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Doctors Strike Effect: जिला अस्पताल में व्यवस्था चरमराई, ओपीडी में लंबी कतार...मरीज परेशान

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Published : Mar 23, 2023, 8:59 PM IST

Updated : Mar 23, 2023, 11:50 PM IST

राइट टू हेल्थ बिल को लेकर हड़ताल कर रहे निजी डॉक्टरों के चलते धौलपुर जिला अस्पताल में व्यवस्था चरमरा गई है. ओपीडी में लंबी कतार देखने को मिल रही है. मरीज भी उपचार नहीं मिल पाने के कारण भटकने को मजबूर हैं.

doctors strike effect in dholpur district hospita
doctors strike effect in dholpur district hospita
जिला अस्पताल में व्यवस्था चरमराई

धौलपुर. राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में राजस्थान प्रदेश के निजी अस्पतालों के चिकित्सक लगातार हड़ताल कर रहे हैं. निजी अस्पतालों में मरीज भर्ती नहीं होने से जिला अस्पताल की ओपीडी में भार बढ़ गया है. ओपीडी काउंटर पर मरीजों की लंबी कतारें लग रही हैं. वहीं जांच और मेडिसिन काउंटर पर भारी भीड़ देखी जा रही है. मौसमी बीमारियों के मरीज बढ़ने के साथ जिला अस्पताल में व्यवस्थाएं जवाब देने लगी हैं.

राजस्थान में निजी अस्पतालों के चिकित्सक राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर हड़ताल पर हैं. विरोध और हड़ताल की वजह से मरीज और तीमारदारों के लिए मुसीबतें खड़ी हो गई हैं. धौलपुर जिला अस्पताल की बात की जाए तो ओपीडी भार एकदम बढ़ गया है. ओपीडी संख्या 4000 से अधिक पहुंच चुकी है. ओपीडी काउंटर, दवा वितरण केंद्र, जांच केंद्र, प्रसूति वार्ड, शिशु वार्ड, मेल सर्जिकल वार्ड आदि पर मरीजों की खासी भीड़ देखी जा रही है जिससे जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमरा रही हैं.

पढ़ें. Right To Health Bill Case: सीनियर डॉक्टर्स लौटे काम पर, SMS के इमरजेंसी वार्ड में राउंड द क्लॉक लगी ड्यूटी

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मरीजों का कहना है कि 2 घंटे लाइन में लगने के बाद भी डॉक्टर से चेकअप कराने का नंबर नहीं आ पाता है. ऐसे में बिना उपचार लिए बैरंग घर लौटना पड़ता है. यही हालात जांच एवं दवा वितरण केंद्र पर बने हुए हैं. मरीजों ने बताया कि निजी अस्पतालों के चिकित्सक राइट टू हेल्थ को लेकर विरोध प्रदर्शन कर हड़ताल पर हैं. ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सिर्फ राजकीय व्यवस्था ही बची हुई है लेकिन जिला अस्पताल में मरीजों की भरमार होने से व्यवस्थाएं पूरी तरह से चरमरा रही हैं. मरीज और तीमारदार उपचार के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. शासन और सरकार के इंतजाम नाकाफी साबित होते हुए दिखाई दे रहे हैं.

जिला अस्पताल पर दूरदराज से पहुंचते हैं मरीज
धौलपुर मंगल सिंह राजकीय जिला चिकित्सालय पर जिले के कोने-कोने से मरीज पहुंचते हैं. धौलपुर जिला मुख्यालय पर अभी तक कोई निजी अस्पताल बड़े रूप में नहीं बना है. इस वजह से सरकारी जिला अस्पताल पर ही मरीजों का भार रहता है. सरमथुरा, बाड़ी, बसेड़ी, सैपऊ, मनिया, मांगरोल, बसई नबाब, करीमपुर, सरानी खेड़ा तक के मरीज मेडिसन लेने के लिए जिला अस्पताल पर ही आश्रित है.

पढ़ेंः Protest in Kota : RTH Bill के विरोध में काले कपड़े पहन कर सड़कों पर बैठे चिकित्सक

इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के नजदीकी आगरा एवं मध्य प्रदेश के नजदीकी ग्वालियर में भी उपचार लेने पहुंचते हैं. मरीजों का कहना है कि राज्य सरकार सुविधाएं देने के लिए चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना एवं अन्य सुविधाएं मुहैया करा रहीं है, लेकिन धरातल पर योजनाएं अधिक प्रभावी लागू नहीं हो रही हैं.

