धौलपुर. जिले के ऐतिहासिक तीर्थराज मचकुंड मेले में आज सुबह चार बजे से ही उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान के आस-पास के क्षेत्रों के लाखों की तादाद में श्रद्धालु सरोवर में डुबकी लगाने पहुंचे. पौराणिक मान्यता के मुताबिक मचकुंड महाराज को सभी तीर्थो का भांजा कहा जाता है. सरोवर में देवछठ वाले दिन स्नान करने से पुण्य लाभ मिलता है.
वहीं छठ तक चलने वाले इस मेले में राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु सरोवर मे स्नान करेने पहुंचते हैं. हर साल लगने वाले तीर्थराज मचकुंड के लक्खी मेले कि मान्यता है कि, देवासुर संग्राम के बाद जब राक्षस कालयवन के अत्याचार बढ़ने लगे. तब लीलाधर श्री कृष्ण ने कालयवन को युद्ध के लिए ललकारा था. जिस युद्ध में लीलाधर को भी हार का मुह देखना पडा था. तब लीलाधर ने छल से मचकुंड महाराज के जरिए कालयवन का वध कराया था, जिसके बाद कालयवन के अत्याचारों से पीड़ित ब्रजवासियों में ख़ुशी कि लहर दौड़ पड़ी थी. जिसके बाद से ही आज तक मचकुंड महाराज कि तपोभूमि मचकुंड में सभी लोग देवछठ के मौके स्नान करते आते है.
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मान्यता हैं कि यहां नवविवाहित जोड़ो के सहरे की कलंगी को सरोवर में विसर्जित कर उनके जीवन की मंगलकामना की जाती है. मेले में हजारो की संख्या में नवविवाहित जोड़े आते हैं. नवविवाहित जोड़ो के परिवारजन मचकुंड सरोवर में स्नान और पूजा के बाद मोहरी को मचकुंड में प्रवाहित करते हैं. बताया जाता है कि ऐसी मान्यता है कि जो श्रद्धालु चार धाम की यात्रा करता है उसकी यात्रा तब तक सफल नहीं होती जब तक वो मचकुंड मेले में डुबकी नहीं लगाता. मेले की इसी मान्यता को लेकर होने वाली भारी भीड़ की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से पुख्ता बंदोबस्त किये गए हैं.