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धौलपुर में जन अनुशासन पखवाड़ा बना औपचारिकता, भीड़ को नियमों से मतलब नहीं

धौलपुर में कोरोनी की रोकथाम को लेकर लागू किया गया जन अनुशासन पखवाड़ा महज माजाक बनकर रग गया है. बाजारों में उमड़ती भीड़ और लगने वाले जाम के बीच कर्मचारी पखवाड़े की पालना कराने के नाम पर महज खानापूर्ति कर रहे हैं.

धौलपुर हिंदी न्यूज, Rajasthan Corona Guideline
धौलपुर में लोग नहीं कर रहे कोरोना गाइडलाइन की पालना
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Published : Apr 23, 2021, 9:34 PM IST

धौलपुर. देश भर में कोरोना महामारी से जिस रफ्तार से लोगों की मौत हो रही है. उससे चारों ओर खौफ का माहौल है, दिनोंदिन बढ़ रही रोगियों की संख्या और ऑक्सीजन और वैक्सीन के संकट की खबरों के बीच आमजन से ज्यादा डक अब अफसरों में दिखाई देने लगा है.

हालत यह है कि जन अनुशासन पखवाड़े की पालना और कोरोना के बीच व्यवस्थाओं को संभालने वाले जिले के सैपऊ उपखंड मुख्यालय के जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी बाजार और फील्ड से गायब हैं. उन्होने खुद को कार्यालयों तक सीमित कर लिया है.

बाजार की मॉनिटरिंग से लेकर जन अनुशासन पखवाड़े की पालना का कार्य पुलिस और निगरानी दलों के हवाले है. लेकिन निगरानी दल में लगे छोटे कर्मचारी न तो जन अनुशासन पखवाड़े की पालना करा पा रहे हैं और ना ही दुकानदारों और लोगों को हालतों के बारे में समझा पा रहे हैं. यानी सक्षम अधिकारी के फील्ड और बाजार में लगातार व्यवस्थाओं पर निगरानी नहीं होने से जन अनुशासन पखवाड़े की पालना नही हो पा रही है. ऐसी स्थिति में उपखंड मुख्यालय सहित क्षेत्र के कस्बों में उमड़ रही भीड़ को न सोशल डिस्टेंसिंग की चिंता है और ना ही कोरोना महामारी की.

पढ़ें - ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर केंद्र सरकार कर रही भेदभाव, गहलोत सरकार ने HC में पेश किया शपथ पत्र

लोगों का आरोप है कि निगरानी दल में लगे छोटे स्तर के कर्मचारी ड्यूटी के नाम पर महज खानापूर्ति कर रहे हैं. उनका लोकल का होना भी एक कारण है. जिसके कारण अधिकतर लोग उन्हें अनसुना कर देते हैं. जिम्मेदारों के ढुलमुल रवैया के कारण बेवजह बिना काम के भी बाजारों में भीड़ उमड़ रही है. कस्बे के बाजारों में जाम के हालात पैदा हो रहे हैं. सोशल डिस्टेंस की पालना दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही है.

धौलपुर. देश भर में कोरोना महामारी से जिस रफ्तार से लोगों की मौत हो रही है. उससे चारों ओर खौफ का माहौल है, दिनोंदिन बढ़ रही रोगियों की संख्या और ऑक्सीजन और वैक्सीन के संकट की खबरों के बीच आमजन से ज्यादा डक अब अफसरों में दिखाई देने लगा है.

हालत यह है कि जन अनुशासन पखवाड़े की पालना और कोरोना के बीच व्यवस्थाओं को संभालने वाले जिले के सैपऊ उपखंड मुख्यालय के जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी बाजार और फील्ड से गायब हैं. उन्होने खुद को कार्यालयों तक सीमित कर लिया है.

बाजार की मॉनिटरिंग से लेकर जन अनुशासन पखवाड़े की पालना का कार्य पुलिस और निगरानी दलों के हवाले है. लेकिन निगरानी दल में लगे छोटे कर्मचारी न तो जन अनुशासन पखवाड़े की पालना करा पा रहे हैं और ना ही दुकानदारों और लोगों को हालतों के बारे में समझा पा रहे हैं. यानी सक्षम अधिकारी के फील्ड और बाजार में लगातार व्यवस्थाओं पर निगरानी नहीं होने से जन अनुशासन पखवाड़े की पालना नही हो पा रही है. ऐसी स्थिति में उपखंड मुख्यालय सहित क्षेत्र के कस्बों में उमड़ रही भीड़ को न सोशल डिस्टेंसिंग की चिंता है और ना ही कोरोना महामारी की.

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लोगों का आरोप है कि निगरानी दल में लगे छोटे स्तर के कर्मचारी ड्यूटी के नाम पर महज खानापूर्ति कर रहे हैं. उनका लोकल का होना भी एक कारण है. जिसके कारण अधिकतर लोग उन्हें अनसुना कर देते हैं. जिम्मेदारों के ढुलमुल रवैया के कारण बेवजह बिना काम के भी बाजारों में भीड़ उमड़ रही है. कस्बे के बाजारों में जाम के हालात पैदा हो रहे हैं. सोशल डिस्टेंस की पालना दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही है.

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