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मौसमी बीमारियों की बयार, लेकिन अस्पताल खुद 'बीमार'...अव्यवस्था से मरीज परेशान, समय से नहीं आ रहे डॉक्टर और स्टाफ - Kanchanpur Government Hospital

मौसमी बीमारियों के मरीज बढ़ रहे हैं लेकिन धौलपुर के कंचनपुर सरकारी अस्पताल अव्यवस्था का हाल है. डॉक्टर और स्टाफ समय से नहीं पहुंच रहे हैं. मरीजों को दवाओं और इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है.

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अस्पताल में अव्यवस्था
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Published : Sep 22, 2021, 11:05 PM IST

धौलपुर. जिले का कंचनपुर सरकारी अस्पताल इन दिनों चिकित्सा कर्मियों की मनमानी के कारण अव्यवस्था की भेंट चढ़ रहा है. अस्पताल में वैसे तो चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ सहित 20 कर्मचारी तैनात हैं, लेकिन एक कर्मचारी को छोड़कर कोई भी डॉक्टर एवं स्टाफ समय से नहीं आ रहा है. हालात ये है कि बुधवार को सुबह 9:15 बजे तक केवल 2 कर्मचारी जिनमें एक कंपाउंडर और एक चिकित्सक ही अस्पताल पहुंचे थे. बाकी पूरा स्टाफ सवा घंटे बाद अस्पताल पहुंचा.

मरीजों का आरोप है कि क्षेत्रीय विधायक की ओर से कंचनपुर अस्पताल को हाल ही में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में क्रमोन्नत कराकर स्टाफ की तैनाती कराई गई है, लेकिन चिकित्सक एवं अन्य नर्सिंग कर्मियों की मनमानी की वजह से ग्रामीणों को चिकित्सा सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. सर्कुलर की बात की जाय तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सकों एवं नर्सिंग स्टाफ मुख्यालय पर ही रोकने के लिए पाबंद है. लेकिन एक आशा सुपरवाइजर विशंभर दयाल को छोड़कर कोई भी चिकित्सा कर्मी अस्पताल में नहीं रुक रहा है. इसकी वजह से क्षेत्र की प्रसूताओं और हादसों में घायल होने के बाद अस्पताल आने वालों को उपचार नहीं मिल पा रहा है.

पढ़ें: Climate Change के आधार पर होना था मौसमी बीमारियों का अध्ययन...टास्क फोर्स कोविड-19 में लगी

यूं तो अस्पताल का समय सुबह 8:00 बजे से लेकर दोपहर 2:00 बजे तक है, लेकिन इस दौरान भी ज्यादातर कर्मचारी ड्यूटी से नदारद बने हुए हैं. रोगियों का आरोप है कि मनमाने रूप से कर्मचारियों की ओर से ड्यूटी की जा रही है.ओपीडी के समय केवल रोगियों को चंद दवा देकर टरका दिया जाता है. इसके बाद अस्पताल पूरी तरह बंद रहता है. रात को अस्पताल पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं को अस्पताल बंद मिलने पर बाड़ी या फिर सैपऊ धौलपुर जाना पड़ता है. जबकि सरकार की ओर से यहां पर्याप्त मात्रा में चिकित्सकों सहित नर्सिंग कर्मियों की पोस्ट स्वीकृत कर रखी हैं, लेकिन उच्च अधिकारियों की अनदेखी एवं मॉनिटरिंग के अभाव में यहां तैनात स्टाफ के द्वारा मनमाने तरीके से ड्यूटी की जा रही है.

क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि इलाके के रोगियों की उपचार व्यवस्था के लिए बाड़ी विधायक की ओर से राज्य सरकार से कंचनपुर के अस्पताल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में क्रमोन्नत कराया गया था लेकिन कर्मचारियों की लापरवाही के चलते क्षेत्रवासियों को अस्पताल का लाभ नहीं मिल रहा है. लोगों ने बताया कि फिलहाल मौसमी बीमारियों का सीजन पीक पर चल रहा है, लेकिन कर्मचारी रोज देर से अस्पताल आ रहे हैं. इससे मरीज परेशान हो रहे हैं.

