेहूं और आलू की फसल की जाती है. किसानों ने बताया शुरुआत से लेकर पकाव तक तीनों फसलों का सफर काफी अच्छा रहा, लेकिन दो माह पूर्व कड़ाके की सर्दी और कोहरे ने सरसों और आलू फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. आलू फसल में झुलसा और तना गलन ने दस्तक दी थी. जिससे आलू की खुदाई होने पर फसल में 25 से 30 फीसदी तक उत्पादन में गिरावट देखी जा रही है.

पिछले साल की तुलना में इस साल भारी गिरावट

पिछले वर्ष की अपेक्षा आलू फसल एक बीघा में कम से कम 30 बोरे कम निकल रहे है. पिछले साल एक बीघा खेत में 150 बोरे आलू के निकले थे, लेकिन इस सीजन में 100 से लेकर 110 तक ही आलूके बोरे निकल रहे है. वहीं सरसों फसल पिछले साल एक बीघा में 18 से लेकर 20 क्विंटल तक निकली थी. इस बार पैदावार में गिरावट देखी जा रही है.

पढ़ें: SPECIAL : झुंझुनू में लहलहाने लगी काले गेहूं की फसल...रंग लाई किसानों की मेहनत

किसान विनीत शर्मा ने बताया खेती किसानों के लिए लगातार घाटे का सौदा बन रही है. कभी मौसम की मार, कभी अतिवृष्टि तो कभी अधिक बारिश से फसल में हर साल नुकसान होता है. जानकारी के अभाव में जिले का किसान पारम्परिक खेती से मोह छोड़ नहीं रहा है. जिससे किसान की हालत लगातार बिगड़ रही है. रबी फसल के इस सीजन में दोनों फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट आ रही है.

मंडी में भाव भी नहीं मिल रहे

उसके साथ ही किसानों को उम्मीद के मुताबिक मंडी में भाव भी नहीं मिल रहा है. किसानों ने रबी फसल को कड़ी मेहनत कर महंगे खाद बीज और कीटनाशक डालकर फसल को पकाव तक पहुंचाया था, लेकिन सर्दी के मौसम में पाला और कोहरे ने सरसों में भारी नुकसान पहुंचाया है.

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वहीं किसान किसान फौरन सिंह ने कहा कि फसल उत्पादन में किसान लगातार पिछड़ रहा है. किसान को समय पर बिजली, खाद नहीं मिलता है. महंगाई की मार से खेती लगातार घाटे का सौदा बन रही है. किसानों ने बताया आलू फसल में काफी लागत लगती है, लेकिन उत्पादन में गिरावट के साथ मंडी में भाव नहीं मिलने से किसानों को निराशा हाथ लग रही है.

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