धौलपुर. कोरोना संकट ने पूरे राष्ट्र को प्रभावित किया है. देश का हर वर्ग इसकी चपेट में आया है. सबसे ज्यादा मुसीबत दिहाड़ी मजदूर और बड़े शहरों से पलायन कर घर पहुंचे लोगों के लिए हुई है. धौलपुर में मौजूदा वक्त में करीब 65 हजार महिलाएं और पुरुषों ने मनरेगा योजना में रोजगार सृजित किया है. इनमें कुछ ऐसे युवा भी शामिल हैं, जो पोस्ट ग्रेजुएट हैं. सुबह से दोपहर तक सूरज के अंगारों के बीच महिला पुरुषों के बड़े-बड़े दल फावड़ा कुदाल लेकर खुदाई करने में जुटे हुए हैं.
मनरेगा श्रमिकों ने कहा कि सरकार द्वारा 220 रुपए मजदूरी निर्धारित की गई है. लेकिन पंचायती राज विभाग के कर्मचारियों द्वारा मात्र 150 से लेकर 160 रुपए तक मजदूरी दी जा रही है, जिससे परिवार संचालन में परेशानी हो रही है. महंगाई के दौर में 150 रुपए मजदूरी नाकाफी साबित होती है. मनरेगा श्रमिकों ने कहा कि सूरज की तपिश के बीच कड़ी मेहनत कर मिट्टी की खुदाई की जा रही है. मिट्टी भी काफी कड़ी मेहनत के बाद खुद रही है. मेहनत के मुताबिक पंचायती राज विभाग मनरेगा श्रमिकों को मजदूरी देने में नाकाम साबित हो रहा है. ऐसे में श्रमिक परिवारों को परिवार का संचालन करने में भारी परेशानी उठानी पड़ रही है.
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श्रमिकों ने बताया कि लॉकडाउन के कारण अन्य रोजगार बंद हो गए थे. मनरेगा काम करने वाले श्रमिकों में अधिकांश ऑटो रिक्शा चालक, मकानों पर काम करने वाले बेलदार, मंडी में काम करने वाले पल्लेदार हैं. केंद्र और राज्य सरकार ने खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा योजना की शुरूआत की है. हालांकि महामारी से पहले मनरेगा श्रमिकों की संख्या में इतना इजाफा नहीं हुआ था, लेकिन बीमारी के कारण रोजगार खत्म हो गए.
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मजदूरों ने शहरों से गांव की तरफ पलायन किया. गांव के अंदर भी अब खेती सीमित रह गई है. ऐसे में मनरेगा योजना में लोग बड़े स्तर पर आवेदन कर रहे हैं. लेकिन पंचायती राज विभाग मनरेगा श्रमिकों को मेहनत के मुताबिक मजदूरी देने में नाकाम साबित हो रहा है, जिसे लेकर मनरेगा श्रमिकों ने उपेक्षा का आरोप लगाया है. उधर विकास अधिकारी रामबोल गुर्जर ने बताया मनरेगा श्रमिकों को मापदंड के अनुसार गड्ढे की खुदाई करने पर भुगतान किया जाता है. गड्ढे की माप सही समय पाई जाती है, तो उसी के मुताबिक मजदूरी का आकलन किया जाता है.
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उधर, बेरोजगारी से धौलपुर में पोस्ट ग्रेजुएट मनरेगा योजना में रोजगार प्राप्त करने के लिए आवेदन किया है, जिसमें कुछ पोस्ट ग्रेजुएट पर युवाओं ने रोजगार की शुरूआत भी कर दी है. वैश्विक महामारी के कारण बेरोजगारी दर में और गिरावट आएगी. हालांकि पंचायती राज विभाग ने दावा किया है. मनरेगा योजना में जो भी आवेदन करेगा, उसको रोजगार दिया जाएगा.