पढ़ें: लक्षण कोविड के, रिपोर्ट नेगेटिव..ओम बिरला ने ICMR से कहा- कोटा मेडिकल कॉलेज के साथ मिलकर करें स्टडी

गैराज में बनाया दवा स्टोर

अस्पताल प्रबंधन की सबसे बड़ी लापरवाही सामने आई है. राज्य सरकार की ओर से संचालित निशुल्क दवा योजना को भी पलीता लगाया जा रहा है. राजकीय अस्पताल के गैराज में दवा स्टोर बनाया गया है. गैराज की छत में भी लीकेज के कारण पानी टपक रहा है. सरकार की ओर से दी जाने वाली दवाएं भी महंगी हो रहीं हैं. लोगों का आरोप है कि सरकार की ओर से संचालित निशुल्क दवा योजना का लाभ पूरी तरह से नहीं मिल रहा है.

मरीजों को दवा उपलब्ध नहीं होने का हवाला देकर बैरंग लौटा दिया जाता है जबकि दबाएं गैराज के स्टोर में बर्बाद हो रही है. अस्पताल की व्यवस्थाएं लंबे समय से बदहाल बनी हुई है. चिकित्सा विभाग के जिम्मेदार बेखबर बने हुए हैं जिस कारण कंचनपुर राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक एवं अन्य स्टाफ मनमानी तरीके से काम कर रहे हैं. इसका खामियाजा इलाके की जनता को भुगतना पड़ रहा है.

पढ़ें: सीएम गहलोत की अपील, कहा- डेंगू फैलाने वाले मच्छरों को पनपने से रोकने में बरतें सावधानी

बीमारियों का सीजन, भटक रहे मरीज

मौसमी बीमारियों का सीजन चल रहा है. जिले में डेंगू, मलेरिया, खांसी, जुकाम-बुखार के रोगी भारी तादाद में मिल रहे हैं. बीमारियों की रोकथाम के लिए जिला कलेक्टर राकेश कुमार लगातार चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की समीक्षाा बैठक भी ले रहे हैं. लेकिन उनके निर्देश धरातल पर दिखाई नहीं दे रहे हैं. चिकित्सा विभाग के गैर जिम्मेदार कार्मिक मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं. ऐसे में अस्पतालों में मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं. प्रदेश सरकार एक तरफ तो आमजन को निशुल्क दवा, जांच एवं अन्य सुविधाएं देने के दावे कर रही है जबकि दूसरी तरफ चिकित्सा विभाग के कर्मचारी आमजन तक सुविधाएं पहुंचाने में नाकाम साबित हो रहे हैं.

धौलपुर. जिले का कंचनपुर सरकारी अस्पताल इन दिनों चिकित्सा कर्मियों की मनमानी के कारण अव्यवस्था की भेंट चढ़ रहा है. अस्पताल में वैसे तो चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ सहित 20 कर्मचारी तैनात हैं, लेकिन एक कर्मचारी को छोड़कर कोई भी डॉक्टर एवं स्टाफ समय से नहीं आ रहा है. हालात ये है कि बुधवार को सुबह 9:15 बजे तक केवल 2 कर्मचारी जिनमें एक कंपाउंडर और एक चिकित्सक ही अस्पताल पहुंचे थे. बाकी पूरा स्टाफ सवा घंटे बाद अस्पताल पहुंचा.

मरीजों का आरोप है कि क्षेत्रीय विधायक की ओर से कंचनपुर अस्पताल को हाल ही में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में क्रमोन्नत कराकर स्टाफ की तैनाती कराई गई है, लेकिन चिकित्सक एवं अन्य नर्सिंग कर्मियों की मनमानी की वजह से ग्रामीणों को चिकित्सा सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. सर्कुलर की बात की जाय तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सकों एवं नर्सिंग स्टाफ मुख्यालय पर ही रोकने के लिए पाबंद है. लेकिन एक आशा सुपरवाइजर विशंभर दयाल को छोड़कर कोई भी चिकित्सा कर्मी अस्पताल में नहीं रुक रहा है. इसकी वजह से क्षेत्र की प्रसूताओं और हादसों में घायल होने के बाद अस्पताल आने वालों को उपचार नहीं मिल पा रहा है.

