धौलपुर. शहर की नगर परिषद ने अनूठा नवाचार कर वर्षों से डंप किए जा रहे कचरे से कंपोस्ट खाद बनाई है. करीब 10 लाख कीमत की इस खाद को शहर के पार्कों में पौधरोपण के लिए उपयोग किया जाएगा. वर्षों से पड़े हजारों टन कचरे से नगरपरिषद ने 2 हजार मीट्रिक टन कंपोस्ट खाद बनाई गई है. नगर परिषद इस कंपोस्ट खाद को बेचेगी नहीं, बल्कि उसे चंबल गार्डन सहित अन्य पार्कों में डलवाकर घास और पौधे लगवाएगी.
नगर परिषद आयुक्त सौरभ जिंदल का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते इन दिनों आक्सीजन की काफी आवश्यकता महसूस की गई है. आक्सीजन की पूर्ति के लिए कंपोस्ट खाद को पार्कों में डलवाकर घास के साथ पौधरोपण करवाया जाएगा, ताकि आने वाले समय में लोगों को इसका लाभ मिल सके. आयुक्त ने बताया कि सागरपाड़ा स्थित डंपिंग ग्राउंड में 8 साल से डाले जा रहे कचरे के कारण लोग गंदगी और बदबू झेल रहे थे. करीब 8 साल से पूरे शहर के डाले जा रहे कचरे ने डंपिंग ग्राउंड में करीब 50 फीट ऊंचे पहाड़ जैसा रूप से लिया है. कचरा जलाने से भी लोग धुएं से परेशान होते थे. समस्या को देखते हुए कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने के लिए गुड़गांव की एक कंपनी को टेंडर दिया गया था. इसके लिए कंपनी ने मशीन लगवाकर कचरा निस्तारण कार्य करवाया था.
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आयुक्त ने बताया कि मशीन से कचरे से करीब 2 हजार मीट्रिक टन कंपोस्ट खाद निकली है, जिसकी कीमत 10 लाख रुपए है. नगर परिषद आयुक्त सौरभ जिंदल ने बताया कि शहर का प्रमुख चंबल गार्डन पार्क की पथरीली जमीन होने के कारण यहां पर घास व पेड़-पौधे नहींं उग पा रहे हैं. ऐसे में पार्क में करीब 4 फीट कंपोस्ट खाद डलवा दी जाएगी जिसके बारिश में अच्छी घास निकल आएगी. पार्क में पौधरोपण भी करवाया जाएगा.
इसके अलावा चंबल गार्डन के पास ही एक अन्य पार्क में खाद डलवाकर उसका भी सौंदर्यीकरण करवाया जाएगा. डंपिंग ग्राउंड सागरपारा पर पुराने पड़े हुए कचरे के निस्तारण किया जा रहा है जिसे सागरपाड़ा स्थित नगर परिषद की निचली जमीन में डालकर समतल किया जा रहा है. उधर, प्रोजेक्ट मैनेजर आशुतोष पांडेय ने बताया कि शहर का पुराना वेस्टेज कचरा पड़ा हुआ था जिसे कंपोस्ट खाद का रूप दे दिया गया है. कचरे में से प्लास्टिक, पत्थर पृथक कर शुद्ध खाद बनाई जा रही है. उन्होंने बताया कि पत्थर के मैटेरियल को सड़क निर्माण में इस्तेमाल किया जा सकता है. उसके साथ ही प्लास्टिक को सीमेंट प्लांट एवं अन्य फैक्ट्रियों में भेजकर उपयोग में लाया जा सकता है. 2 महीने की मेहनत के बाद कचरे के ढेर को खाद के रूप में तब्दील किया गया है.