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किसानों के चक्का जाम का असर धौलपुर में भी... NH-11b पर यातायात रहा बाधित

कृषि कानूनों के विरोध में किसान नेताओं और उनके संगठनों ने 6 फरवरी को चक्का जाम किया है. इसका असर धौलपुर जिले में भी देखा गया है. जिले के एनएच 11b पर सैकड़ों की तादात में किसान नेताओं और संगठनों ने लामबंद होकर यातायात को बंद कर दिया.

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किसानों के चक्का जाम का असर धौलपुर में भी
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Published : Feb 6, 2021, 3:33 PM IST

धौलपुर. दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर पिछले करीब 70 दिन से चल रहे किसान प्रोटेस्ट अब बढ़ता जा रहा है. किसान नेताओं एवं उनके संगठनों की ओर से 6 फरवरी को चक्का जाम का ऐलान किया था, जिसका असर धौलपुर जिले में भी देखा गया है. जिले के एनएच 11b पर सैकड़ों की तादात में किसान नेताओं एवं संगठनों ने लामबंद होकर यातायात को बंद कर दिया. कृषि कानूनों के विरोध में केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर हंगामा किया. किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि विधेयकों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

किसानों के चक्का जाम का असर धौलपुर में भी

किसान चक्का जाम का समर्थन कांग्रेस पार्टी द्वारा भी धौलपुर जिले में दिया गया. किसान नेताओं को समर्थन देने क्षेत्रीय विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा सैकड़ों समर्थकों के साथ हाईवे पर पहुंचे, जहां किसानों को पूरी तरह से समर्थन देकर कृषि बिलों को वापस लेने की मांग की. विधायक मलिंगा ने कहा कि केंद्र सरकार चंद कारपोरेट के हाथ में काम कर रही है. देश का अन्नदाता किसान बर्बादी के कगार पर पहुंच रहा है, लेकिन सरकार अहंकार एवं दंभ में बनी हुई है. देश की अस्सी फीसदी आबादी खेती पर निर्भर रहती है. पिछले 6 वर्ष से अधिक समय हो गया भारत सरकार का लैपटॉप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं, लेकिन सरकार की खराब पॉलिसी की बदौलत देश का किसान, मजदूर, मध्यम वर्ग एवं व्यापारी वर्ग पूरी तरह से बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है.

लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने बिना सवाल जवाब किए एवं बिना बहस किए तीनों बिलों को पारित कर दिया. तीनों कृषि विधेयक देश के अन्नदाता को बर्बाद करने के लिए बनाए गए हैं. केंद्र सरकार के पास विजन नाम की कोई चीज नहीं है. भारत सरकार ने देश में मंडियों को खत्म करने का काम किया है. मंडियों में प्रतिस्पर्धा होने के कारण किसानों को उम्मीद के मुताबिक उत्पादन का भाव मिलता था, लेकिन केंद्र सरकार ने सिर्फ अडानी एवं अंबानी जैसे लोगों के लिए कृषि बिल को पारित किया है. आंदोलनकारी किसानों ने बताया देश का किसान पालन करता है. मौसम की हर ऋतु में कड़ी मेहनत कर किसान देश को पालने में समर्थ है, लेकिन सरकार की हठधर्मिता किसान को बर्बाद कर रही है.

यह भी पढ़ें- हिरण शिकार मामले में सलमान खान को हाईकोर्ट ने दी हाजिरी माफी, सजा के खिलाफ अपील पर सुनवाई टली

किसानों ने बताया करीब 70 दिन से दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर सिंघु बॉर्डर एवं टिकरी बॉर्डर पर लगातार प्रोटेस्ट चल रहा है, लेकिन केंद्र सरकार ने किसानों से वार्ता करने तक की जहमत नहीं उठाई है. 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में किसानों के साथ बर्बरता पूर्वक रवैया अपनाया है. किसानों ने आरोप लगाते हुए कहा केंद्र सरकार किसानों को कमजोर समझ रही है. उन्होंने कहा देश के किसान में कृषि कानूनों को लेकर आग लग चुकी है. आंदोलन को लेकर किसानों के पैर आगे की तरफ बढ़ चुके हैं. किसानों के बढ़े हुए कदम काले कानूनों को वापस लेकर ही पीछे होंगे.

धौलपुर. दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर पिछले करीब 70 दिन से चल रहे किसान प्रोटेस्ट अब बढ़ता जा रहा है. किसान नेताओं एवं उनके संगठनों की ओर से 6 फरवरी को चक्का जाम का ऐलान किया था, जिसका असर धौलपुर जिले में भी देखा गया है. जिले के एनएच 11b पर सैकड़ों की तादात में किसान नेताओं एवं संगठनों ने लामबंद होकर यातायात को बंद कर दिया. कृषि कानूनों के विरोध में केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर हंगामा किया. किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि विधेयकों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

किसानों के चक्का जाम का असर धौलपुर में भी

किसान चक्का जाम का समर्थन कांग्रेस पार्टी द्वारा भी धौलपुर जिले में दिया गया. किसान नेताओं को समर्थन देने क्षेत्रीय विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा सैकड़ों समर्थकों के साथ हाईवे पर पहुंचे, जहां किसानों को पूरी तरह से समर्थन देकर कृषि बिलों को वापस लेने की मांग की. विधायक मलिंगा ने कहा कि केंद्र सरकार चंद कारपोरेट के हाथ में काम कर रही है. देश का अन्नदाता किसान बर्बादी के कगार पर पहुंच रहा है, लेकिन सरकार अहंकार एवं दंभ में बनी हुई है. देश की अस्सी फीसदी आबादी खेती पर निर्भर रहती है. पिछले 6 वर्ष से अधिक समय हो गया भारत सरकार का लैपटॉप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं, लेकिन सरकार की खराब पॉलिसी की बदौलत देश का किसान, मजदूर, मध्यम वर्ग एवं व्यापारी वर्ग पूरी तरह से बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है.

लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने बिना सवाल जवाब किए एवं बिना बहस किए तीनों बिलों को पारित कर दिया. तीनों कृषि विधेयक देश के अन्नदाता को बर्बाद करने के लिए बनाए गए हैं. केंद्र सरकार के पास विजन नाम की कोई चीज नहीं है. भारत सरकार ने देश में मंडियों को खत्म करने का काम किया है. मंडियों में प्रतिस्पर्धा होने के कारण किसानों को उम्मीद के मुताबिक उत्पादन का भाव मिलता था, लेकिन केंद्र सरकार ने सिर्फ अडानी एवं अंबानी जैसे लोगों के लिए कृषि बिल को पारित किया है. आंदोलनकारी किसानों ने बताया देश का किसान पालन करता है. मौसम की हर ऋतु में कड़ी मेहनत कर किसान देश को पालने में समर्थ है, लेकिन सरकार की हठधर्मिता किसान को बर्बाद कर रही है.

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किसानों ने बताया करीब 70 दिन से दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर सिंघु बॉर्डर एवं टिकरी बॉर्डर पर लगातार प्रोटेस्ट चल रहा है, लेकिन केंद्र सरकार ने किसानों से वार्ता करने तक की जहमत नहीं उठाई है. 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में किसानों के साथ बर्बरता पूर्वक रवैया अपनाया है. किसानों ने आरोप लगाते हुए कहा केंद्र सरकार किसानों को कमजोर समझ रही है. उन्होंने कहा देश के किसान में कृषि कानूनों को लेकर आग लग चुकी है. आंदोलन को लेकर किसानों के पैर आगे की तरफ बढ़ चुके हैं. किसानों के बढ़े हुए कदम काले कानूनों को वापस लेकर ही पीछे होंगे.

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