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यूं तो अस्पताल का समय सुबह 8:00 बजे से लेकर दोपहर 2:00 बजे तक है, लेकिन इस दौरान भी ज्यादातर कर्मचारी ड्यूटी से नदारद बने हुए हैं. रोगियों का आरोप है कि मनमाने रूप से कर्मचारियों की ओर से ड्यूटी की जा रही है.ओपीडी के समय केवल रोगियों को चंद दवा देकर टरका दिया जाता है. इसके बाद अस्पताल पूरी तरह बंद रहता है. रात को अस्पताल पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं को अस्पताल बंद मिलने पर बाड़ी या फिर सैपऊ धौलपुर जाना पड़ता है. जबकि सरकार की ओर से यहां पर्याप्त मात्रा में चिकित्सकों सहित नर्सिंग कर्मियों की पोस्ट स्वीकृत कर रखी हैं, लेकिन उच्च अधिकारियों की अनदेखी एवं मॉनिटरिंग के अभाव में यहां तैनात स्टाफ के द्वारा मनमाने तरीके से ड्यूटी की जा रही है.

क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि इलाके के रोगियों की उपचार व्यवस्था के लिए बाड़ी विधायक की ओर से राज्य सरकार से कंचनपुर के अस्पताल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में क्रमोन्नत कराया गया था लेकिन कर्मचारियों की लापरवाही के चलते क्षेत्रवासियों को अस्पताल का लाभ नहीं मिल रहा है. लोगों ने बताया कि फिलहाल मौसमी बीमारियों का सीजन पीक पर चल रहा है, लेकिन कर्मचारी रोज देर से अस्पताल आ रहे हैं. इससे मरीज परेशान हो रहे हैं.

पढ़ें: लक्षण कोविड के, रिपोर्ट नेगेटिव..ओम बिरला ने ICMR से कहा- कोटा मेडिकल कॉलेज के साथ मिलकर करें स्टडी

गैराज में बनाया दवा स्टोर

अस्पताल प्रबंधन की सबसे बड़ी लापरवाही सामने आई है. राज्य सरकार की ओर से संचालित निशुल्क दवा योजना को भी पलीता लगाया जा रहा है. राजकीय अस्पताल के गैराज में दवा स्टोर बनाया गया है. गैराज की छत में भी लीकेज के कारण पानी टपक रहा है. सरकार की ओर से दी जाने वाली दवाएं भी महंगी हो रहीं हैं. लोगों का आरोप है कि सरकार की ओर से संचालित निशुल्क दवा योजना का लाभ पूरी तरह से नहीं मिल रहा है.

मरीजों को दवा उपलब्ध नहीं होने का हवाला देकर बैरंग लौटा दिया जाता है जबकि दबाएं गैराज के स्टोर में बर्बाद हो रही है. अस्पताल की व्यवस्थाएं लंबे समय से बदहाल बनी हुई है. चिकित्सा विभाग के जिम्मेदार बेखबर बने हुए हैं जिस कारण कंचनपुर राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक एवं अन्य स्टाफ मनमानी तरीके से काम कर रहे हैं. इसका खामियाजा इलाके की जनता को भुगतना पड़ रहा है.

पढ़ें: सीएम गहलोत की अपील, कहा- डेंगू फैलाने वाले मच्छरों को पनपने से रोकने में बरतें सावधानी

बीमारियों का सीजन, भटक रहे मरीज

मौसमी बीमारियों का सीजन चल रहा है. जिले में डेंगू, मलेरिया, खांसी, जुकाम-बुखार के रोगी भारी तादाद में मिल रहे हैं. बीमारियों की रोकथाम के लिए जिला कलेक्टर राकेश कुमार लगातार चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की समीक्षाा बैठक भी ले रहे हैं. लेकिन उनके निर्देश धरातल पर दिखाई नहीं दे रहे हैं. चिकित्सा विभाग के गैर जिम्मेदार कार्मिक मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं. ऐसे में अस्पतालों में मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं. प्रदेश सरकार एक तरफ तो आमजन को निशुल्क दवा, जांच एवं अन्य सुविधाएं देने के दावे कर रही है जबकि दूसरी तरफ चिकित्सा विभाग के कर्मचारी आमजन तक सुविधाएं पहुंचाने में नाकाम साबित हो रहे हैं.

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