दो-दो घंटे तक नहीं आ रहा मरीजों का नंबर
जिला अस्पताल के इमरजेंसी के सामने ओपीडी पर मरीजों की भारी लंबी कतार देखी जा सकती है. मरीजों का कहना है कि दो-दो घंटे लाइन में लगा रहने के बाद भी नंबर नहीं आ पाता है. हालात यहां तक देखने को मिल रहे हैं कि जब तक पर्चा बन रहा है तब तक चिकित्सक उठ जा रहे हैं. राइट टू हेल्थ बिल का विरोध एवं जिला अस्पताल की चरमराती व्यवस्थाएं मरीज और तीमारदारों पर भारी पड़ रही है.

जिला अस्पताल में व्यवस्था चरमराई

धौलपुर. राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में राजस्थान प्रदेश के निजी अस्पतालों के चिकित्सक लगातार हड़ताल कर रहे हैं. निजी अस्पतालों में मरीज भर्ती नहीं होने से जिला अस्पताल की ओपीडी में भार बढ़ गया है. ओपीडी काउंटर पर मरीजों की लंबी कतारें लग रही हैं. वहीं जांच और मेडिसिन काउंटर पर भारी भीड़ देखी जा रही है. मौसमी बीमारियों के मरीज बढ़ने के साथ जिला अस्पताल में व्यवस्थाएं जवाब देने लगी हैं.

राजस्थान में निजी अस्पतालों के चिकित्सक राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर हड़ताल पर हैं. विरोध और हड़ताल की वजह से मरीज और तीमारदारों के लिए मुसीबतें खड़ी हो गई हैं. धौलपुर जिला अस्पताल की बात की जाए तो ओपीडी भार एकदम बढ़ गया है. ओपीडी संख्या 4000 से अधिक पहुंच चुकी है. ओपीडी काउंटर, दवा वितरण केंद्र, जांच केंद्र, प्रसूति वार्ड, शिशु वार्ड, मेल सर्जिकल वार्ड आदि पर मरीजों की खासी भीड़ देखी जा रही है जिससे जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमरा रही हैं.

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मरीजों का कहना है कि 2 घंटे लाइन में लगने के बाद भी डॉक्टर से चेकअप कराने का नंबर नहीं आ पाता है. ऐसे में बिना उपचार लिए बैरंग घर लौटना पड़ता है. यही हालात जांच एवं दवा वितरण केंद्र पर बने हुए हैं. मरीजों ने बताया कि निजी अस्पतालों के चिकित्सक राइट टू हेल्थ को लेकर विरोध प्रदर्शन कर हड़ताल पर हैं. ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सिर्फ राजकीय व्यवस्था ही बची हुई है लेकिन जिला अस्पताल में मरीजों की भरमार होने से व्यवस्थाएं पूरी तरह से चरमरा रही हैं. मरीज और तीमारदार उपचार के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. शासन और सरकार के इंतजाम नाकाफी साबित होते हुए दिखाई दे रहे हैं.

जिला अस्पताल पर दूरदराज से पहुंचते हैं मरीज
धौलपुर मंगल सिंह राजकीय जिला चिकित्सालय पर जिले के कोने-कोने से मरीज पहुंचते हैं. धौलपुर जिला मुख्यालय पर अभी तक कोई निजी अस्पताल बड़े रूप में नहीं बना है. इस वजह से सरकारी जिला अस्पताल पर ही मरीजों का भार रहता है. सरमथुरा, बाड़ी, बसेड़ी, सैपऊ, मनिया, मांगरोल, बसई नबाब, करीमपुर, सरानी खेड़ा तक के मरीज मेडिसन लेने के लिए जिला अस्पताल पर ही आश्रित है.

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इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के नजदीकी आगरा एवं मध्य प्रदेश के नजदीकी ग्वालियर में भी उपचार लेने पहुंचते हैं. मरीजों का कहना है कि राज्य सरकार सुविधाएं देने के लिए चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना एवं अन्य सुविधाएं मुहैया करा रहीं है, लेकिन धरातल पर योजनाएं अधिक प्रभावी लागू नहीं हो रही हैं.

दो-दो घंटे तक नहीं आ रहा मरीजों का नंबर
जिला अस्पताल के इमरजेंसी के सामने ओपीडी पर मरीजों की भारी लंबी कतार देखी जा सकती है. मरीजों का कहना है कि दो-दो घंटे लाइन में लगा रहने के बाद भी नंबर नहीं आ पाता है. हालात यहां तक देखने को मिल रहे हैं कि जब तक पर्चा बन रहा है तब तक चिकित्सक उठ जा रहे हैं. राइट टू हेल्थ बिल का विरोध एवं जिला अस्पताल की चरमराती व्यवस्थाएं मरीज और तीमारदारों पर भारी पड़ रही है.

Last Updated : Mar 23, 2023, 11:50 PM IST
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